Thalapathy Vijay’s party challenged the Waqf Amendment Act in the Supreme Court – 16 अप्रैल को अहम सुनवाई
April 14, 2025
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भारत में हाल ही में पारित वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मची हुई है। यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और
भारत में हाल ही में पारित वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मची हुई है। यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और अधिकारों को लेकर कई नए प्रावधान लाता है, जो कुछ समूहों और राजनीतिक दलों को आपत्तिजनक लगे हैं। इसी कड़ी में अब तमिल सुपरस्टार और उभरते राजनेता थलापति विजय की पार्टी तमिलनाडु वेत्री कझगम (TVK) ने इस अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
विजय की पार्टी ने इस कानून को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक समुदाय के हितों के विरुद्ध बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल 2025 को सुनवाई होनी है, जो कि राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम मानी जा रही है।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 क्या है?
वक्फ अधिनियम मूलतः 1995 में पारित किया गया था, जिसका उद्देश्य देशभर की वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन और उपयोग सुनिश्चित करना था। वक्फ संपत्ति उन अचल संपत्तियों को कहा जाता है जिन्हें मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए दान किया जाता है, जैसे मस्जिदें, कब्रिस्तान, मदरसे, इत्यादि।
2025 में लाया गया वक्फ संशोधन अधिनियम सरकार को वक्फ संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण और हस्तक्षेप का अधिकार देता है। इसमें कुछ नए प्रावधान जोड़े गए हैं, जैसे:
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की सूची को अद्यतन करना और उन्हें डिजिटाइज़ करना।
वक्फ संपत्तियों के गैर-इस्लामिक उपयोग पर रोक।
किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की प्रक्रिया को तेज करना।
वक्फ बोर्ड को भूमि अधिग्रहण मामलों में अधिक अधिकार देना।
हालांकि, इन प्रावधानों के कारण कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन इसे धार्मिक संपत्ति पर सरकारी नियंत्रण के रूप में देख रहे हैं।
थलापति विजय और उनकी पार्टी का रुख
थलापति विजय दक्षिण भारत के सुपरस्टार हैं और उन्होंने हाल ही में राजनीति में कदम रखते हुए तमिलनाडु वेत्री कझगम (TVK) की स्थापना की है। विजय की छवि युवाओं में काफी प्रभावशाली रही है और उनकी पार्टी को तमिलनाडु की आगामी राजनीति में एक प्रमुख शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
TVK ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन करता है। पार्टी का कहना है कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक और संपत्ति संबंधी अधिकारों को प्रभावित करता है और इससे सामाजिक असंतुलन पैदा हो सकता है।
TVK के प्रवक्ताओं ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम किसी एक धर्म या समुदाय के विरोध में नहीं हैं। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत के सभी नागरिकों को समान अधिकार मिले और धार्मिक स्वतंत्रता बनी रहे।”
केंद्र सरकार का रुख
इस अधिनियम के समर्थन में केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल की है। इसका अर्थ है कि सरकार चाहती है कि इस मामले में कोई भी फैसला लेने से पहले उसकी दलीलें सुनी जाएं। केंद्र का तर्क है कि वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी प्रबंधन के लिए यह संशोधन आवश्यक था और इससे सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।
वक्फ कानून के संशोधन को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। कई मुस्लिम संगठनों और राजनीतिक दलों ने इसे एकतरफा और असंवैधानिक करार दिया है। उनका कहना है कि इससे अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक संपत्तियों पर सरकार का सीधा नियंत्रण हो जाएगा, जो कि भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ है।
दूसरी ओर, कुछ संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता इस कानून के समर्थन में भी सामने आए हैं। उनका तर्क है कि वक्फ संपत्तियों का गलत उपयोग रोकने और पारदर्शिता लाने के लिए यह संशोधन आवश्यक है।
राजनीतिक असर
थलापति विजय की पार्टी द्वारा इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना केवल एक कानूनी कदम नहीं है, बल्कि इसे एक राजनीतिक रणनीति भी माना जा रहा है। तमिलनाडु में मुस्लिम वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए TVK की यह पहल अहम साबित हो सकती है।
इसके साथ ही, यह कदम राष्ट्रीय राजनीति में भी TVK की उपस्थिति को मजबूत करने का प्रयास है, जहाँ विजय खुद को एक धर्मनिरपेक्ष और जनहितैषी नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।
आगामी सुनवाई: 16 अप्रैल 2025
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 16 अप्रैल 2025 को सुनवाई होगी, जो कि इस विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। कोर्ट यह तय करेगा कि वक्फ संशोधन अधिनियम संविधान के अनुरूप है या नहीं।
यदि कोर्ट इस अधिनियम को रद्द कर देता है, तो यह सरकार के लिए बड़ा झटका होगा। वहीं, यदि अधिनियम को वैध ठहराया जाता है, तो अल्पसंख्यक संगठनों और विपक्षी दलों के विरोध को भी करारा जवाब मिलेगा।
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर छिड़ी यह बहस भारत की धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक जटिलताओं को उजागर करती है। थलापति विजय की पार्टी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती देना न केवल एक कानूनी लड़ाई है, बल्कि यह एक सांकेतिक राजनीतिक कदम भी है, जो आने वाले समय में तमिलनाडु और राष्ट्रीय राजनीति की दिशा को प्रभावित कर सकता है।
16 अप्रैल की सुनवाई के बाद यह साफ होगा कि अदालत इस कानून को किस दृष्टिकोण से देखती है – धार्मिक स्वतंत्रता बनाम प्रशासनिक पारदर्शिता। इस बीच देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं।