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बीयर और सस्ती शराब के दामों में इजाफा: इस राज्य के पीने के शौकीनों को लगा बड़ा झटका

  • May 15, 2025
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भारत के एक राज्य में शराब पीने के शौकीनों को अब अपना शौक पूरा करने के लिए जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। राज्य सरकार ने हाल ही में

बीयर और सस्ती शराब के दामों में इजाफा: इस राज्य के पीने के शौकीनों को लगा बड़ा झटका

भारत के एक राज्य में शराब पीने के शौकीनों को अब अपना शौक पूरा करने के लिए जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। राज्य सरकार ने हाल ही में बीयर और देसी शराब (IMFL – Indian Made Foreign Liquor) पर Additional Excise Duty (AED) बढ़ाने का ऐलान किया है। इस कदम के बाद राज्य में शराब की कीमतों में सीधे तौर पर इजाफा देखा जा रहा है।

यह फैसला उस समय लिया गया है जब महंगाई पहले ही आम जनता की कमर तोड़ रही है। अब इस निर्णय से खासकर मिडल क्लास और युवा वर्ग प्रभावित होगा जो बीयर या हल्की शराब को वीकेंड पर एंजॉय करने के लिए खरीदते हैं।

beer and cheap liquor

किस राज्य में बढ़ी AED?

यह निर्णय हरियाणा सरकार द्वारा लिया गया है। हरियाणा राज्य ने बजट के दौरान शराब पर लगने वाली एडीशनल एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि की है। इसका सीधा असर बीयर, देसी शराब और कुछ ब्रांडेड शराबों की खुदरा कीमतों पर पड़ रहा है।

नई दरों के लागू होते ही राज्य भर में शराब के दुकानदारों ने नई कीमतें लागू कर दी हैं, जिससे उपभोक्ताओं को एक बोतल बीयर के लिए पहले से 10 से 20 रुपये तक ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। IMFL पर भी ₹30 से ₹100 तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है।

क्यों उठाया गया यह कदम?

हरियाणा सरकार ने अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है। शराब बिक्री से हर साल सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। 2024-25 के लिए सरकार का लक्ष्य है कि वह एक्साइज ड्यूटी से ₹12,500 करोड़ से अधिक की आय करे।
इस टारगेट को हासिल करने के लिए AED को बढ़ाना सरकार के लिए एक अहम उपाय बनकर सामने आया।

इसके अलावा, सरकार यह तर्क भी दे रही है कि इस कदम से राज्य में शराब की अनावश्यक खपत पर भी कुछ हद तक नियंत्रण किया जा सकेगा, जिससे सामाजिक नुकसान कम हो।

बीयर और शराब की नई कीमतें

सरकार द्वारा नई दरें घोषित किए जाने के बाद अब बीयर की एक बोतल ₹130 से बढ़कर ₹150 तक हो सकती है, जबकि IMFL की 750 ml बोतल पर ब्रांड के हिसाब से ₹50 से ₹100 तक की वृद्धि देखी जा रही है। निम्न श्रेणी की देसी शराब जो पहले ₹180 में मिलती थी, अब ₹200 से अधिक में बिक रही है।

यह बढ़ोतरी सभी श्रेणियों की शराबों पर लागू की गई है — बीयर, देसी शराब, प्रीमियम ब्रांड्स, और वाइन सभी शामिल हैं।

आम जनता और कारोबारियों की प्रतिक्रिया

1. उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया:

बढ़ती महंगाई के बीच शराब की कीमतें बढ़ने से लोग नाराज़ हैं। कुछ युवाओं का कहना है कि बीयर जैसी चीजें जो पहले किफायती विकल्प मानी जाती थीं, अब धीरे-धीरे लग्जरी बनती जा रही हैं।

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“हम वीकेंड पर दोस्तों के साथ बैठकर बीयर पीते थे, अब 4 लोगों की छोटी सी पार्टी में ही ₹1000 से ज्यादा खर्च हो जाएंगे,” – गुड़गांव निवासी युवक।

2. ठेका कारोबारियों की चिंता:

दुकानदारों का कहना है कि कीमतें बढ़ने से ग्राहक घट सकते हैं। खासकर सीमावर्ती इलाकों में जहां पंजाब, दिल्ली या राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों से लोग शराब खरीदने आते हैं, वहां बिक्री पर प्रभाव पड़ सकता है।

“लोग अब सीमावर्ती राज्यों से खरीददारी करेंगे क्योंकि वहां कीमतें कम हैं। इससे राज्य को नुकसान हो सकता है,” – अंबाला के एक शराब ठेकेदार की टिप्पणी।

शराब से जुड़ा टैक्स स्ट्रक्चर

भारत में शराब पर केंद्र सरकार कोई टैक्स नहीं लगाती। यह पूरी तरह राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। हर राज्य अपनी नीतियों के अनुसार शराब की बिक्री, मूल्य निर्धारण और टैक्स स्ट्रक्चर तैयार करता है।

हरियाणा में शराब से प्राप्त होने वाला राजस्व कुल राज्य आय का एक बड़ा हिस्सा है। यही वजह है कि राज्य सरकारें समय-समय पर इस पर टैक्स बढ़ाकर अधिक राजस्व जुटाने की कोशिश करती हैं।

क्या हैं इसके सामाजिक प्रभाव?

जहां सरकार इस फैसले को राजस्व बढ़ाने का एक माध्यम मान रही है, वहीं सामाजिक संगठनों का मानना है कि यह एक अच्छा कदम हो सकता है क्योंकि:

  • शराब की कीमतें बढ़ने से खपत में गिरावट आ सकती है।
  • शराब से जुड़ी दुर्घटनाएं, घरेलू हिंसा और अन्य सामाजिक समस्याएं कुछ हद तक नियंत्रित हो सकती हैं।
  • खासकर युवा वर्ग में बीयर और सस्ती शराब की खपत कम हो सकती है।

हालांकि, दूसरी ओर यह भी चिंता जताई जा रही है कि शराब की अवैध बिक्री और नकली शराब का कारोबार इससे बढ़ सकता है।

भविष्य में क्या हो सकते हैं असर?

  1. राजस्व में बढ़ोतरी:
    सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से उसे हजारों करोड़ की अतिरिक्त आमदनी होगी।
  2. कंजंप्शन पैटर्न में बदलाव:
    बीयर जैसे कम अल्कोहल वाले पेय की खपत में गिरावट आ सकती है जबकि कुछ लोग महंगी शराब की बजाय देसी और अवैध विकल्पों की तरफ मुड़ सकते हैं।
  3. अंतर्राज्यीय शराब व्यापार में वृद्धि:
    सीमावर्ती राज्य जैसे दिल्ली, पंजाब या राजस्थान से शराब की तस्करी या वैध खरीददारी बढ़ सकती है।

निष्कर्ष

हरियाणा सरकार का यह फैसला निस्संदेह शराब पीने वालों के लिए एक बड़ा झटका है। हालांकि इसका उद्देश्य राजस्व बढ़ाना और खपत को नियंत्रित करना है, लेकिन इसके सामाजिक, आर्थिक और कारोबारी प्रभाव दूरगामी हो सकते हैं।

सरकार को चाहिए कि वह इस फैसले के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाए, ताकि शराब की खपत को संतुलित किया जा सके और अवैध कारोबार पर भी नियंत्रण रखा जा सके।

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