There was uproar in Congress on Shashi Tharoor’s statement: क्या बढ़ती अंदरुनी कलह पार्टी के लिए खतरे की घंटी है?
April 28, 2025
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हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले के बाद देशभर में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता देखने
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले के बाद देशभर में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता देखने को मिली, लेकिन कांग्रेस पार्टी के भीतर इससे जुड़ा विवाद अब सुर्खियों में है। खासकर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद शशि थरूर की टिप्पणी ने पार्टी के भीतर ही भूचाल ला दिया है।
दरअसल, पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने हाल ही में भारत को सिंधु जल संधि के मुद्दे पर धमकी भरी टिप्पणी की थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शशि थरूर ने अपेक्षाकृत संयमित रुख अपनाया, जो पार्टी के कुछ नेताओं को नागवार गुजरा। कांग्रेस नेता उदित राज ने थरूर पर सीधा हमला बोलते हुए सवाल उठाया, “क्या शशि थरूर अब बीजेपी के प्रवक्ता बन गए हैं?”
पहलगाम आतंकी हमले पर कांग्रेस का रुख
पहलगाम हमले के बाद, कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए इसे सुरक्षा में चूक और खुफिया जानकारी के अभाव का परिणाम बताया। पार्टी की ओर से साफ कहा गया कि इस तरह की घटनाएं सरकार की लापरवाही को दर्शाती हैं। कांग्रेस का रुख था कि इस मुद्दे पर सख्त सवाल पूछे जाएं और सरकार को जवाबदेह बनाया जाए।
हालांकि, शशि थरूर का बयान पार्टी लाइन से थोड़ा अलग था। उन्होंने आतंकी हमले की निंदा की जरूर, लेकिन उन्होंने सरकार के खिलाफ हमलावर होने के बजाय राष्ट्रीय एकता और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता पर बल दिया। इसी वजह से वे पार्टी के कुछ नेताओं के निशाने पर आ गए।
उदित राज का तीखा हमला
कांग्रेस नेता उदित राज ने थरूर के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए शशि थरूर पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह पार्टी की तय लाइन से क्यों हट रहे हैं? उदित राज ने यह भी पूछा कि क्या थरूर अब बीजेपी के प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे हैं। उनका इशारा था कि इस तरह के बयान सरकार के बचाव में जाते हैं और विपक्षी एकता को कमजोर करते हैं।
क्या कांग्रेस में बढ़ रही है अंदरुनी फूट?
यह कोई पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के भीतर इस तरह का टकराव देखने को मिला हो। पिछले कुछ वर्षों में पार्टी में विचारधारात्मक मतभेद और नेतृत्व को लेकर असंतोष के कई उदाहरण सामने आए हैं। शशि थरूर जैसे वरिष्ठ नेता, जो अक्सर अपनी स्वतंत्र सोच के लिए जाने जाते हैं, कई बार पार्टी लाइन से हटकर बयान देते रहे हैं। इससे कांग्रेस के भीतर “G-23” जैसे असंतुष्ट गुटों की चर्चा भी होती रही है।
पहलगाम हमले और बिलावल भुट्टो की टिप्पणी जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पार्टी के भीतर ऐसा मतभेद सामने आना कांग्रेस की एकता पर सवाल खड़े करता है। ऐसे समय में जब पार्टी आगामी चुनावों की तैयारी कर रही है, अंदरुनी कलह उसकी राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।
बीजेपी ने साधा निशाना
कांग्रेस के भीतर हो रही इस बहस का फायदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी उठाया है। बीजेपी नेताओं ने इसे कांग्रेस की “भ्रष्ट और बिखरी हुई राजनीति” का प्रमाण बताया है। उनका कहना है कि जब देश को एकजुटता की जरूरत है, तब कांग्रेस अपने भीतर ही लड़ रही है।
शशि थरूर का बचाव
हालांकि, शशि थरूर के समर्थकों का कहना है कि उनका बयान राष्ट्रहित में था और उन्होंने किसी भी तरह से सरकार के पक्ष में बयान नहीं दिया। बल्कि, उनका मकसद आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना था। थरूर स्वयं भी कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह देशहित को सर्वोपरि मानते हैं और किसी भी राजनीतिक दबाव में बयान नहीं देते।
निष्कर्ष
पहलगाम आतंकी हमले पर कांग्रेस के भीतर उठी तकरार यह दिखाती है कि पार्टी अभी भी आंतरिक एकता की चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर पार्टी का एकजुट रहना जरूरी है, ताकि वह सरकार पर प्रभावी तरीके से सवाल उठा सके और जनता में अपना भरोसा मजबूत कर सके। वरना, इस तरह की अंदरुनी कलह से कांग्रेस की राजनीतिक साख को और गहरा नुकसान हो सकता है।