22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी, जिसके बाद भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरना शुरू कर दिया। भारत की ओर से लगातार कार्रवाई और कड़े रुख के बीच अब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों का सहारा लेता दिखाई दे रहा है। इसी क्रम में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अपनी बात रखते हुए यह मांग की है कि उसे भी इस विषय पर UNSC की बैठक बुलाने का अधिकार मिलना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का बयान: “स्थिति गंभीर है”
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने शुक्रवार, 2 मई 2025 को न्यूयॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बयान दिया। जब उनसे मीडिया ने पूछा कि क्या पाकिस्तान, पहलगाम आतंकी हमले और भारत के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक बुलाने की योजना बना रहा है, तो उन्होंने जवाब में कहा:
“हम देख रहे हैं कि यह सब जम्मू-कश्मीर की पृष्ठभूमि में हो रहा है। यह केवल एक आतंकी घटना नहीं थी, बल्कि इसके बाद उत्पन्न हुई स्थिति न केवल इस क्षेत्र के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी एक वास्तविक खतरा बन गई है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान, संयुक्त राष्ट्र का एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते, इस मुद्दे पर विचार और चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का पूरा अधिकार रखता है।
UNSC का अस्थायी सदस्य होने के नाते पाकिस्तान का दावा
असीम इफ्तिखार अहमद ने अपने बयान में इस बात को रेखांकित किया कि पाकिस्तान फिलहाल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक अस्थायी (नॉन-पर्मानेंट) सदस्य है और जुलाई 2025 में परिषद की अध्यक्षता भी करेगा। उन्होंने इस बात का संकेत दिया कि पाकिस्तान इस स्थिति का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने के लिए कर सकता है। उन्होंने कहा:
“हमने सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों से इस मसले पर चर्चा की है। हमने मार्च और अप्रैल महीने के अध्यक्षों के साथ भी संपर्क किया है और हम स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। यदि हमें उचित लगेगा, तो हम इस पर बैठक बुलाने का कदम भी उठा सकते हैं।”
“UNSC को है अधिकार, सभी सदस्यों को है बोलने की आज़ादी”: पाकिस्तान
पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने कहा कि सुरक्षा परिषद को इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने का अधिकार न केवल है, बल्कि यह इसकी जिम्मेदारी भी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी अस्थायी या स्थायी सदस्य को परिषद की बैठक बुलाने और चर्चा की मांग करने का अधिकार है।
“जब अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा होता है, तो सुरक्षा परिषद की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। पाकिस्तान के लिए इस मंच का इस्तेमाल करना उचित है, ताकि स्थिति को वैश्विक दृष्टिकोण से देखा जा सके।”
भारत पर परोक्ष हमला: “जम्मू-कश्मीर की पृष्ठभूमि में घटनाएं हो रही हैं”
अपने पूरे वक्तव्य के दौरान असीम इफ्तिखार ने भारत का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन बार-बार उन्होंने “जम्मू-कश्मीर की स्थिति” और “क्षेत्रीय तनाव” जैसे शब्दों का प्रयोग कर भारत पर परोक्ष रूप से आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से भारत ने प्रतिक्रिया दी है, उससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है।
उनके मुताबिक, भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई की संभावना, पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है और यह पूरे उपमहाद्वीप की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
पहलगाम हमला और भारत की प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में आतंकवादियों ने एक भयानक हमला किया था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। इस हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद करार दिया था और कड़ी प्रतिक्रिया की बात कही थी।
कूटनीतिक और सामरिक कदमों की शुरुआत हो चुकी है भारत की ओर से, जिसमें पाकिस्तान के नेताओं और मशहूर हस्तियों के सोशल मीडिया अकाउंट भारत में ब्लॉक करना, एयरस्पेस को प्रतिबंधित करना और सिंधु जल संधि की समीक्षा जैसे कदम शामिल हैं।
भारत से अलग-थलग पड़ता पाकिस्तान: अब अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति की कोशिश
भारत द्वारा लिए जा रहे सख्त फैसलों और वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति का असर अब साफ़ दिख रहा है। पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहानुभूति जुटाने की कोशिश कर रहा है। UNSC की बैठक बुलाने की मांग इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में इस तरह की अपील कर पाकिस्तान यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह शांति का पक्षधर है और भारत की कार्रवाइयों से क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा है। हालाँकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई सदस्य, विशेषकर अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन, पहले ही भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन कर चुके हैं।
UNSC में चर्चा की संभावना और भारत का रुख
हालाँकि पाकिस्तान ने अपनी मंशा साफ कर दी है, लेकिन यह कहना अभी मुश्किल है कि UNSC में इस मुद्दे पर विशेष बैठक बुलाई जाएगी या नहीं। संयुक्त राष्ट्र में किसी भी बैठक के लिए स्थायी सदस्यों का समर्थन आवश्यक होता है। भारत के वैश्विक रिश्ते और हालिया घटनाओं में उसका रुख स्पष्ट, संतुलित और तथ्य-आधारित रहा है, जिससे उसे विश्व समुदाय का समर्थन मिल रहा है।
भारत इस समय पाकिस्तान के आरोपों को बेबुनियाद और ध्यान भटकाने की कोशिश बता रहा है। भारत का रुख यही है कि पहले आतंकवाद पर सख्त कदम उठाए जाएं, तभी किसी भी मुद्दे पर बातचीत हो सकती है।
निष्कर्ष: संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की अपील कितनी असरदार?
पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की बात करना उसकी मौजूदा कूटनीतिक स्थिति की मजबूरी को दर्शाता है। वह अब भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की छवि पहले से ही संदिग्ध रही है, ऐसे में उसके इस कदम को कितनी गंभीरता से लिया जाएगा, यह देखना बाकी है।
भारत की ओर से अभी तक इस पर कोई सीधा जवाब नहीं आया है, लेकिन यह तय है कि देश अपने रुख से पीछे नहीं हटेगा और आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को मजबूती से आगे बढ़ाएगा।
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