Tech

Zomato ने बंद की 15 मिनट फूड डिलीवरी सर्विस, जानें क्यों हटाया ‘इंस्टेंट ऑप्शन’ ऐप से

  • May 3, 2025
  • 0

अगर आप जोमैटो ऐप पर खाना मंगाने की सोच रहे थे और उम्मीद कर रहे थे कि आपको 15 मिनट में गरमा-गरम खाना मिल जाएगा, तो यह खबर

Zomato ने बंद की 15 मिनट फूड डिलीवरी सर्विस, जानें क्यों हटाया ‘इंस्टेंट ऑप्शन’ ऐप से

अगर आप जोमैटो ऐप पर खाना मंगाने की सोच रहे थे और उम्मीद कर रहे थे कि आपको 15 मिनट में गरमा-गरम खाना मिल जाएगा, तो यह खबर आपके लिए थोड़ा झटका हो सकती है। जोमैटो ने हाल ही में अपनी ‘क्विक’ सर्विस को बिना किसी आधिकारिक घोषणा के अपने ऐप से हटा दिया है। यह वही सेवा थी, जिसमें कंपनी ने दावा किया था कि वह चुनिंदा शहरों में 15 मिनट के भीतर खाना डिलीवर करेगी। लेकिन अब इस सर्विस का कोई अता-पता ऐप पर नहीं है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह सेवा क्या थी, क्यों शुरू की गई थी और आखिर इसे अचानक क्यों बंद कर दिया गया।

क्या थी जोमैटो की ‘क्विक’ सर्विस?

जोमैटो ने कुछ महीनों पहले ‘क्विक’ नाम की एक खास सेवा की शुरुआत की थी। इस सेवा के तहत ग्राहकों को वादा किया गया था कि उन्हें मात्र 15 मिनट में खाना डिलीवर किया जाएगा। यह सेवा मुख्य रूप से बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और गुरुग्राम जैसे मेट्रो शहरों में लॉन्च की गई थी। इस सेवा को जोमैटो की ‘एवरीडे’ कैटेगरी का हिस्सा बताया गया था, जिसमें किफायती, सरल और घरेलू खाने की डिशेज शामिल थीं। इसका उद्देश्य उन ग्राहकों को आकर्षित करना था जो जल्दी, सस्ता और घर जैसा खाना चाहते हैं।

अचानक क्यों हटाई गई यह सेवा?

जोमैटो ने इस ‘क्विक’ सर्विस को अपने ऐप से क्यों हटाया, इस पर अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब जोमैटो ने किसी ‘इंस्टेंट डिलीवरी’ सेवा को अचानक बंद किया हो। इससे पहले 2022 में कंपनी ने ‘Zomato Instant‘ नाम से एक और सेवा शुरू की थी, जिसमें 10 मिनट में खाना देने का वादा था। लेकिन यह सेवा भी 2023 की शुरुआत में चुपचाप बंद कर दी गई थी। इससे यह संकेत मिलता है कि जोमैटो के लिए इंस्टेंट फूड डिलीवरी मॉडल को लंबे समय तक बनाए रखना आसान नहीं है।

किन वजहों से आई मुश्किलें?

15 मिनट में खाना डिलीवर करने का विचार जितना आकर्षक लगता है, उसे जमीन पर उतारना उतना ही कठिन है। इस मॉडल में कई चुनौतियाँ हैं:

  1. रेस्तरां की भागीदारी: सबसे बड़ी चुनौती रेस्तरां पार्टनर्स को तैयार करना होती है। वे पहले से ही कई ऑर्डर मैनेज कर रहे होते हैं, ऐसे में उन्हें कुछ ही मिनटों में नया ऑर्डर तैयार करने को कहना व्यावहारिक रूप से कठिन है।
  2. खाने की क्वालिटी: इतनी जल्दी में खाना बनाते समय उसकी गुणवत्ता बनाए रखना एक बड़ा मसला है। यदि स्वाद, तापमान या पैकेजिंग में कमी रह जाए, तो ग्राहक अनुभव बिगड़ सकता है।
  3. लॉजिस्टिक और डिलीवरी टाइमिंग: ट्रैफिक, मौसम, और डिलीवरी एजेंट की उपलब्धता जैसी असंख्य चीजें होती हैं जो 15 मिनट में डिलीवरी को प्रभावित कर सकती हैं।
  4. सेफ्टी कंसर्न्स: इतनी तेज डिलीवरी के चक्कर में डिलीवरी पार्टनर्स पर समय का दबाव बढ़ जाता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ जाती है।

ब्लिंकिट ने दिखाई नई राह

जहां जोमैटो की ‘फास्ट फूड डिलीवरी‘ सेवा बार-बार असफल हो रही है, वहीं उसकी ग्रॉसरी डिलीवरी कंपनी ‘ब्लिंकिट’ ने अच्छा प्रदर्शन किया है। जोमैटो ने ग्रोफर्स को खरीदकर ब्लिंकिट नाम से 10 मिनट में किराना डिलीवरी शुरू की थी, जो काफी सफल रही है। अब ब्लिंकिट के तहत ‘Bistro by Blinkit’ जैसी नई पहल भी की जा रही है, जिसमें तैयार खाने या स्नैक्स को तेजी से डिलीवर किया जा रहा है। हालांकि यह सेवा अभी सीमित क्षेत्रों में ही उपलब्ध है।

क्या वाकई फास्ट फूड डिलीवरी का मॉडल फेल है?

इस सवाल का जवाब सीधा नहीं है। फास्ट फूड डिलीवरी का मॉडल कुछ खास परिस्थितियों में सफल हो सकता है, लेकिन भारत जैसे विविध और जटिल बाजार में इसे हर जगह लागू करना आसान नहीं है। जब तक टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर और रेस्तरां का साथ पूरी तरह न मिले, तब तक 15 मिनट में खाना पहुंचाना एक सपना ही रहेगा। खासतौर पर गर्म, ताजा और गुणवत्तापूर्ण भोजन की बात हो तो क्विक सर्विस एक बड़ी चुनौती बन जाती है।

आगे का रास्ता क्या हो सकता है?

फिलहाल तो ‘Zomato Quick’ सर्विस को ऐप से पूरी तरह हटा दिया गया है। कंपनी ने इस बारे में कोई भविष्य की योजना सार्वजनिक नहीं की है। हालांकि यह संभव है कि जोमैटो भविष्य में एक बार फिर इस मॉडल को बेहतर प्लानिंग और टेक्नोलॉजी के साथ लॉन्च करे। लेकिन तब तक, ग्राहकों को अब सामान्य डिलीवरी टाइम के अनुसार ही इंतजार करना होगा।

इस घटनाक्रम से इतना तो साफ है कि ‘जल्दी खाना’ वाला फॉर्मूला कागज पर जितना अच्छा दिखता है, व्यवहार में उसे लागू करना उतना ही कठिन है। क्वालिटी, सेफ्टी और लॉजिस्टिक्स जैसे पहलू जब तक पूरी तरह संतुलित न हों, तब तक क्विक फूड डिलीवरी एक असंभव सपना ही रहेगा।

ये भी पढ़ें- Elon Musk का बड़ा दावा: अब इंसानी सर्जनों की नहीं रहेगी ज़रूरत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *