The Country’s Foreign Debt Increased By $265 Billion in The Last 10 Years : सरकारी आंकड़े चौंकाने वाले
March 25, 2025
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भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में देश पर विदेशी कर्ज में भारी वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय ने लोकसभा में दिए
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में देश पर विदेशी कर्ज में भारी वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय ने लोकसभा में दिए गए जवाब में बताया कि मार्च 2014 में भारत का विदेशी कर्ज 446.2 बिलियन डॉलर था, जो सितंबर 2024 तक बढ़कर 711.8 बिलियन डॉलर हो गया है। यानी, पिछले 10 सालों में देश पर 265 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त कर्ज चढ़ गया है।
कर्ज बढ़ने के साथ ब्याज का बोझ भी बढ़ा
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी कर्ज पर दिए जाने वाले ब्याज में भी भारी उछाल आया है। 2013-14 में भारत ने विदेशी कर्ज पर 11.20 बिलियन डॉलर का ब्याज चुकाया था, जबकि 2023-24 में यह रकम बढ़कर 27.10 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई है। यह दर्शाता है कि देश पर न केवल कर्ज का बोझ बढ़ रहा है, बल्कि उस पर लगने वाला ब्याज भी तेजी से बढ़ रहा है।
विपक्ष का सरकार पर हमला
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी (SP) और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में जितना कुल विदेशी कर्ज था, उसका लगभग 50% एनडीए सरकार के पिछले 10 वर्षों में बढ़ गया है।
विपक्ष का कहना है कि सरकार लगातार विदेशों से कर्ज लेकर देश की अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल रही है। उनके अनुसार, इस कर्ज का असर आम नागरिकों पर पड़ रहा है और हर भारतीय पर हजारों रुपए का कर्ज बढ़ता जा रहा है।
सरकार का रुख क्या है?
सरकार की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि विदेशी कर्ज का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, रेलवे, हाईवे, डिजिटल इंडिया और अन्य विकासात्मक परियोजनाओं में किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि यह कर्ज देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए जरूरी है और इससे भविष्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
हालाँकि, आलोचकों का मानना है कि अगर कर्ज की रकम इसी तरह बढ़ती रही, तो भविष्य में देश को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
पिछले एक दशक में भारत का विदेशी कर्ज लगभग 60% बढ़ चुका है, जिससे देश की आर्थिक स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जहाँ सरकार इसे विकास के लिए जरूरी बताती है, वहीं विपक्ष इसे आने वाली पीढ़ियों पर बोझ बताकर आलोचना कर रहा है। अब यह देखना होगा कि आने वाले वर्षों में सरकार इस कर्ज को कैसे नियंत्रित करती है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए क्या कदम उठाती है।