मां इंडियन, पिता पाकिस्तानी… मध्य प्रदेश में 9 नाबालिग बच्चों को लेकर फंसा कानूनी पेच
April 30, 2025
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MP News: मध्य प्रदेश में इन दिनों एक अनोखा और संवेदनशील मामला सामने आया है, जिसमें भारतीय माताओं और पाकिस्तानी नागरिकों से जन्मे 9 नाबालिग बच्चों के भविष्य
MP News: मध्य प्रदेश में इन दिनों एक अनोखा और संवेदनशील मामला सामने आया है, जिसमें भारतीय माताओं और पाकिस्तानी नागरिकों से जन्मे 9 नाबालिग बच्चों के भविष्य को लेकर कानूनी पेच फंस गया है। राज्य पुलिस और प्रशासन ने इस जटिल स्थिति को लेकर अब केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय से मार्गदर्शन मांगा है।
यह मामला केवल कागज़ी नहीं, बल्कि इन मासूम बच्चों के भविष्य, पहचान और नागरिकता से जुड़ा हुआ है, जो भारत और पाकिस्तान के जटिल संबंधों की पृष्ठभूमि में और भी संवेदनशील हो जाता है। प्रशासन के सामने अब सवाल यह है कि क्या इन बच्चों को भारतीय नागरिक माना जाए या नहीं, और अगर नहीं, तो फिर इनका भविष्य क्या होगा?
मामला क्या है?
मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे 9 नाबालिग बच्चों की पहचान की गई है, जिनकी मां भारतीय नागरिक हैं, लेकिन पिता पाकिस्तानी नागरिक हैं। ये सभी महिलाएं किसी न किसी परिस्थिति में इन पाकिस्तानी नागरिकों से शादी कर भारत में रह रही थीं या रह रही हैं।
कुछ मामलों में पुरुष लंबे समय से भारत में अवैध रूप से रह रहे थे, जबकि कुछ के पास वीजा अवधि समाप्त हो चुकी है। ऐसे में इन जोड़ों से जन्मे बच्चों को लेकर कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
पुलिस और प्रशासन की चिंता
मध्य प्रदेश पुलिस का कहना है कि इस मामले में बच्चों को लेकर जल्दबाजी में कोई भी फैसला लेना संविधान, नागरिकता कानून और मानवाधिकारों की दृष्टि से सही नहीं होगा। इसलिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय से स्पष्ट दिशा-निर्देश मांगे हैं।
पुलिस के अनुसार, अब तक इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए कोई स्पष्ट नीति या गाइडलाइन नहीं है, जिस कारण यह मामला और पेचीदा हो गया है।
भारत की नागरिकता नीति क्या कहती है?
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत:
भारत में जन्म लेने वाले बच्चे तब तक भारतीय नागरिक माने जाते हैं, जब तक उनके माता-पिता में से कोई एक भारतीय हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो।
यदि पिता पाकिस्तानी नागरिक हैं और भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं, तो बच्चों को स्वाभाविक रूप से नागरिकता नहीं मिलती।
इन मामलों में नागरिकता के लिए विशेष अनुमति या प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।
इसलिए इन 9 बच्चों का मामला केवल जन्म स्थान पर नहीं, बल्कि माता-पिता की कानूनी स्थिति पर भी निर्भर करता है।
मानवीय पहलू: बच्चे किसके?
इन बच्चों के सामने सबसे बड़ी समस्या है नागरिकता की असमंजस स्थिति। अगर उन्हें भारतीय नागरिक नहीं माना जाता, तो:
वे सरकारी स्कूलों में एडमिशन नहीं ले पाएंगे।
स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी योजनाओं से वंचित रहेंगे।
भविष्य में पासपोर्ट या आधार कार्ड नहीं बन पाएगा।
भारत में रहने का कानूनी अधिकार भी स्पष्ट नहीं होगा।
यानी ये मासूम कानून की दरारों में फंसे एक ऐसी पीढ़ी बन जाएंगे, जो न पूरी तरह भारतीय मानी जाएगी, न ही उनके पास पाकिस्तान जाने का कोई विकल्प होगा।
सामाजिक संगठनों की मांग
मध्य प्रदेश में सक्रिय मानवाधिकार संगठनों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकार से अपील की है कि:
इन बच्चों को मानवीय आधार पर नागरिकता या विशेष दर्जा दिया जाए।
इनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
माता-पिता की कानूनी स्थिति को बच्चों की पहचान का आधार न बनाया जाए।
सरकार के पास क्या विकल्प हैं?
केंद्र सरकार इस मामले में तीन रास्ते अपना सकती है:
विशेष मानवीय आधार पर नागरिकता देना: संवैधानिक प्रावधानों और मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए बच्चों को नागरिकता दी जा सकती है।
लंबी अवधि का वीजा (LTV): जब तक नागरिकता का कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक बच्चों को LTV देकर भारत में रहने की अनुमति दी जा सकती है।
अनुबंधित शरणार्थी दर्जा: अगर पिता की स्थिति अवैध है, तो बच्चों को विशेष शरणार्थी श्रेणी में रखा जा सकता है।
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक कानूनी पेच नहीं, बल्कि एक नरमी और संवेदनशीलता की परीक्षा है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में बच्चों को उनके माता-पिता की नागरिकता या वैवाहिक स्थिति की वजह से दंडित करना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि मानवाधिकारों के भी खिलाफ है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या केंद्र सरकार इन बच्चों के लिए व्यवहारिक और संवेदनशील नीति बनाती है या फिर यह मामला भी फाइलों में दब कर रह जाएगा। पर यह तय है कि इन 9 मासूमों की किस्मत अब दिल्ली के किसी मंत्रालय की कलम की मोहताज बन चुकी है।