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भारत को मिला 2.69 लाख करोड़ का डिविडेंड: अमेरिका-पाकिस्तान का प्लान फेल, अर्थव्यवस्था को मिला बूस्ट

  • May 24, 2025
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भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह साल एक बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड देने

भारत को मिला 2.69 लाख करोड़ का डिविडेंड: अमेरिका-पाकिस्तान का प्लान फेल, अर्थव्यवस्था को मिला बूस्ट

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह साल एक बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड देने की घोषणा की है। यह न केवल सरकार की अपेक्षाओं से अधिक है, बल्कि पिछले 9 वर्षों की तुलना में लगभग 9 गुना अधिक वृद्धि भी दर्शाता है। इस कदम से सरकार के वित्तीय मोर्चे को ताकत मिलेगी, और साथ ही वैश्विक चुनौतियों जैसे अमेरिका की टैरिफ नीति और पाकिस्तान की रणनीतियों को करारा जवाब भी मिलेगा।

RBI के रिकॉर्ड डिविडेंड की अहमियत

RBI का यह डिविडेंड वित्त वर्ष 2024-25 के लिए है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 27.4% अधिक है। वर्ष 2023-24 में सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपए का डिविडेंड मिला था, जबकि 2022-23 में यह मात्र 87,416 करोड़ था। इससे यह स्पष्ट होता है कि RBI की आय और आर्थिक प्रबंधन दोनों मजबूत स्थिति में हैं। यह डिविडेंड केंद्र सरकार को राजकोषीय घाटा कम करने, योजनाओं में निवेश बढ़ाने और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगा।

RBI gave it to the government

अमेरिका और पाकिस्तान का प्लान फेल?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के सामने कई चुनौतियां रही हैं। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से भारतीय एक्सपोर्टर्स को नुकसान होने की आशंका जताई जा रही थी। वहीं पाकिस्तान की ओर से सीमा पर तनाव और युद्ध जैसी स्थिति को हवा दी जा रही थी। लेकिन RBI से मिले इस डिविडेंड से भारत को अपने रक्षा खर्चों और आर्थिक योजनाओं में आत्मनिर्भर बनने में मजबूती मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करने की अमेरिका और पाकिस्तान की रणनीति अब पूरी तरह फेल हो चुकी है। भारत अब बाहरी दबावों से निपटने में पहले से कहीं अधिक सक्षम हो गया है।

संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचा (ECF) का प्रभाव

RBI ने इस डिविडेंड का निर्धारण अपने संशोधित Economic Capital Framework (ECF) के आधार पर किया है। इसमें आकस्मिक जोखिम बफर (Contingency Risk Buffer – CRB) को 7.5% तक बढ़ा दिया गया है। यह निर्णय एक दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिससे RBI भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए बेहतर रूप से तैयार रहेगा।

वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक CRB को 5.5% पर रखा गया था, जो अब बढ़कर 7.5% हो चुका है। इसका अर्थ यह है कि RBI की बैलेंस शीट और भी मजबूत हो गई है, जिससे उसे सरकार को अधिक डिविडेंड देने में आसानी हो रही है।

वित्तीय अनुशासन और आत्मनिर्भर भारत की दिशा

सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को GDP के 4.4% तक लाना है। RBI से मिला डिविडेंड इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। रेटिंग एजेंसी ICRA की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, यह डिविडेंड अनुमान से 40,000-50,000 करोड़ अधिक है, जिससे सरकार को खर्च बढ़ाने या करों में राहत देने की गुंजाइश मिलेगी।

पाकिस्तान को मिलने वाली मदद से कई गुना ज्यादा

जहां पाकिस्तान IMF और World Bank से बेलआउट पैकेज के लिए हाथ फैलाए खड़ा है, वहीं भारत को अपने केंद्रीय बैंक से ही एक झटके में 31 बिलियन डॉलर (लगभग 2.69 लाख करोड़ रुपए) मिल गए हैं। पाकिस्तान को IMF से 7 बिलियन डॉलर और वर्ल्ड बैंक से 10 वर्षों में 20 बिलियन डॉलर मिलने हैं, जो भारत के मुकाबले कहीं भी नहीं ठहरते।

इससे यह साफ हो जाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था अब विदेशी मदद पर निर्भर नहीं है। भारत अपने संसाधनों और संस्थानों से ही देश के विकास कार्यों को आगे बढ़ा सकता है।

भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में RBI द्वारा दिए जाने वाले डिविडेंड में और वृद्धि हो सकती है। अनुमान है कि अगले कुछ वित्त वर्षों में यह आंकड़ा 3 से 3.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इसका सीधा फायदा सरकार की योजनाओं, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को मिलेगा।

निष्कर्ष

RBI द्वारा भारत सरकार को दिया गया 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड एक ऐतिहासिक कदम है, जिसने देश की आर्थिक स्थिति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है। यह न केवल भारत की वित्तीय आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का डटकर सामना करने की क्षमता भी प्रदर्शित करता है। अमेरिका और पाकिस्तान जैसे देशों की भारत को कमजोर करने की योजनाएं इस डिविडेंड के सामने ध्वस्त होती नजर आ रही हैं।

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