Will the drone wall be able to save us from Putin? रूस-यूरोप टकराव से मंडरा रहा है युद्ध का खतरा
April 25, 2025
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रूस और यूरोप के बीच तनाव अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। यूक्रेन युद्ध के बाद अब यूरोप भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई रणनीति
रूस और यूरोप के बीच तनाव अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। यूक्रेन युद्ध के बाद अब यूरोप भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई रणनीति – हाइब्रिड ऑपरेशन – के निशाने पर है। यूरोपीय देशों को डर है कि यह संघर्ष यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा और अगर हालात बिगड़े तो यह युद्ध पूरे महाद्वीप को अपनी चपेट में ले सकता है। ऐसे में सवाल उठता है – क्या ड्रोन वॉल और यूरोप की सैन्य तैयारियां पुतिन की आक्रामक रणनीति से बचा पाएंगी?
हाइब्रिड ऑपरेशन: रूस की नई रणनीति
हाइब्रिड ऑपरेशन का अर्थ है – साइबर हमले, फेक न्यूज़, आर्थिक दबाव, और सीमित सैन्य हस्तक्षेप के जरिए दुश्मन देश की स्थिरता को कमजोर करना। रूस ने यह तरीका यूक्रेन में अपनाया और अब यूरोप के अन्य देशों पर भी इसी मॉडल से दबाव बना रहा है। लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड, और फिनलैंड जैसे देश रूस के सीधे निशाने पर हैं।
यूक्रेन को मिली सैन्य सहायता, पश्चिमी हथियारों और तकनीक ने रूस को परेशान किया है। इसके जवाब में रूस सीमाओं के पास सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है और साइबर हमलों के जरिए यूरोप की डिजिटल सुरक्षा को चुनौती दे रहा है।
यूरोप की तैयारी: ड्रोन वॉल और सैन्य बेस
रूस के बढ़ते खतरे के जवाब में यूरोप भी कमर कस चुका है। एस्टोनिया, जो रूस की सीमा से सटा हुआ है, वहां एक नया सैन्य बेस बनाने की तैयारी है। इसके अलावा ड्रोन वॉल यानी एक हाई-टेक सुरक्षा कवच भी तैयार किया जा रहा है जो रूस से आने वाले संभावित ड्रोन हमलों को रोकने में सक्षम होगा।
ड्रोन वॉल क्या है? यह एक मल्टी-लेयर सुरक्षा प्रणाली है जिसमें रडार, एंटी-ड्रोन गन, जामिंग टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य है – सीमाओं पर रूस के ड्रोन या अन्य निगरानी यंत्रों को रोकना और किसी भी सैन्य गतिविधि की समय रहते पहचान करना।
फ्रांस-ब्रिटेन युद्धाभ्यास: संकेत साफ हैं
फ्रांस और ब्रिटेन की सेनाएं एक बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास कर रही हैं। यह अभ्यास सिर्फ सैन्य प्रदर्शन नहीं, बल्कि रूस को एक स्पष्ट संदेश है कि यूरोप किसी भी हमले या घुसपैठ के लिए तैयार है। इसके साथ ही NATO की भूमिका भी पहले से अधिक सक्रिय हो गई है।
यूरोपीय यूनियन अब महज एक आर्थिक संगठन नहीं, बल्कि सामूहिक सुरक्षा और रणनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
क्या यह युद्ध का संकेत है?
फिलहाल रूस और यूरोप के बीच सीधा युद्ध शुरू नहीं हुआ है, लेकिन हालात उसी दिशा में बढ़ रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के लंबे खिंचाव, पश्चिमी देशों की सैन्य सहायता और रूस के आक्रामक रुख ने टकराव की स्थिति को और जटिल बना दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पुतिन ने यूरोपीय सीमाओं के पास सैन्य कार्रवाई या साइबर हमले तेज किए, तो यह सीधी भिड़ंत में बदल सकता है।
रूस की चिंता: यूक्रेन और NATO की नजदीकी
रूस की सबसे बड़ी चिंता है यूक्रेन का NATO के करीब जाना। रूस को यह डर है कि अगर यूक्रेन NATO का सदस्य बन गया, तो पश्चिमी सेनाएं उसकी दहलीज पर होंगी। इसी कारण रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और अब वह बाकी पड़ोसी देशों को भी डराने की रणनीति अपना रहा है।
निष्कर्ष: बचाव या युद्ध की शुरुआत?
ड्रोन वॉल, सैन्य बेस और युद्धाभ्यास जैसे कदमों से यह साफ है कि यूरोप अब रूस की धमकियों से डरने वाला नहीं है। लेकिन सवाल यही है कि क्या यह तैयारियां पुतिन को रोक पाएंगी या फिर यह जंग एक और वैश्विक युद्ध की नींव बन जाएगी?
यूरोप के सामने दो रास्ते हैं — एक, सामरिक एकता और तकनीकी मजबूती से रूस के हाइब्रिड ऑपरेशन का जवाब देना; दूसरा, राजनयिक वार्ता से समाधान निकालना। फिलहाल पहला रास्ता चुना गया है, लेकिन युद्ध की आंच अगर और भड़की, तो शायद दूसरा रास्ता बंद हो जाए।