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Meta का बड़ा अपडेट: अब नाबालिग नहीं देख पाएंगे Instagram पर आपत्तिजनक कंटेंट

  • April 22, 2025
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अब इंस्टाग्राम पर झूठ बोलकर उम्र छिपाना पहले जितना आसान नहीं होगा। खासतौर पर उन बच्चों और किशोरों (टीनएजर्स) के लिए जो अपनी असली उम्र छिपाकर सोशल मीडिया

Meta का बड़ा अपडेट: अब नाबालिग नहीं देख पाएंगे Instagram पर आपत्तिजनक कंटेंट

अब इंस्टाग्राम पर झूठ बोलकर उम्र छिपाना पहले जितना आसान नहीं होगा। खासतौर पर उन बच्चों और किशोरों (टीनएजर्स) के लिए जो अपनी असली उम्र छिपाकर सोशल मीडिया पर वयस्क (एडल्ट) बनने की कोशिश करते हैं, उनके लिए इंस्टाग्राम अब और ज्यादा सख्त हो गया है। दरअसल, Meta कंपनी ने इंस्टाग्राम को और भी अधिक सुरक्षित बनाने के लिए एक नई तकनीक को अपनाया है, जिसमें अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद ली जा रही है।

यह कदम खासकर बच्चों की डिजिटल सुरक्षा को बेहतर बनाने के मकसद से उठाया गया है। आजकल सोशल मीडिया पर बच्चों की मौजूदगी तेजी से बढ़ रही है और यह जरूरी हो गया है कि वे एक सुरक्षित माहौल में इंटरनेट का इस्तेमाल करें। इसी उद्देश्य से Meta ने यह पहल की है।

कैसे काम करेगा नया AI सिस्टम?

अब अगर कोई यूज़र इंस्टाग्राम पर अपनी उम्र 18 साल से ऊपर बताता है, तो उस पर खास नजर रखी जाएगी। AI टेक्नोलॉजी यह विश्लेषण करेगी कि वह व्यक्ति वाकई में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का है या सिर्फ वयस्क कंटेंट तक पहुंचने के लिए अपनी उम्र को झूठा बता रहा है।

AI तकनीक यूज़र की फोटो, चेहरे के फीचर्स, उसके व्यवहार, एक्टिविटी पैटर्न और ऐप पर बिताए गए समय जैसे कई संकेतों का उपयोग करके उसकी वास्तविक उम्र का अनुमान लगाएगी। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई यूज़र लगातार बच्चों से जुड़ा कंटेंट देख रहा है, या उसकी तस्वीरों में वह कम उम्र का लग रहा है, तो AI उसे संदिग्ध मान सकता है।

अगर सिस्टम को किसी यूज़र की उम्र को लेकर शक होता है, तो इंस्टाग्राम उस व्यक्ति से फेस स्कैन या फिर कोई सरकारी उम्र प्रमाण पत्र (जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि) अपलोड करने के लिए कह सकता है। यदि यह पता चलता है कि यूज़र की असली उम्र 18 साल से कम है, तो उसका अकाउंट स्वचालित रूप से टीनेज अकाउंट में बदल दिया जाएगा।

क्या होता है ‘टीनेज अकाउंट’?

टीनेज अकाउंट, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, खासकर किशोरों के लिए बनाया गया है। इस तरह के अकाउंट पूरी तरह से प्राइवेट होते हैं। इसका मतलब यह है कि उस यूज़र की प्रोफाइल, उसकी पोस्ट्स और फोटोज केवल उन्हीं लोगों को दिखाई देंगी, जिनसे वह पहले से जुड़ा हुआ है या जिनको उसने खुद फॉलो किया है।

इस तरह के अकाउंट्स पर कोई भी अनजान व्यक्ति मैसेज नहीं भेज सकता, जिससे बच्चों को ऑनलाइन शोषण और परेशानियों से बचाया जा सके। इसके अलावा, इंस्टाग्राम इन अकाउंट्स को संवेदनशील कंटेंट जैसे कि हिंसा, नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच), या कॉस्मेटिक सर्जरी से जुड़े पोस्ट्स से भी दूर रखता है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि किशोरों को ऐसा कोई कंटेंट न दिखाई दे जो उनके मानसिक या भावनात्मक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाले।

समय की पाबंदी और Sleep Mode

Meta द्वारा बच्चों की स्क्रीन टाइम की आदतों पर नियंत्रण रखने के लिए भी एक नया फीचर जोड़ा गया है। अगर कोई किशोर दिन में एक घंटे से ज्यादा समय तक इंस्टाग्राम चलाता है, तो उसे एक रिमाइंडर मिलेगा जो उसे ब्रेक लेने का सुझाव देगा।

इसके अलावा, रात 10 बजे से सुबह 7 बजे तक इंस्टाग्राम Sleep Mode को अपने आप एक्टिव कर देगा। इस दौरान यूज़र को कोई भी नोटिफिकेशन नहीं मिलेगा, जिससे उसकी नींद में कोई खलल न पड़े। इससे बच्चों को बेहतर नींद मिल सकेगी और वे अगला दिन तरोताजा होकर शुरू कर सकें।

ऐप स्टोर्स की भी होगी जिम्मेदारी

Meta का मानना है कि केवल सोशल मीडिया कंपनियों की ही नहीं, बल्कि ऐप स्टोर्स की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे यह सुनिश्चित करें कि नाबालिग (13 वर्ष से कम उम्र) बच्चे ऐसे प्लेटफॉर्म्स तक आसानी से न पहुंच पाएं। इसके लिए Meta चाहती है कि गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर जैसे प्लेटफॉर्म्स भी यूज़र की उम्र की सख्ती से जांच करें।

अगर सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स साथ मिलकर काम करें तो यह तय किया जा सकता है कि 13 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल न कर सकें, क्योंकि यह उम्र ग्रोथ, सीखने और मानसिक विकास की होती है, ना कि सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने की।

बच्चों की सुरक्षा बनी प्राथमिकता

हाल के कुछ वर्षों में सोशल मीडिया कंपनियों पर यह आरोप लगे हैं कि वे बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं। कई घटनाएं ऐसी सामने आईं, जिनमें बच्चों को ऑनलाइन परेशान किया गया या गलत कंटेंट की वजह से उन्हें मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ा।

Meta ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों की डिजिटल सेफ्टी उसकी टॉप प्रायोरिटी है। नए AI फीचर के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चे ऑनलाइन स्पेस में सुरक्षित रहें और उन्हें ऐसा कोई अनुभव न हो जो उनके लिए नुकसानदायक हो।

निष्कर्ष

अब समय आ गया है कि हम सभी—माता-पिता, शिक्षक, तकनीकी कंपनियां और सरकार—मिलकर बच्चों को एक सुरक्षित डिजिटल माहौल देने की दिशा में कदम बढ़ाएं। इंस्टाग्राम का नया AI फीचर इसी दिशा में एक बड़ा और जरूरी कदम है। इसलिए अगर आप खुद एक टीनएजर हैं, या आपके परिवार में कोई किशोर इंस्टाग्राम चला रहा है, तो यह समझना जरूरी है कि अब उम्र छिपाकर या झूठ बोलकर इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करना आसान नहीं रह गया है।

Meta की इस पहल से उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और भी जिम्मेदारी से बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे।

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