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Tahawwur Rana in NIA Custody for 18 Days: क्या अब खुलेंगे 26/11 हमले के सभी राज़?

  • April 11, 2025
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2008 का मुंबई हमला भारत के इतिहास में सबसे घातक और दर्दनाक आतंकी हमलों में से एक रहा है। इस हमले में 166 लोगों की जान गई और

Tahawwur Rana in NIA Custody for 18 Days: क्या अब खुलेंगे 26/11 हमले के सभी राज़?

2008 का मुंबई हमला भारत के इतिहास में सबसे घातक और दर्दनाक आतंकी हमलों में से एक रहा है। इस हमले में 166 लोगों की जान गई और सैकड़ों लोग घायल हुए। इसके मास्टरमाइंडों में से एक तहव्वुर हुसैन राणा, जो लंबे समय से मोस्ट वांटेड लिस्ट में था, आखिरकार भारत की सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लग गया है। अब कोर्ट के आदेश पर उसे 18 दिन की NIA कस्टडी में भेजा गया है। माना जा रहा है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद 26/11 से जुड़े कई बड़े राज़ सामने आ सकते हैं।

तहव्वुर राणा कौन है?

तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। वह पेशे से डॉक्टर रह चुका है और अमेरिका में एक इमीग्रेशन सेवा चलाता था। उसी सेवा के माध्यम से डेविड कोलमैन हेडली को भारत में बिजनेस वीजा दिलाया गया था, जिसने 26/11 हमले से पहले भारत में रेकी की थी।

राणा और हेडली की दोस्ती पाकिस्तान में आर्मी स्कूल से शुरू हुई थी, और बाद में दोनों की राहें आतंकवाद के रास्ते पर जा मिलीं।

अमेरिका से भारत लाने की लंबी कानूनी प्रक्रिया

राणा को अमेरिका में 2009 में गिरफ्तार किया गया था और 2011 में अमेरिकी अदालत ने उसे डेविड हेडली के साथ साजिश रचने का दोषी ठहराया। हालांकि 26/11 के लिए उसे दोषी नहीं ठहराया गया था, क्योंकि उस समय अमेरिका को पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे।

भारत ने 2020 में अमेरिका से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की और यह प्रक्रिया काफी लंबी चली। अंततः अमेरिकी अदालत ने उसे भारत को सौंपने की अनुमति दे दी, जिसके बाद उसे दिल्ली लाया गया।

Tahawwur Rana in NIA Custody

पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी और NIA की कस्टडी

6 अप्रैल 2025 को तहव्वुर राणा को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई बंद कमरे में हुई और यह कार्यवाही देर रात तक चली। NIA (National Investigation Agency) ने कोर्ट से 20 दिन की रिमांड की मांग की, लेकिन जज चंद्रजीत सिंह ने 18 दिन की कस्टडी मंजूर की।

इस दौरान एजेंसी को उम्मीद है कि वह राणा से 26/11 के पूरे नेटवर्क, पाकिस्तान की ISI की भूमिका, और अन्य स्लीपर सेल्स के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेगी।

क्या-क्या उगल सकता है राणा?

विशेषज्ञों और सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी से निम्नलिखित जानकारी निकल सकती है:

1. ISI की भूमिका

राणा से ISI (Inter-Services Intelligence, Pakistan) की भूमिका के बारे में पूछताछ की जाएगी। क्या ISI ने उसे निर्देश दिए थे? किन-किन अधिकारियों के साथ उसका संपर्क था?

2. हेडली के मिशन की पूरी जानकारी

हेडली ने भारत में कहां-कहां रेकी की? किन लोगों से मिला? और राणा की इसमें क्या भूमिका थी?

3. अन्य साजिशों का खुलासा

क्या राणा सिर्फ 26/11 तक सीमित था या वह अन्य आतंकी हमलों की भी योजना में शामिल था?

4. फंडिंग और लॉजिस्टिक्स

कौन फंड कर रहा था इन ऑपरेशन्स को? किस माध्यम से पैसा ट्रांसफर किया गया? और किन एजेंसियों या व्यक्तियों ने लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया?

राणा की गिरफ्तारी का अंतरराष्ट्रीय महत्व

भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आरोप लगाता रहा है कि 26/11 हमला वहां की जमीन से प्लान हुआ और ISI की सीधी भूमिका थी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबूतों की कमी के कारण पाकिस्तान को सीधे तौर पर दोषी ठहराना मुश्किल रहा।

अब राणा की कस्टडी से मिले बयान और सबूत भारत के अंतरराष्ट्रीय केस को मजबूत कर सकते हैं, खासकर UN, FATF और इंटरपोल जैसी संस्थाओं के सामने।

राजनैतिक और कूटनीतिक असर

राणा की गिरफ्तारी और भारत लाना एक बड़ा डिप्लोमैटिक विक्ट्री मानी जा रही है। अमेरिका की मदद से भारत ने यह दिखाया कि वह आतंक के खिलाफ वैश्विक सहयोग के लिए गंभीर है।

इसके अलावा, यह केस भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को और तनावपूर्ण बना सकता है, खासकर अगर राणा की जांच में ISI या पाक सरकार की सीधी संलिप्तता साबित होती है।

NIA की चुनौतियाँ

हालांकि तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी एक बड़ी सफलता है, लेकिन NIA के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ होंगी:

  • राणा को गवाही देने के लिए तैयार करना
  • उसके बयानों को कोर्ट में प्रमाणिक बनाना
  • विदेश में रहने के कारण हुए लॉजिस्टिक गैप्स को भरना
  • अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकारों का पालन करते हुए पूछताछ करना

पीड़ितों के लिए उम्मीद की किरण

जिन परिवारों ने 26/11 हमले में अपने प्रियजनों को खोया, उनके लिए यह गिरफ्तारी न्याय की दिशा में एक नया कदम है। राणा जैसे मास्टरमाइंड को भारत की अदालत में लाकर सजा दिलाना पीड़ितों को कुछ हद तक मानसिक राहत देगा।

निष्कर्ष

तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी और NIA की कस्टडी में भेजा जाना एक ऐतिहासिक कदम है यह केस भारत की आतंकवाद के खिलाफ जंग को नई दिशा दे सकता है। आने वाले 18 दिन NIA के लिए बेहद अहम होंगे, क्योंकि यही समय है जब राणा से 26/11 से जुड़े कई अनसुलझे रहस्य सामने आ सकते हैं।

आशा की जा रही है कि तहव्वुर राणा का सच भारत को न्याय के और करीब ले जाएगा — न सिर्फ 26/11 के शहीदों और पीड़ितों के लिए, बल्कि आतंक के खिलाफ खड़े हर देश के लिए भी।

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