News

Ban on Indus Water Treaty: अब खून और पानी साथ नहीं बह सकते – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

  • April 25, 2025
  • 0

भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी सिंधु जल संधि एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गई है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए

Ban on Indus Water Treaty: अब खून और पानी साथ नहीं बह सकते – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी सिंधु जल संधि एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गई है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने इस संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का बड़ा फैसला लिया है। इस निर्णय ने राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे पर तीखा और भावनात्मक बयान देते हुए कहा, “अब खून और पानी साथ नहीं बह सकते।”

सिंधु जल संधि: एक ऐतिहासिक समझौता

सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक ऐतिहासिक संधि है, जिसे विश्व बैंक की मध्यस्थता में लागू किया गया था। इस संधि के तहत भारत को सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के जल का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का अधिकार दिया गया। यह संधि दशकों तक चली और इसे द्विपक्षीय सहयोग और जल साझा करने के प्रतीक के रूप में देखा जाता रहा।

Ban on Indus Water Treaty

पहलगाम आतंकी हमला और उसका असर

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला बेहद दर्दनाक और निंदनीय था, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की जान गई। भारत सरकार ने इसे एक बेहद गंभीर चुनौती के रूप में लिया और आतंकवाद को समर्थन देने वाले पाकिस्तान के प्रति कड़ा रुख अपनाया। इसी कड़ी में सिंधु जल संधि को स्थगित करना एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा, अब खून और पानी साथ नहीं बह सकते।” उनके इस बयान ने देश की भावनाओं को अभिव्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि जब एक ओर भारत में निर्दोष लोगों का खून बह रहा हो, तो दूसरी ओर पाकिस्तान को जल संसाधन देना न्यायसंगत नहीं हो सकता।

मुख्यमंत्री धामी का यह बयान न सिर्फ भावनात्मक है, बल्कि यह भारत की बदलती रणनीति और सख्त नीति का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत अब हर मोर्चे पर जवाब देने को तैयार है — चाहे वह सैन्य हो, कूटनीतिक हो या आर्थिक।

Ban on Indus Water Treaty

क्या है सिंधु जल संधि स्थगन का मतलब?

संधि को स्थगित करना एक अस्थायी रोक है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। भारत ने यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता रहा, तो उसे हर स्तर पर जवाब मिलेगा। जल जीवन का मूल है, और जब यही जीवन पाकिस्तान को दिया जा रहा हो, जो आतंकवाद को पनाह देता है, तो यह भारत के हितों के विपरीत है।

भारत की रणनीतिक सोच

हाल के वर्षों में भारत की विदेश नीति में एक स्पष्ट बदलाव देखने को मिला है। अब भारत सिर्फ प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि सक्रिय और निर्णायक नीति पर चल रहा है। सिंधु जल संधि पर रोक इसी नीति का हिस्सा है। यह पाकिस्तान पर जल दबाव बनाकर उसे उसकी नीतियों पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर सकता है।

जनता का समर्थन

सोशल मीडिया से लेकर समाचार चैनलों तक, आम जनता इस फैसले का स्वागत कर रही है। लोग मानते हैं कि अब वक्त आ गया है जब भारत को अपनी सुरक्षा और संसाधनों की रक्षा के लिए कठोर निर्णय लेने चाहिए। “खून और पानी साथ नहीं बह सकते” सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि देश की भावना है।

निष्कर्ष

सिंधु जल संधि पर रोक एक बड़ा और साहसिक कदम है, जो यह दर्शाता है कि भारत अब पुराने ढर्रे पर नहीं, बल्कि नई नीति और नए दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान इस नई सोच का प्रतीक है। आतंकवाद को किसी भी रूप में समर्थन नहीं दिया जा सकता, और अगर इसके लिए भारत को कड़े फैसले लेने पड़ें, तो वह पीछे नहीं हटेगा।

यह फैसला केवल पाकिस्तान के लिए चेतावनी नहीं है, बल्कि दुनिया को यह दिखाने का भी संकेत है कि भारत अपनी सीमाओं, अपने नागरिकों और अपने संसाधनों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *