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That ‘morning’ will come now…! But ‘विकसित दिल्ली’ की राह में सबसे बड़ी बाधा क्या है?

  • April 25, 2025
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दिल्ली में सत्ता का सूरज बदल चुका है। राजधानी को आखिरकार वो ‘सुबह’ मिल गई है, जिसकी उम्मीद जनता बरसों से कर रही थी। रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री

That ‘morning’ will come now…! But ‘विकसित दिल्ली’ की राह में सबसे बड़ी बाधा क्या है?

दिल्ली में सत्ता का सूरज बदल चुका है। राजधानी को आखिरकार वो ‘सुबह’ मिल गई है, जिसकी उम्मीद जनता बरसों से कर रही थी। रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही एक नई शुरुआत का संदेश गया है। यमुना आरती, मंत्रिमंडल की पहली बैठक और सड़कों पर एक्शन में दिखती नई टीम – ये सब दिल्ली के नागरिकों में ताजगी और उम्मीद का संचार कर रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या केवल ‘नई सुबह’ से दिल्ली ‘विकसित राजधानी’ बन जाएगी?

सन् 1958 की एक मशहूर फिल्म “फिर सुबह होगी” का गीत था – “वो सुबह कभी तो आएगी…”। दिल्ली में बीजेपी के लिए यह सुबह 27 साल बाद आई है, लेकिन इस उजाले को बनाए रखना आसान नहीं होगा। रेखा गुप्ता सरकार के सामने दिल्ली को वास्तव में विकसित बनाने की राह में कई बड़ी बाधाएं खड़ी हैं।

दिल्ली में सत्ता का सूरज

1. कूड़े के पहाड़ और कचरा प्रबंधन: सबसे बड़ी चुनौती

दिल्ली के गाजीपुर, भलस्वा और ओखला जैसे इलाकों में कूड़े के पहाड़ अब ‘लैंडमार्क’ बन चुके हैं। हर साल इनका आकार बढ़ता जा रहा है, और बदबू के साथ-साथ इनसे जहरीली गैसें भी निकलती हैं। कचरा प्रबंधन में दिल्ली की हालत बेहद खराब है।

रेखा सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी:

  • इन कूड़े के पहाड़ों को हटाना
  • वेस्ट मैनेजमेंट में आधुनिक तकनीक लाना
  • घर-घर से कचरे का सही तरीके से पृथक्करण कराना

2. वायु प्रदूषण: दमघोंटू हवा से कैसे मिले राहत?

हर साल अक्टूबर-नवंबर आते ही दिल्ली गैस चैंबर बन जाती है। पराली जलाने, वाहनों से निकलते धुएं और निर्माण कार्यों की धूल मिलकर हवा को इतना जहरीला बना देते हैं कि बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

इस दिशा में जरूरी कदम:

  • वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देना
  • स्मॉग टावर जैसी तकनीकों को तेजी से लागू करना
  • NCR राज्यों के साथ समन्वय से पराली जलाने की समस्या का समाधान

3. अवैध कॉलोनियां और बुनियादी सुविधाओं की कमी

दिल्ली में करीब 1,700 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां हैं। इनमें बिजली-पानी की सप्लाई से लेकर सीवरेज और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है।

रेखा सरकार ने इन कॉलोनियों को विकसित करने का वादा किया है, लेकिन इसके लिए जमीन अधिग्रहण, बजट, और समय – सभी की जरूरत है।

4. यमुना सफाई: केवल आरती से नहीं, ठोस एक्शन से होगा बदलाव

यमुना दिल्ली का गौरव है, लेकिन आज ये नदी गंदगी और सीवेज का गढ़ बन चुकी है। शुद्धिकरण परियोजनाएं सालों से कागजों में चल रही हैं, लेकिन यमुना की हालत जस की तस है। रेखा सरकार ने शपथ के बाद यमुना में आरती की, जो एक सांकेतिक शुरुआत है, लेकिन असली चुनौती है इस पवित्र नदी को फिर से जीवंत बनाना।

जरूरी कदम:

  • सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को अपग्रेड करना
  • यमुना में गिरते नालों को रोकना
  • गंदगी फैलाने वालों पर कठोर कार्रवाई

5. फ्री स्कीम्स बनाम फंड की उपलब्धता

पिछली सरकारों ने ‘मुफ्त योजनाओं’ के वादों से जनता को लुभाया था। मुफ्त बिजली, पानी, महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा जैसी स्कीमें आज लोगों की आदत बन चुकी हैं। अब रेखा सरकार के सामने दोहरी चुनौती है –

  • इन योजनाओं को जारी रखना
  • साथ ही दिल्ली के विकास कार्यों के लिए पर्याप्त फंड जुटाना

यह संतुलन बनाना बेहद कठिन होगा, क्योंकि हर मुफ्त सेवा का बोझ सरकारी खजाने पर पड़ता है।

निष्कर्ष: उम्मीद की सुबह, लेकिन रास्ता कठिन

दिल्ली में नई सरकार का आगाज़ उम्मीदों से भरा है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता एक्शन मोड में हैं और दिल्ली को विकसित राजधानी बनाने का संकल्प ले चुकी हैं। लेकिन यह राह आसान नहीं है। कूड़े के पहाड़, जहरीली हवा, यमुना की दुर्दशा और अवैध बस्तियों जैसी समस्याएं उनके सामने खड़ी हैं।

जनता ने बदलाव के लिए वोट किया है, लेकिन अब देखना यह है कि यह ‘नई सुबह’ वाकई साहिर लुधियानवी के सपने जैसी साबित होगी या फिर एक और अधूरी कहानी बनकर रह जाएगी।

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