Rafale equipped with Brahmos-NG: भारत की वायु शक्ति को मिलेगा घातक बढ़त, पाकिस्तान की टेंशन बढ़ी
May 3, 2025
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भारत की सुरक्षा रणनीति में एक नया और शक्तिशाली अध्याय जुड़ने जा रहा है। आने वाले समय में भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमानों में ‘ब्रह्मोस-नेक्स्ट जेनरेशन
भारत की सुरक्षा रणनीति में एक नया और शक्तिशाली अध्याय जुड़ने जा रहा है। आने वाले समय में भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमानों में ‘ब्रह्मोस-नेक्स्ट जेनरेशन (NG)’ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल तैनात की जाएगी। यह कदम भारत को न सिर्फ दुश्मनों के खिलाफ सटीक और घातक हमला करने में सक्षम बनाएगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ को भी नई उड़ान देगा। ऐसे समय में जब पाकिस्तान की ओर से सीमा पर तनाव और आतंकी गतिविधियों की आशंका बनी रहती है, यह मिसाइल भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकती है।
क्या है ब्रह्मोस-NG?
ब्रह्मोस-NG, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का उन्नत और हल्का संस्करण है। इसे विशेष रूप से आधुनिक फाइटर जेट्स, मोबाइल प्लेटफॉर्म्स और समुद्री जहाजों से लॉन्च करने के लिए तैयार किया गया है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर और स्पीड Mach 3.5 (लगभग 4170 किमी/घंटा) है, जो इसे दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक बनाती है।
इसका वजन मात्र 1.5 टन है, जो कि मौजूदा ब्रह्मोस से लगभग 50% कम है। इस कारण यह हल्के लड़ाकू विमानों जैसे तेजस Mk1A के साथ-साथ भारी जेट्स जैसे राफेल, मिराज-2000 और सुखोई-30MKI से भी लॉन्च की जा सकती है। इसकी कॉम्पैक्ट बनावट और स्टील्थ तकनीक इसे दुश्मन के रडार से बचने में मदद करती है, जिससे यह सटीक और चुपचाप अपना निशाना साध सकती है।
राफेल और ब्रह्मोस-NG का कॉम्बिनेशन: क्यों है खास?
राफेल फाइटर जेट पहले से ही भारतीय वायुसेना की सबसे एडवांस और मल्टी-रोल क्षमताओं वाली संपत्ति है। यह पाकिस्तान के JF-17 जैसे लड़ाकू विमानों से कई गुना अधिक ताकतवर है। अब जब इसमें ब्रह्मोस-NG जैसी सुपरसोनिक मिसाइल जोड़ी जाएगी, तब यह एक असली ‘स्ट्रैटेजिक स्ट्राइक प्लेटफॉर्म’ बन जाएगा।
एक राफेल जेट दो ब्रह्मोस-NG मिसाइलें एक साथ ले जा सकता है। इसका मतलब है कि एक ही sortie (उड़ान मिशन) में दो अलग-अलग टारगेट्स को तबाह किया जा सकता है। यह क्षमता किसी भी सैन्य ऑपरेशन की सफलता दर को कई गुना बढ़ा देती है।
दुश्मन की सीमा के भीतर, बिना सीमा पार किए हमला
ब्रह्मोस-NG की सबसे खास बात यह है कि यह 290 किलोमीटर दूर तक हमला कर सकती है, वह भी बिना दुश्मन की सीमा को लांघे। इसका अर्थ है कि भारत की सीमा में रहते हुए भी पाकिस्तान के किसी भी आतंकी लॉन्चपैड, सैन्य अड्डे या कमांड सेंटर को चुटकियों में नेस्तनाबूद किया जा सकता है।
इस मिसाइल की सटीकता कमाल की है। इसमें सेमी-एक्टिव लेज़र गाइडेंस और इनर्शियल GPS/GLONASS नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे हाई-प्रिसिशन स्ट्राइक हथियार बनाता है। यही वजह है कि यह दुश्मन के डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर सीधे निशाने पर हमला कर सकती है।
पाकिस्तान की बढ़ी चिंता
पाकिस्तान पहले ही भारत के राफेल बेड़े से चिंतित था। अब जब इन लड़ाकू विमानों में ब्रह्मोस-NG जैसी मिसाइल लगेगी, तो उसकी टेरर-सपोर्टिंग रणनीति को करारा झटका लगेगा। भारत की वायुसीमा में किसी भी घुसपैठ या आतंकी प्रयास का जवाब अब और भी सटीक, तेज़ और घातक होगा।
यह मिसाइल सिर्फ वायुसेना के लिए ही नहीं, बल्कि नौसेना और थल सेना के लिए भी उपयुक्त है। यह एयर-लॉन्च, लैंड-बेस्ड और शिप-बेस्ड तीनों वर्जन में उपलब्ध होगी, जिससे भारत की रक्षा प्रणाली में ‘थल, जल, नभ’ तीनों स्तरों पर भारी ताकत जुड़ जाएगी।
2026 में परीक्षण, लखनऊ से होगा निर्माण
ब्रह्मोस-NG का पहला परीक्षण 2026 में निर्धारित है। इसका निर्माण उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बन रहे ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर में किया जाएगा। यह भारत की मिसाइल निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा। यह सेंटर न केवल देश की सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि रक्षा निर्यात के रास्ते भी खोलेगा।
मेक इन इंडिया को मिलेगा बूस्ट
डिसाल्ट एविएशन ने राफेल में भारत की स्वदेशी मिसाइल प्रणाली ब्रह्मोस-NG को एकीकृत करने की अनुमति दे दी है। यह एक बड़ी कूटनीतिक और तकनीकी सफलता है, जो भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता को और भी मजबूत बनाएगी। इससे भारतीय रक्षा उद्योग को भी बड़ा बूस्ट मिलेगा और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को नया आयाम मिलेगा।
निष्कर्ष: राफेल लड़ाकू विमानों में ब्रह्मोस-NG की तैनाती भारत के लिए न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है—भारत अब सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर सीमा पार से भी दुश्मन के मंसूबों को ध्वस्त करने में पूरी तरह सक्षम है। यह एक ऐसा कदम है जो पाकिस्तान की चिंता बढ़ा देगा और भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।