The Bhootni Movie Review: संजय दत्त का भूतिया अंदाज़ फेल, मज़ा नहीं आया
- May 1, 2025
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बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों के दर्शकों की कोई कमी नहीं है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हॉरर-कॉमेडी का अनोखा मिश्रण खासा पसंद किया जाने लगा है। इसी ट्रेंड
बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों के दर्शकों की कोई कमी नहीं है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हॉरर-कॉमेडी का अनोखा मिश्रण खासा पसंद किया जाने लगा है। इसी ट्रेंड
बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों के दर्शकों की कोई कमी नहीं है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हॉरर-कॉमेडी का अनोखा मिश्रण खासा पसंद किया जाने लगा है। इसी ट्रेंड को आगे बढ़ाते हुए संजय दत्त लेकर आए हैं अपनी नई फिल्म ‘द भूतनी‘। हालांकि, यह फिल्म ‘स्त्री’ जैसी दमदार नहीं है, लेकिन संजय दत्त की मौजूदगी इसे मनोरंजक बनाती है। खासकर बच्चों को यह फिल्म अधिक पसंद आ सकती है। आइए जानते हैं फिल्म की कहानी और बाकी पहलुओं के बारे में।
फिल्म की शुरुआत होती है एक रहस्यमयी पेड़ से, जिसे ‘वर्जिन ट्री’ कहा जाता है। सेंट विंसेंट कॉलेज में स्थित इस पेड़ को लोग शापित मानते हैं क्योंकि हर वैलेंटाइन डे पर इस पेड़ पर रहने वाली एक भूतनी जाग जाती है। वह सच्चे प्यार की तलाश में हर साल एक लड़के को अपना निशाना बनाती है, जो होली के दिन मारा जाता है। इस बार उसका टारगेट बना है शांतनु (सनी सिंह)। कॉलेज प्रशासन इस भूतनी से निपटने के लिए बुलाता है घोस्टबस्टर कृष्णा त्रिपाठी (संजय दत्त) को। अब क्या संजय दत्त इस भूतनी का अंत कर पाएंगे या फिर कहानी लेगी नया मोड़ – यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म में डर कम और कॉमेडी ज्यादा है, जिससे यह अधूरी लगती है। ‘स्त्री’ और ‘मुंजा’ जैसी फिल्मों से तुलना करें तो ‘द भूतनी’ डरावने तत्वों में काफी पीछे है। मौनी रॉय की चीखों से हॉरर लाने की कोशिश की गई है, लेकिन वो असरदार नहीं लगतीं। हालांकि, फिल्म की कॉमेडी और संजय दत्त का एक्शन इसे संभाल लेते हैं। यह फिल्म दिमाग लगाकर नहीं, दिमाग हटाकर देखने वाली है। फर्स्ट हाफ थोड़ा बोर करता है, लेकिन सेकंड हाफ में फिल्म पकड़ बनाती है।
निर्देशक सिद्धांत कुमार सचदेव ने इस फिल्म को लिखा और निर्देशित किया है। वंकुश अरोड़ा ने उनके साथ मिलकर स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स लिखे हैं। वंकुश ने ‘कॉमेडी सर्कस’ में काम किया है और उनके डायलॉग्स यहां भी असर छोड़ते हैं, लेकिन कमजोर शुरुआत के कारण उनका असर कम हो जाता है। फिल्म की कहानी दिलचस्प हो सकती थी, अगर 20 मिनट की गैरज़रूरी शुरुआत से बचा जाता। संजय दत्त की लेट एंट्री के बाद फिल्म थोड़ी दमदार लगती है।
संजय दत्त हमेशा की तरह इस फिल्म में भी जान डालते हैं। वे ऐसे किरदार में भी विश्वास दिला देते हैं, जो तर्कसंगत न भी लगे। उनका एक्शन और कॉमिक टाइमिंग फिल्म को संभाल लेता है। सनी सिंह खास असर नहीं छोड़ पाते। पलक तिवारी ने कम स्क्रीन टाइम में भी अच्छा प्रदर्शन किया है और मौनी रॉय से बेहतर लगी हैं। आसिफ खान और निकुंज शर्मा भी सरप्राइज पैकेज हैं। निकुंज खासकर अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं।
‘द भूतनी’ एक बार देखने लायक फिल्म है, खासकर संजय दत्त के फैंस के लिए। बच्चों के लिए यह फिल्म मनोरंजक हो सकती है क्योंकि हॉरर का स्तर उनके लिहाज से ठीक है। हालांकि, ओटीटी पर मौजूद बढ़िया कंटेंट के मुकाबले यह फिल्म बहुत मजबूत नहीं लगती। इसमें न तो ‘मडगांव एक्सप्रेस’ जैसी लगातार कॉमेडी है और न ही ‘स्त्री’ जैसी सामाजिक संदेश देने की कोशिश। फिर भी ‘बाबा’ के फैन्स के लिए यह फिल्म थिएटर में देखना बनता है।
फिल्म का नाम: द भूतनी
निर्देशक: सिद्धांत कुमार
सचदेव कलाकार: संजय दत्त, मौनी रॉय, सनी सिंह
रिलीज: थिएटर में
रेटिंग: 3 स्टार
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