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गूगल की बड़ी चाल! चैटबॉट में एड्स दिखाकर डाटा से कमाई का प्लान

  • May 7, 2025
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दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शुमार गूगल दशकों से इंटरनेट सर्च की दुनिया का बेताज बादशाह रहा है। लेकिन अब इस एकाधिकार को जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

गूगल की बड़ी चाल! चैटबॉट में एड्स दिखाकर डाटा से कमाई का प्लान

दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शुमार गूगल दशकों से इंटरनेट सर्च की दुनिया का बेताज बादशाह रहा है। लेकिन अब इस एकाधिकार को जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Generative AI) तकनीक की वजह से गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। तेजी से विकसित होती AI टेक्नोलॉजी और यूज़र्स की बदलती प्राथमिकताओं ने गूगल के पारंपरिक सर्च मॉडल की नींव को हिला दिया है। इसी चुनौती से निपटने और अपने विज्ञापन कारोबार को भविष्य में भी सुरक्षित रखने के लिए गूगल अब एक नया कदम उठाने की तैयारी कर रहा है – AI चैटबॉट्स के ज़रिए विज्ञापन दिखाना।

क्या है गूगल की नई योजना?

गूगल का एक बेहद लोकप्रिय प्रोग्राम है “AdSense for Search”। यह सेवा वेबसाइट मालिकों को उनके पेजों पर गूगल सर्च बॉक्स लगाने की सुविधा देती है, जिससे यूज़र्स जब कोई खोज करते हैं तो उन सर्च रिज़ल्ट्स के साथ विज्ञापन भी दिखाए जाते हैं। वेबसाइट मालिक और गूगल दोनों को इन विज्ञापनों से कमाई होती है। अब इसी मॉडल को गूगल अपने AI चैटबॉट्स में लागू करने की योजना बना रहा है।

मतलब यह कि जैसे-जैसे लोग चैटबॉट्स से संवाद करते हैं और अपने सवालों के जवाब पाते हैं, वैसे-वैसे बीच-बीच में प्रासंगिक विज्ञापन भी बातचीत के हिस्से के तौर पर दिखाए जा सकते हैं। इससे गूगल का विज्ञापन रेवेन्यू बना रहेगा, भले ही लोग पारंपरिक सर्च पेजों का कम इस्तेमाल करें।

कैसे हुआ इसकी शुरुआत?

गूगल ने बीते साल और इस साल कुछ उभरते हुए AI सर्च प्लेटफॉर्म्स जैसे iAsk और Liner के साथ मिलकर इस आइडिया का परीक्षण शुरू किया था। इन ट्रायल्स का उद्देश्य यह जानना था कि चैटबॉट्स के साथ बातचीत करते वक्त अगर विज्ञापन दिखाए जाएं, तो यूज़र्स की प्रतिक्रिया कैसी होती है? क्या वे इन विज्ञापनों को उपयोगी मानते हैं या इनसे बातचीत का अनुभव बाधित होता है?

इन प्रयोगों से गूगल को यह भी समझने में मदद मिली कि किस प्रकार के विज्ञापन AI चैटबॉट्स के साथ बेहतर काम करते हैं, और किस समय व संदर्भ में उन्हें दिखाना उपयोगकर्ता अनुभव को बिगाड़े बिना संभव है।

गूगल को चुनौती कौन दे रहा है?

गूगल के सर्च कारोबार को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब नवंबर 2022 में OpenAI ने अपना चैटबॉट ChatGPT लॉन्च किया। यह चैटबॉट बेहद कम समय में लोकप्रिय हो गया और करोड़ों लोग इसके ज़रिए अपने सवालों के जवाब लेने लगे। ChatGPT ने जानकारी देने के पारंपरिक तरीके को ही बदल दिया – यूज़र्स को अब वेबसाइटों पर जाकर जवाब खोजने की ज़रूरत नहीं रही, बल्कि वे सीधे चैटबॉट से बात करके संक्षिप्त, सटीक और सीधे जवाब पा सकते थे।

इस बदलाव को भांपते हुए गूगल ने भी अपनी रणनीति बदली। उसने अपना खुद का जनरेटिव AI चैटबॉट बाजार में उतारा और पारंपरिक गूगल सर्च में AI ओवरव्यू (AI Overviews) जैसे फीचर शामिल किए। अब जब कोई यूज़र गूगल पर कुछ खोजता है, तो उसे सबसे ऊपर AI द्वारा तैयार किया गया संक्षिप्त उत्तर भी मिलता है, जिससे वह किसी लिंक पर जाए बिना ही जानकारी हासिल कर सकता है।

हालांकि, इतने बदलावों के बावजूद गूगल की राह आसान नहीं है। टेक्नोलॉजी की दुनिया में अब नए खिलाड़ी भी मैदान में उतर आए हैं – जैसे Perplexity AI, जो OpenAI और चीन की DeepSeek AI जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके उपयोगकर्ताओं को अधिक तेज़ और बेहतर उत्तर देने का दावा कर रहे हैं।

Perplexity जैसे प्लेटफॉर्म्स न सिर्फ यूज़र्स को उत्तर दे रहे हैं, बल्कि वे सर्च अनुभव को नए ढंग से पेश कर रहे हैं – बातचीत के अंदाज़ में, संदर्भों के साथ और बिना किसी विज्ञापन के। यह सीधे तौर पर गूगल की कमाई पर असर डाल सकता है, क्योंकि गूगल का प्रमुख रेवेन्यू स्रोत है – विज्ञापन।

विज्ञापन ही गूगल की असली ताकत है

गूगल के कुल कारोबार में सर्च आधारित विज्ञापनों का हिस्सा सबसे बड़ा है। गूगल अपने सर्च इंजन के ज़रिए हर साल अरबों डॉलर की कमाई करता है। ऐसे में अगर यूज़र्स गूगल के बजाय AI चैटबॉट्स की ओर मुड़ते हैं, तो इसका सीधा असर गूगल की आमदनी पर पड़ सकता है।

यही कारण है कि अब गूगल नए रास्तों की तलाश में है – ताकि चाहे सर्च पेज हो या चैटबॉट, विज्ञापन हर जगह दिखाए जा सकें और रेवेन्यू का प्रवाह बना रहे।

कानूनी संकट भी बना सिरदर्द

जहां एक ओर तकनीकी प्रतिस्पर्धा से गूगल को चुनौती मिल रही है, वहीं दूसरी ओर उसे अमेरिका में कानूनी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में एक अमेरिकी संघीय न्यायाधीश ने गूगल को “ओपन वेब” पर डिजिटल विज्ञापन के बाज़ार में एकाधिकार कायम रखने का दोषी पाया है। यह एक गंभीर आरोप है, और अगर इस मामले में गूगल को दोषी ठहराया गया तो इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं।

इस मुकदमे की सुनवाई फिलहाल जारी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर गूगल के डिजिटल विज्ञापन मॉडल पर गहरा पड़ सकता है। इससे गूगल को विज्ञापन कारोबार में नए नियमों का पालन करना पड़ सकता है या फिर कुछ बड़े बदलाव भी करने पड़ सकते हैं।

क्या AI चैटबॉट्स में विज्ञापन दिखाना उपयोगकर्ता अनुभव को बिगाड़ेगा?

यह एक अहम सवाल है। अब तक AI चैटबॉट्स को यूज़र्स ने इसलिए पसंद किया क्योंकि वे बिना किसी रुकावट, तेज़ी से और बिना व्यावसायिक हस्तक्षेप के जानकारी देते थे। अगर अब इन चैटबॉट्स में विज्ञापन आने लगे, तो यह अनुभव शायद पहले जैसा न रहे।

हालांकि गूगल का दावा है कि वह विज्ञापन को इस तरह पेश करेगा कि वे बातचीत के प्रवाह में बाधा न डालें, बल्कि उपयोगकर्ता के लिए उपयोगी जानकारी का हिस्सा बनें। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति चैटबॉट से “सस्ते स्मार्टफोन” के बारे में पूछे, तो जवाब के साथ एक प्रासंगिक विज्ञापन भी दिख सकता है जिसमें किसी ब्रांड की पेशकश हो।

लेकिन इस संतुलन को बनाए रखना आसान नहीं होगा। अगर यूज़र्स को लगे कि चैटबॉट जवाब देने के बजाय उन्हें कुछ बेचने की कोशिश कर रहा है, तो वे अन्य विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं।

निष्कर्ष

गूगल जिस दौर से गुजर रहा है, वह तकनीकी दुनिया में एक बड़ा परिवर्तन है। जनरेटिव AI ने न सिर्फ जानकारी प्राप्त करने के तरीकों को बदला है, बल्कि इंटरनेट के विज्ञापन ढांचे को भी हिलाकर रख दिया है। गूगल की कोशिश है कि वह इस बदलाव के साथ खुद को ढाल सके और आने वाले समय में भी डिजिटल दुनिया में अपनी बादशाहत बनाए रखे।

AI चैटबॉट्स में विज्ञापन दिखाना इस दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है – लेकिन इसके सफल होने के लिए गूगल को न सिर्फ तकनीकी तौर पर सटीक होना पड़ेगा, बल्कि उपयोगकर्ताओं के अनुभव का भी पूरा ध्यान रखना होगा।

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