पाकिस्तान में बेकाबू हालात: गृहमंत्री का घर फूंका, तख्तापलट की आहट तेज
- May 21, 2025
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पाकिस्तान की सेना और उसके मुखिया जनरल आसिम मुनीर इन दिनों अपने प्रमोशन और पावर बढ़ाने में व्यस्त हैं, लेकिन सिंध प्रांत में फैल रही बगावत की आग
पाकिस्तान की सेना और उसके मुखिया जनरल आसिम मुनीर इन दिनों अपने प्रमोशन और पावर बढ़ाने में व्यस्त हैं, लेकिन सिंध प्रांत में फैल रही बगावत की आग
पाकिस्तान की सेना और उसके मुखिया जनरल आसिम मुनीर इन दिनों अपने प्रमोशन और पावर बढ़ाने में व्यस्त हैं, लेकिन सिंध प्रांत में फैल रही बगावत की आग ने उनकी रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सिंध में हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि वहां के गृहमंत्री जियाउल हसन लांजर का घर जला दिया गया है, और कई लोगों की मौत हो चुकी है।
इस पूरे विवाद की जड़ में है “चोलिस्तान प्रोजेक्ट”, जिसे ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव के तहत 2023 में शुरू किया गया था। यह प्रोजेक्ट 176 किमी लंबी नहरों के जरिए रेगिस्तान में हरियाली लाने की कोशिश है, जिसकी कुल लागत 945 अरब रुपये है। लेकिन नहरों के लिए जो पानी चाहिए, वह सिंधु नदी से लिया जाएगा — जिससे सिंध के पहले से जलसंकट झेल रहे लोग नाराज़ हैं।
इस प्रोजेक्ट का ठेका किसी सिविल एजेंसी को नहीं, बल्कि सीधे पाकिस्तानी सेना को मिला है। सेना खेती, निर्माण और कारोबार जैसे कामों में लगी है, लेकिन युद्ध में नाकाम रही है। सिंध के लोग इस प्रोजेक्ट का कड़ा विरोध कर रहे हैं, जबकि पीपीपी और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी इसका समर्थन कर रहे हैं।
सिंध की सरकार, जिसमें मुख्यमंत्री मुराद अली शाह और गृहमंत्री जियाउल हसन लांजर शामिल हैं, जनता के गुस्से की सीधी मार झेल रही है। गृहमंत्री का घर जला दिया गया है, और हालात हिंसक हो गए हैं।
इस प्रोजेक्ट से सेना पीछे नहीं हटेगी, क्योंकि इसमें अरबों की कमाई जुड़ी है। ऐसे में विरोध को कुचलने की कमान भी सेना ही संभालेगी। जनरल आसिम मुनीर अब सिर्फ आर्मी चीफ नहीं, बल्कि फील्ड मार्शल भी हैं — यानी सबसे ताकतवर पद पर काबिज। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मिलिट्री कोर्ट के जरिए मनचाहे फैसले लेने की छूट भी दे दी है।
अब जबकि आसिम मुनीर के पास सेना, अदालत और प्रशासन पर पूरा नियंत्रण है, सिंध में जारी हिंसा को बहाना बनाकर वे पूरे देश में मार्शल लॉ लागू कर सकते हैं। जैसे अयूब खान ने सत्ता हथियाई थी, वैसे ही आसिम मुनीर भी पाकिस्तान में एक और तख्तापलट की पटकथा लिख सकते हैं।
पाकिस्तान पहले भी कई बार तख्तापलट और सेना की तानाशाही झेल चुका है। ऐसे में अगर चोलिस्तान प्रोजेक्ट के बहाने एक और सैन्य सत्ता परिवर्तन होता है, तो शायद किसी को कोई आश्चर्य नहीं होगा।
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