News

यूजीसी का सख्त रुख: IIT, IIM और AIIMS समेत कई संस्थानों को रैगिंग पर भेजा नोटिस

  • June 30, 2025
  • 0

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने रैगिंग की बढ़ती घटनाओं और नियमों की अनदेखी पर बड़ा कदम उठाते हुए देशभर के कई प्रतिष्ठित संस्थानों को कारण बताओ नोटिस जारी

यूजीसी का सख्त रुख: IIT, IIM और AIIMS समेत कई संस्थानों को रैगिंग पर भेजा नोटिस

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने रैगिंग की बढ़ती घटनाओं और नियमों की अनदेखी पर बड़ा कदम उठाते हुए देशभर के कई प्रतिष्ठित संस्थानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अब तक जिन संस्थानों को अनुशासन और शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए जाना जाता था, उन्हें भी यूजीसी की सख्ती का सामना करना पड़ रहा है।

क्यों भेजा गया नोटिस?

यूजीसी के अनुसार, देशभर के 89 उच्च शिक्षण संस्थानों ने न तो छात्रों से एंटी-रैगिंग शपथपत्र लिया और न ही तय समय सीमा में अनुपालन हलफनामा जमा किया। नियमों के अनुसार, हर सत्र की शुरुआत में नए और पुराने छात्रों तथा अभिभावकों से रैगिंग के खिलाफ डिक्लरेशन लेना अनिवार्य है।

डिफॉल्टर लिस्ट में कौन-कौन से बड़े नाम?

डिफॉल्टर लिस्ट में शामिल प्रमुख संस्थानों में शामिल हैं:

  • IIT खड़गपुर
  • IIT बॉम्बे
  • IIT हैदराबाद
  • IIT पलक्कड़
  • IIM मुंबई
  • IIM रोहतक
  • IIM तिरुचिरापल्ली
  • AIIMS रायबरेली
  • राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (NID)
  • एनआईपीईआर हैदराबाद
  • अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU)
  • नालंदा विश्वविद्यालय
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU)
  • भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता

इन बड़े नामों का इस सूची में होना छात्रों और अभिभावकों के लिए बेहद चौंकाने वाला है।

यूजीसी सचिव ने क्या कहा?

यूजीसी सचिव डॉ. मनीष जोशी के अनुसार, आयोग ने बार-बार इन संस्थानों को रिमाइंडर और चेतावनियां भेजीं। यहां तक कि एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन और निगरानी एजेंसी ने भी संस्थानों को समय रहते अलर्ट किया था। फिर भी, इन संस्थानों ने न तो अनिवार्य शपथपत्र लिया और न ही ऑनलाइन अनुपालन रिपोर्ट जमा की। डॉ. जोशी ने इसे न सिर्फ यूजीसी नियमों की अनदेखी बताया, बल्कि छात्रों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी करार दिया।

रैगिंग के खिलाफ यूजीसी के नियम

रैगिंग

यूजीसी ने 2009 में एंटी-रैगिंग रेगुलेशन लागू किया था। इसके तहत सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को हर सत्र की शुरुआत में छात्रों और अभिभावकों से रैगिंग के खिलाफ लिखित घोषणा लेना अनिवार्य है। इसका उद्देश्य छात्रों को एक सुरक्षित और सम्मानजनक शैक्षणिक वातावरण प्रदान करना है।

पालन न करने पर क्या होगी सजा?

यूजीसी ने चेतावनी दी है कि यदि इन संस्थानों ने अगले 30 दिनों में नियमों का पालन नहीं किया, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें शामिल हैं:

  • संस्थान की फंडिंग रोकना
  • मान्यता रद्द करना
  • रिसर्च प्रोजेक्ट्स और वित्तीय सहायता बंद करना
  • एफिलिएशन समाप्त करना

इस तरह की कड़ी कार्रवाई से संस्थानों पर आर्थिक और शैक्षिक दोनों स्तर पर बड़ा असर पड़ेगा।

क्यों जरूरी है एंटी-रैगिंग शपथपत्र?

रैगिंग के कारण कई छात्र मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित होते हैं। कई बार तो छात्र आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं। ऐसे मामलों को रोकने के लिए एंटी-रैगिंग शपथपत्र अनिवार्य किया गया है, ताकि संस्थानों में भयमुक्त और सौहार्दपूर्ण माहौल सुनिश्चित किया जा सके।

संस्थानों के लिए चेतावनी और अवसर

यह नोटिस उन संस्थानों के लिए एक सख्त चेतावनी भी है और सुधार का मौका भी। संस्थानों को यह समझना होगा कि छात्रों की सुरक्षा और मानसिक शांति उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। यदि वे इसमें चूक करते हैं, तो न सिर्फ उनकी छवि खराब होगी बल्कि उन्हें कानूनी और वित्तीय नुकसान भी झेलना पड़ेगा।

छात्रों और अभिभावकों की भूमिका

छात्रों और अभिभावकों को भी सजग रहना होगा और संस्थानों से समय-समय पर रैगिंग-रोधी नीतियों की जानकारी लेनी चाहिए। अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई कर रहे हैं और संस्थान सभी नियमों का पालन कर रहा है।

निष्कर्ष: सुरक्षित शिक्षा का अधिकार

यूजीसी की इस कार्रवाई से स्पष्ट संकेत मिलता है कि रैगिंग जैसी घटनाओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी छात्रों को एक सुरक्षित, सम्मानजनक और प्रेरणादायक माहौल मिलना ही चाहिए।

यह भी पढ़ें: कोलकाता लॉ कॉलेज केस: सुरक्षा गार्ड गिरफ्तार, जांच में नया मोड़

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्न 1: एंटी-रैगिंग शपथपत्र क्या होता है?

एंटी-रैगिंग शपथपत्र वह लिखित दस्तावेज़ होता है, जिसमें छात्र और उसके अभिभावक यह वचन देते हैं कि छात्र किसी भी तरह की रैगिंग में शामिल नहीं होगा और अगर उसे रैगिंग का सामना करना पड़े तो वह संस्थान या संबंधित अधिकारियों को तुरंत सूचित करेगा।

प्रश्न 2: रैगिंग के खिलाफ यूजीसी के नियम कब लागू किए गए थे?

यूजीसी ने एंटी-रैगिंग रेगुलेशन 2009 में लागू किए थे। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों के लिए सुरक्षित और सौहार्दपूर्ण माहौल सुनिश्चित करना है।

प्रश्न 3: अगर कोई संस्थान रैगिंग के नियमों का पालन नहीं करता तो क्या कार्रवाई हो सकती है?

यदि कोई संस्थान नियमों का पालन नहीं करता, तो यूजीसी उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है। इसमें फंडिंग रोकना, मान्यता रद्द करना, रिसर्च प्रोजेक्ट्स की सहायता बंद करना और एफिलिएशन समाप्त करना शामिल है।

प्रश्न 4: क्या केवल नए छात्रों को शपथपत्र देना होता है?

नहीं। सभी छात्रों (नए और पुराने) और उनके अभिभावकों को प्रत्येक शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में यह शपथपत्र भरना अनिवार्य होता है।

प्रश्न 5: रैगिंग की शिकायत कहां की जा सकती है?

रैगिंग की शिकायत संस्थान के एंटी-रैगिंग कमेटी, यूजीसी एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन (1800-180-5522), या ऑनलाइन पोर्टल पर की जा सकती है। छात्र ईमेल या टेलीफोन के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *