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पहलगाम आतंकी हमले में चौंकाने वाला खुलासा: चीनी सैटेलाइट फोन से हो रहा था आतंकियों का संचालन

  • April 28, 2025
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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से सुरक्षा एजेंसियां और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इस घटना की गंभीरता से जांच कर रही

पहलगाम आतंकी हमले में चौंकाने वाला खुलासा: चीनी सैटेलाइट फोन से हो रहा था आतंकियों का संचालन

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से सुरक्षा एजेंसियां और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इस घटना की गंभीरता से जांच कर रही हैं। इस हमले ने न सिर्फ घाटी में बल्कि पूरे देश में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। इस बीच जांच के दौरान एक बेहद अहम सुराग हाथ लगा है। सुरक्षा एजेंसियों ने एक संदिग्ध ‘Huawei सैटेलाइट फोन‘ की गतिविधि को ट्रैक किया है, जो हमले के समय घटनास्थल के आसपास सक्रिय था। Huawei एक चीनी कंपनी है और भारत में इसके सैटेलाइट प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध है। ऐसे में इस फोन की मौजूदगी ने जांच एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है।

प्रथम दृष्टया आशंका जताई जा रही है कि यह फोन पाकिस्तान या किसी अन्य विदेशी स्रोत से भारत में तस्करी के जरिए लाया गया था। यह भी संभावना है कि इस फोन का इस्तेमाल आतंकवादियों ने हमले की योजना बनाने और अपने हैंडलर्स से संपर्क बनाए रखने के लिए किया।

सूत्रों के अनुसार, आतंकियों और उनके आकाओं के बीच कम से कम चार बार संपर्क स्थापित हुआ था। इन कॉल्स के जरिए आतंकियों को लगातार निर्देश दिए जा रहे थे। हालांकि, सुरक्षा बलों और बड़ी संख्या में आम नागरिकों की मौजूदगी के कारण हमलावरों को अपने हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने का मौका नहीं मिला। ड्रोन से हमला करने की योजना पहले से तैयार थी, लेकिन मौके की नजाकत को देखते हुए इसे अंजाम नहीं दिया गया।

इसके अलावा जांच में यह भी सामने आया है कि हमले के दौरान और उससे पहले कम से कम 10 संदिग्ध लोग एन्क्रिप्टेड मोबाइल एप्लिकेशनों के जरिये अपने हैंडलर्स के संपर्क में थे। ये संदिग्ध ऐप्स बेहद सुरक्षित माने जाते हैं और इन पर की गई बातचीत को ट्रैक करना बेहद कठिन होता है। इससे साफ है कि हमले की योजना काफी सुनियोजित तरीके से बनाई गई थी और इसे अंजाम देने में तकनीक का व्यापक इस्तेमाल किया गया।

NIA ने अपने हाथ में ली जांच की कमान

पहलगाम आतंकी हमले की गंभीरता को देखते हुए अब इसकी जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपने हाथों में ले लिया है। अधिकारियों ने जानकारी दी है कि NIA की एक विशेष टीम, जिसमें एक पुलिस महानिरीक्षक (IG), एक पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) और एक पुलिस अधीक्षक (SP) शामिल हैं, इस हमले की गहन जांच कर रही है।

टीम ने घटनास्थल और उसके आसपास के प्रवेश तथा निकास बिंदुओं की बारीकी से जांच शुरू कर दी है। उनका उद्देश्य है कि आतंकियों के आने और भागने के रास्तों का पता लगाया जा सके। इसके अलावा, प्रत्यक्षदर्शियों से भी लगातार पूछताछ की जा रही है ताकि हमले से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी को इकट्ठा किया जा सके।

जांच एजेंसियां हमले की योजना, उसके पीछे के मास्टरमाइंड और आतंकी नेटवर्क के अन्य सदस्यों की पहचान करने के लिए जुटी हुई हैं। फॉरेंसिक विशेषज्ञों और तकनीकी विश्लेषकों की मदद से घटनास्थल से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। जगह-जगह से मिले डिजिटल सबूतों की भी जांच हो रही है ताकि साजिश की पूरी परतें खोली जा सकें।

फॉरेंसिक जांच में जुटी विशेषज्ञ टीमें

NIA की टीम ने फॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ मिलकर घटनास्थल का सूक्ष्म निरीक्षण किया है। घटनास्थल से मिले फिजिकल एविडेंस जैसे गोलियों के खोल, विस्फोटकों के अवशेष, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज और अन्य सामग्रियों का फॉरेंसिक विश्लेषण किया जा रहा है। इन सबूतों के जरिए यह जानने की कोशिश की जा रही है कि आतंकियों ने किस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया और उन्हें किन स्रोतों से मदद मिली।

इसके अलावा, सैटेलाइट फोन की जांच से प्राप्त डेटा को भी खंगाला जा रहा है। यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि फोन के जरिए किन-किन लोगों से संपर्क किया गया और किस तरह के संदेशों का आदान-प्रदान हुआ।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों की भी जांच

जांच एजेंसियां इस हमले को अंतरराष्ट्रीय साजिश के नजरिए से भी देख रही हैं। Huawei फोन का इस्तेमाल यह संकेत देता है कि आतंकियों को सीमा पार से तकनीकी मदद मिल रही थी। साथ ही, पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियों के संचालन की भी आशंका जताई जा रही है।

भारत की खुफिया एजेंसियां इस पहलू पर भी नजर बनाए हुए हैं कि क्या इस हमले के पीछे कोई बड़ी अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क सक्रिय है। इस संदर्भ में रूस, चीन और अन्य देशों से भी सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है ताकि आतंकियों के वैश्विक नेटवर्क का पर्दाफाश हो सके।

भविष्य की रणनीति पर भी हो रहा विचार

हमले के बाद से सुरक्षा बलों ने पूरे कश्मीर घाटी में सतर्कता बढ़ा दी है। संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ा दी गई है और संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। सुरक्षा एजेंसियां अब तकनीकी निगरानी को और मजबूत करने पर भी विचार कर रही हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

इसके अलावा, केंद्र सरकार भी आतंकियों द्वारा नई तकनीकों के इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा नीति में आवश्यक बदलाव करने पर विचार कर रही है। खासतौर पर सैटेलाइट फोन और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

निष्कर्ष

पहलगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आतंकवादी संगठन अब पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। Huawei जैसे प्रतिबंधित उपकरणों का इस्तेमाल और एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए संवाद से यह स्पष्ट हो गया है कि आतंकी संगठन अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए हर संभव साधन का उपयोग कर रहे हैं।

NIA और अन्य सुरक्षा एजेंसियां पूरी गंभीरता के साथ इस हमले की तह तक जाने में जुटी हैं। आने वाले समय में जांच से और भी बड़े खुलासे होने की उम्मीद है, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूत आधार प्रदान करेंगे।

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