Kinley Soda wins by selling Rs 1500 crore, पेप्सी-कोला को छोड़ा पीछे
- April 26, 2025
- 0
भारत का सॉफ्ट ड्रिंक बाजार तेज़ी से बदल रहा है। जहां पहले कोल्ड ड्रिंक्स का मतलब पेप्सी या कोका-कोला जैसे मीठे कार्बोनेटेड ड्रिंक हुआ करते थे, वहीं अब
भारत का सॉफ्ट ड्रिंक बाजार तेज़ी से बदल रहा है। जहां पहले कोल्ड ड्रिंक्स का मतलब पेप्सी या कोका-कोला जैसे मीठे कार्बोनेटेड ड्रिंक हुआ करते थे, वहीं अब
भारत का सॉफ्ट ड्रिंक बाजार तेज़ी से बदल रहा है। जहां पहले कोल्ड ड्रिंक्स का मतलब पेप्सी या कोका-कोला जैसे मीठे कार्बोनेटेड ड्रिंक हुआ करते थे, वहीं अब लोगों की पसंद में विविधता आई है। ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, कोका-कोला का प्रोडक्ट किनले सोडा लोगों की पहली पसंद बन चुका है। वित्त वर्ष 2023-24 में किनले सोडा ने अकेले ₹1,500 करोड़ से अधिक की बिक्री की है। यह आंकड़ा न सिर्फ पेप्सी कोला जैसे दिग्गज ब्रांड को पीछे छोड़ता है, बल्कि भारत में सोडा कैटेगरी की बढ़ती लोकप्रियता को भी दर्शाता है।
किनले सोडा की यह रिकॉर्डतोड़ परफॉर्मेंस बताती है कि भारत में सोडा अब केवल एक मिक्सर ड्रिंक नहीं, बल्कि एक स्टैंडअलोन प्रोडक्ट के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। लोग इसे कोल्ड ड्रिंक्स के हेल्दी और हल्के विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
ब्रांड की यह सफलता अचानक नहीं आई है। कोका-कोला इंडिया ने किनले के प्रचार-प्रसार में विशेष रणनीति अपनाई — ब्रांडिंग, मार्केटिंग और वितरण नेटवर्क पर विशेष ध्यान दिया गया, जिससे यह शहरों से लेकर गांवों तक हर जगह उपलब्ध हो सका।
किनले की इस सफलता ने पेप्सी कोला और अन्य सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड्स को बड़ा झटका दिया है। जहां पेप्सी अब भी पारंपरिक कोल्ड ड्रिंक मार्केट पर निर्भर है, वहीं कोका-कोला ने स्मार्ट तरीके से सोडा सेगमेंट में निवेश करके बाजार पर कब्जा किया है।
यह बात साफ हो गई है कि जो ब्रांड समय के साथ खुद को ढालेंगे, वही बाजार में टिक पाएंगे। किनले सोडा इसका बेहतरीन उदाहरण बन चुका है।
भारत का सॉफ्ट ड्रिंक उद्योग ₹60,000 करोड़ से अधिक का है और इसमें हर साल तेज़ी से ग्रोथ देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में सोडा कैटेगरी 15-20% सालाना दर से बढ़ेगी।
इसके पीछे मुख्य वजह है उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता, बदलती जीवनशैली, और हेल्दी ऑप्शन्स की ओर झुकाव। किनले जैसे ब्रांड्स जो इन बदलते ट्रेंड्स को समझते हैं, उन्हें इसका सीधा फायदा मिल रहा है।
कोका-कोला इंडिया ने यह सफलता केवल किनले के दम पर नहीं पाई, बल्कि उन्होंने अपने पूरे पोर्टफोलियो को रीफ्रेश किया है। किनले की पैकेजिंग, विज्ञापन, सोशल मीडिया कैंपेन और ऑफलाइन ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान दिया गया।
इसके अलावा कंपनी ने रेस्तरां, बार, होटल्स और कैफे जैसी जगहों के साथ टाई-अप कर किनले को एक प्रीमियम मिक्सर ब्रांड के रूप में भी स्थापित किया है।
1,500 करोड़ रुपये की बिक्री केवल एक आंकड़ा नहीं, यह उस ट्रेंड की शुरुआत है जिसमें लोग अब पारंपरिक सॉफ्ट ड्रिंक्स से हटकर नए विकल्पों की ओर देख रहे हैं। किनले सोडा ने यह दिखा दिया है कि क्वालिटी, स्ट्रैटेजी और डिस्ट्रीब्यूशन के दम पर कोई भी ब्रांड बाजार में छा सकता है।
अब देखना होगा कि आने वाले समय में पेप्सी और अन्य प्रतिस्पर्धी ब्रांड इस चुनौती का जवाब कैसे देते हैं। फिलहाल तो साफ है – भारत ने किनले सोडा को दिल से अपना लिया है।