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स्टटगार्ट की सड़कों पर गूंजा हनुमान चालीसा, भारतीयों ने पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में निकाला शांतिपूर्ण मार्च

  • May 5, 2025
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जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की गूंज केवल भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी पीड़ा और आक्रोश ने विदेशों में बसे भारतीय समुदाय

स्टटगार्ट की सड़कों पर गूंजा हनुमान चालीसा, भारतीयों ने पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में निकाला शांतिपूर्ण मार्च

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की गूंज केवल भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी पीड़ा और आक्रोश ने विदेशों में बसे भारतीय समुदाय को भी झकझोर दिया। इसका उदाहरण जर्मनी के स्टटगार्ट शहर में देखने को मिला, जहां भारतीय प्रवासी समुदाय ने एकजुटता दिखाते हुए पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी और आतंक के खिलाफ शांतिपूर्ण मार्च निकाला।

श्लॉसप्लात्ज में गूंजा हनुमान चालीसा

स्टटगार्ट के ऐतिहासिक श्लॉसप्लात्ज (Schlossplatz) में रविवार को भारतीय समुदाय के लोग भारी संख्या में एकत्रित हुए। हाथों में भारतीय तिरंगे, “हमले का विरोध करो”, “शांति चाहिए, आतंक नहीं” जैसे पोस्टर और बैनर लिए लोग पूरी शांति और अनुशासन के साथ मार्च करते नजर आए। इस मार्च की खास बात यह रही कि कार्यक्रम के दौरान लोगों ने एक साथ मिलकर हनुमान चालीसा का पाठ किया, जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिकता और एकजुटता से भर गया।

इस पाठ का उद्देश्य केवल धार्मिक अभिव्यक्ति नहीं था, बल्कि यह आतंक के खिलाफ आध्यात्मिक शक्ति और साहस का प्रतीक था। लोगों ने एक स्वर में यह संदेश दिया कि भारतीय संस्कृति अहिंसा, भाईचारा और एकता में विश्वास करती है – आतंक और हिंसा का इससे कोई संबंध नहीं।

Pahalgam terrorist attack

भारतीय परिवार बीडब्ल्यू (Bharatiya Parivar BW) की पहल

इस मार्च का आयोजन भारतीय परिवार बीडब्ल्यू (Bharatiya Parivar BW) नामक प्रवासी संगठन ने किया, जो जर्मनी में बसे भारतीयों की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को एक मंच प्रदान करता है। संगठन ने मार्च से पहले सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को आमंत्रित किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि न केवल स्टटगार्ट बल्कि आसपास के शहरों से भी भारतीय लोग बड़ी संख्या में पहुंच गए।

मार्च में शामिल लोगों ने बताया कि वे केवल हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने ही नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकजुटता का संदेश देने के लिए भी यहां आए हैं।

पहलगाम आतंकी हमला – एक दर्दनाक त्रासदी

गौरतलब है कि अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में आतंकियों ने एक टूरिस्ट बस को निशाना बनाया, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। यह हमला देशभर में शोक, आक्रोश और पीड़ा का कारण बना। इस हमले की जिम्मेदारी किसी आतंकवादी संगठन ने नहीं ली, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार यह एक सुनियोजित हमला था।

इस हृदयविदारक घटना के बाद भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों में भी गहरा दुःख और आक्रोश देखा गया। बर्लिन, लंदन, न्यूयॉर्क, टोरंटो, दुबई जैसे शहरों में विरोध मार्च, कैंडल लाइट विजिल और श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की गईं।

Pahalgam terrorist attack

स्टटगार्ट मार्च का संदेश: एकता में शक्ति है

स्टटगार्ट में हुए मार्च का संदेश बहुत स्पष्ट था – भारत के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा या आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रवासी भारतीयों ने यह दिखाया कि वे भले ही हजारों किलोमीटर दूर हों, लेकिन उनके दिल और संवेदनाएं अपने देश और देशवासियों के साथ जुड़ी हैं।

मार्च के अंत में एक छोटी श्रद्धांजलि सभा भी आयोजित की गई, जिसमें हमले में मारे गए 26 लोगों के नाम पढ़े गए और दो मिनट का मौन रखा गया। कुछ लोगों ने अपने विचार साझा किए और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया।

धार्मिक एकता और सामाजिक संदेश

इस आयोजन में हनुमान चालीसा का पाठ केवल धार्मिक परंपरा नहीं था, बल्कि यह एक आध्यात्मिक शक्ति और एकता का प्रतीक बनकर उभरा। इसमें न केवल हिंदू समुदाय के लोग शामिल हुए, बल्कि सिख, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी उपस्थित थे। सभी ने मिलकर शांति और भाईचारे का संदेश दिया।

यह आयोजन यह भी दर्शाता है कि भारत की विविधता, संस्कृतिक मूल्यों और धर्मनिरपेक्षता की पहचान को कोई भी आतंकी हमला कमजोर नहीं कर सकता।

निष्कर्ष: प्रवासी भारतीयों की एकता बनी प्रेरणा

स्टटगार्ट का यह मार्च केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह प्रवासी भारतीयों की भावनाओं, देशभक्ति और एकता का परिचायक था। इसमें शामिल लोगों ने न केवल अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक वैश्विक आंदोलन की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

भारत में आतंकवाद से लड़ने के लिए सरकार और सेना हर स्तर पर तत्पर हैं, लेकिन सामाजिक स्तर पर एकजुटता और वैश्विक समर्थन भी उतना ही आवश्यक है। स्टटगार्ट में निकला यह मार्च उसी समर्थन का एक उदाहरण है – एक ऐसा कदम जो बताता है कि जहां भी भारतीय हैं, वहां भारत की आत्मा जीवित है।

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