Uttar Pradesh engineer Mohit Yadav commits suicide: ‘न्याय न मिले तो राख नाले में बहा देना’ – एक भावुक आखिरी संदेश
April 21, 2025
0
“अगर मुझे मरने के बाद भी न्याय नहीं मिला तो मेरी राख को नाले में बहा देना…”ये शब्द किसी फिल्मी डायलॉग के नहीं हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश के
“अगर मुझे मरने के बाद भी न्याय नहीं मिला तो मेरी राख को नाले में बहा देना…” ये शब्द किसी फिल्मी डायलॉग के नहीं हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश के एक युवा इंजीनियर मोहित यादव के आखिरी वीडियो से हैं, जिसे उन्होंने आत्महत्या से ठीक पहले रिकॉर्ड किया। ये शब्द न केवल उनकी वेदना का बयान करते हैं, बल्कि हमारे समाज, कानून और पारिवारिक रिश्तों की गहराई से जांच भी करते हैं।
यह घटना उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की है, जिसने पूरे प्रदेश और देश को झकझोर दिया है। यह न सिर्फ एक आत्महत्या का मामला है, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते, घरेलू विवाद, मानसिक स्वास्थ्य और न्याय व्यवस्था की जटिलता को उजागर करता है।
कौन थे मोहित यादव?
मोहित यादव उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के रहने वाले थे और पेशे से एक इंजीनियर थे। वे एक पढ़े-लिखे, शांत स्वभाव के युवक माने जाते थे। उनके परिवार और दोस्तों का कहना है कि वह मेहनती और संवेदनशील इंसान थे। लेकिन पिछले कुछ समय से वह मानसिक तनाव और वैवाहिक समस्याओं से जूझ रहे थे।
आत्महत्या से पहले का वीडियो: दिल को झकझोर देने वाला बयान
मोहित ने आत्महत्या से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने अपने जीवन की तकलीफों को बयान किया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही थी और बार-बार झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देती थी।
उन्होंने कहा:
“अगर मुझे मरने के बाद भी इंसाफ नहीं मिला, तो मेरी राख को नाले में बहा देना। मुझे अब और नहीं झेलना। मेरी आत्मा भटकती रहेगी, लेकिन झूठ के साथ नहीं जिऊंगा।”
इस वीडियो को सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने देखा और उनकी बातों को सुनकर लोग भावुक हो गए।
पत्नी पर आरोप
मोहित ने अपनी पत्नी पर मानसिक उत्पीड़न, धमकी देने, और झूठे केस में फंसाने की बात कही। उन्होंने दावा किया कि उनकी पत्नी ने उन्हें बार-बार ताने दिए, उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई, और उन्हें इस हद तक तोड़ा कि वे खुद को खत्म करने के लिए मजबूर हो गए।
परिवार का कहना है कि मोहित घरेलू कलह से परेशान थे और उनकी पत्नी कई बार पुलिस की धमकी देकर उन पर हावी होती थी। हालांकि, इस मामले की जांच अभी जारी है और पत्नी का पक्ष अभी सामने नहीं आया है।
पुलिस की भूमिका और जांच
घटना के बाद पुलिस ने मोहित का वीडियो बयान और परिवार की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि यह आत्महत्या है, लेकिन आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे पहलुओं की भी जांच की जा रही है।
मोहित के मोबाइल से मिली वीडियो को प्राथमिक साक्ष्य माना जा रहा है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या उन्हें पर्याप्त समय पर मानसिक या पारिवारिक सहायता मिल सकी थी या नहीं।
समाज में पुरुषों के उत्पीड़न की अनदेखी?
भारत में जब भी घरेलू हिंसा या उत्पीड़न की बात होती है, तो अधिकतर मामलों में पीड़िता महिला होती है। लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जहां पुरुष भी उत्पीड़न का शिकार होते हैं, मगर उनकी बात समाज और कानून में गंभीरता से नहीं ली जाती।
मोहित का मामला इस सामाजिक सच्चाई को उजागर करता है कि कैसे पुरुषों को भी मानसिक, भावनात्मक और कानूनी उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उनके लिए सहायता के विकल्प सीमित होते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य: सबसे उपेक्षित पक्ष
मोहित के आखिरी शब्दों में छुपी निराशा, थकान और अकेलेपन की भावना हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता को भी दर्शाती है। कई बार लोग हंसते-खेलते दिखते हैं, लेकिन भीतर से वे टूटे हुए होते हैं।
जरूरत है:
परिवारों में खुलकर संवाद की
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की
काउंसलिंग और सहायता सेवाओं की उपलब्धता की
मोहित की मौत या एक सवाल?
मोहित ने खुद को खत्म किया, लेकिन समाज से कई सवाल छोड़ गए:
क्या विवाह जैसे रिश्ते में सिर्फ महिलाएं ही पीड़िता हो सकती हैं?
क्या पुरुषों को भावनात्मक सहारा नहीं चाहिए?
क्या कानून में पुरुषों के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था है?
क्या आत्महत्या का वीडियो साक्ष्य बन सकता है?
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
मोहित के वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर #JusticeForMohitYadav ट्रेंड करने लगा। कई पुरुष अधिकार संगठनों और आम नागरिकों ने यह मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और अगर उनकी पत्नी दोषी पाई जाए तो कड़ी कार्रवाई हो।
क्या होना चाहिए?
घटना की निष्पक्ष और तेज़ जांच।
मोहित के परिवार को न्यायिक और भावनात्मक सहायता।
पुरुषों के लिए हेल्पलाइन और काउंसलिंग सिस्टम का विकास।
घरेलू हिंसा कानूनों में संतुलन और निष्पक्षता।
मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने की सामाजिक पहल।
निष्कर्ष
मोहित यादव अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके आखिरी शब्द – “मेरी राख को नाले में बहा देना अगर इंसाफ न मिले…” – एक झटका हैं। ये शब्द समाज, कानून और रिश्तों को सोचने पर मजबूर करते हैं।
हमें ज़रूरत है एक ऐसे समाज की, जो पीड़ा को लिंग के आधार पर न देखे, बल्कि इंसान के तौर पर समझे। क्योंकि दर्द, मानसिक तनाव और आत्महत्या की सोच किसी भी इंसान को तोड़ सकती है – चाहे वह पुरुष हो या महिला।