Dollar Rupee Swap: आरबीआई का वित्तीय स्थिरता का ‘खेल’
- March 25, 2025
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में डॉलर और रुपये के बीच बड़े पैमाने पर अदला-बदली की है। यह लेन-देन 10 अरब डॉलर के बराबर था, जिसका
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में डॉलर और रुपये के बीच बड़े पैमाने पर अदला-बदली की है। यह लेन-देन 10 अरब डॉलर के बराबर था, जिसका
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में डॉलर और रुपये के बीच बड़े पैमाने पर अदला-बदली की है। यह लेन-देन 10 अरब डॉलर के बराबर था, जिसका उद्देश्य देश के वित्तीय तंत्र में स्थिरता बनाए रखना है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत हो रहा है। 24 मार्च को हुई इस नीलामी को बाजार से भारी प्रतिक्रिया मिली, जिससे स्पष्ट होता है कि आरबीआई की यह रणनीति कितनी प्रभावी है।
डॉलर-रुपये की अदला-बदली एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आरबीआई बैंकों से डॉलर खरीदता है और उन्हें रुपये में भुगतान करता है या फिर इसके विपरीत। इसका मुख्य उद्देश्य बाजार में लिक्विडिटी (नकदी की उपलब्धता) को संतुलित करना और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है।
इस बार आरबीआई ने बैंकों से डॉलर खरीदे और उन्हें रुपये दिए, जिससे बाजार में डॉलर की आपूर्ति कम हुई और रुपये की तरलता बढ़ी। यह कदम विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) को मजबूत करने और रुपये की वैल्यू को स्थिर रखने में मददगार साबित होता है।
24 मार्च को आयोजित नीलामी में बैंकों ने बड़ी मात्रा में डॉलर बेचकर रुपये प्राप्त किए। आरबीआई ने इस लेन-देन को दो चरणों में पूरा किया:
इस नीलामी का उद्देश्य बैंकिंग सिस्टम में रुपये की उपलब्धता बढ़ाना था, ताकि अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह सुचारू रूप से जारी रहे।
हाल के दिनों में रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है। 23 मार्च को रुपया 83.38 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले कई महीनों में सबसे बेहतर प्रदर्शन है। इसकी वजह विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजारों में बढ़ता विश्वास और तेल की कीमतों में गिरावट है।
आरबीआई समय-समय पर ऐसी अदला-बदली करता रहता है ताकि:
आरबीआई की डॉलर रुपये अदला बदली की रणनीति देश के वित्तीय बाजार को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल रुपये की वैल्यू को संतुलित करती है, बल्कि बैंकों को पर्याप्त लिक्विडिटी भी उपलब्ध कराती है। भविष्य में भी आरबीआई ऐसी नीलामियों को जारी रख सकता है ताकि अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे।