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मिडिल क्लास और कर्ज का जाल: महंगे शौक ने बढ़ाया लोन का बोझ

  • July 12, 2025
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भारतीय समाज में मिडिल क्लास हमेशा से मेहनती और भविष्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाला वर्ग माना जाता रहा है। लेकिन बदलती जीवनशैली, सोशल मीडिया का प्रभाव

मिडिल क्लास और कर्ज का जाल: महंगे शौक ने बढ़ाया लोन का बोझ

भारतीय समाज में मिडिल क्लास हमेशा से मेहनती और भविष्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाला वर्ग माना जाता रहा है। लेकिन बदलती जीवनशैली, सोशल मीडिया का प्रभाव और दिखावे की होड़ ने इस वर्ग को धीरे-धीरे कर्ज के जाल (Debt Trap) में धकेल दिया है।

संपत्ति नहीं, शौक के लिए कर्ज

पहले जहां लोग लोन लेकर घर खरीदते थे, संपत्ति बनाते थे, वहीं अब लोन का उपयोग व्यक्तिगत खर्चों के लिए किया जा रहा है। महंगे स्मार्टफोन, लग्जरी बाइक, कार, महंगे गैजेट्स और छुट्टियों पर खर्च के लिए लोग बड़ी रकम उधार ले रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, 55% तक लोन अब होम लोन नहीं हैं, बल्कि ये व्यक्तिगत जरूरतों और लग्जरी पर आधारित हैं।

क्रेडिट कार्ड बना सबसे बड़ा ‘कर्ज उपकरण’

क्रेडिट कार्ड का उपयोग तेजी से बढ़ा है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 13 वर्षों में क्रेडिट कार्ड से होने वाला खर्च 1.2 लाख करोड़ से बढ़कर 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इतना ही नहीं, सर्कुलेशन में क्रेडिट कार्ड की संख्या भी 2 करोड़ से बढ़कर 10.8 करोड़ हो गई है। यह बदलाव बताता है कि अब लोग कैशलेस नहीं, बल्कि क्रेडिट-बेस्ड जीवनशैली की ओर बढ़ रहे हैं।

Personal Loan में उछाल

फाइनेंशियल एक्सपर्ट प्रांजल कामरा की रिपोर्ट के अनुसार, औसत पर्सनल लोन पिछले दो वर्षों में 23% बढ़ा है। 2023 में प्रति व्यक्ति उधारी 3.9 लाख रुपये थी, जो 2025 तक 4.8 लाख रुपये तक पहुंच गई है। इसका मतलब है कि भारतीय तेजी से लोन लेकर मौज-मस्ती में खर्च कर रहे हैं।

RBI की चिंता

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी इस ट्रेंड पर चिंता जताई है। रिटेल लोन और खासतौर पर पर्सनल लोन तथा क्रेडिट कार्ड बकाया में तेज़ी से हो रही वृद्धि को घरेलू वित्तीय स्थिरता के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है। RBI कई बार इस ओर इशारा कर चुका है कि यह एक संभावित संकट की शुरुआत हो सकती है।

शॉर्ट टर्म खुशी, लॉन्ग टर्म बोझ

आज की पीढ़ी “इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन” यानी तुरंत संतुष्टि के पीछे भाग रही है। वे महंगे गैजेट्स, छुट्टियां और ब्रांडेड सामान के लिए उधारी ले रहे हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि इस खुशी की कीमत लंबे समय तक EMI के रूप में चुकानी पड़ेगी। माता-पिता जहां उधारी से संपत्ति बनाते थे, आज की पीढ़ी खर्चों के लिए कर्ज में डूब रही है।

समाधान क्या है?

  1. फाइनेंशियल प्लानिंग: सबसे पहले, व्यक्तिगत बजट बनाना और उसकी सख्ती से पालन करना जरूरी है।
  2. जरूरत और चाहत में अंतर: यह समझना जरूरी है कि कौन-सी चीज वाकई जरूरी है और कौन-सी सिर्फ दिखावे की चाहत।
  3. क्रेडिट स्कोर की चिंता: क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन के बकाया समय पर न चुकाने से क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ता है, जिससे भविष्य में जरूरी लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
  4. लोन से बचने की आदत: जब तक जरूरी न हो, लोन लेने से बचना चाहिए और छोटी-छोटी बचत को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  5. इमरजेंसी फंड: हर मिडिल क्लास परिवार को एक इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए ताकि आकस्मिक खर्चों के लिए लोन न लेना पड़े।

FAQs

Q1. मिडिल क्लास को सबसे ज्यादा कर्ज किस चीज पर लेना पड़ता है?

अक्सर मिडिल क्लास पर्सनल जरूरतों जैसे मोबाइल, कार, छुट्टियों और गैजेट्स के लिए पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड का सहारा लेता है।

Q2. क्या पर्सनल लोन से संपत्ति नहीं बनती?

नहीं, पर्सनल लोन आमतौर पर उपभोग पर खर्च होता है, जिससे संपत्ति निर्माण नहीं होता।

Q3. क्या क्रेडिट कार्ड का अधिक उपयोग खतरनाक है?

हां, बिना सोच-समझकर किए गए खर्च और समय पर भुगतान न करने से कर्ज बढ़ता है और क्रेडिट स्कोर खराब होता है।

Q4. RBI क्यों चिंतित है बढ़ते पर्सनल लोन को लेकर?

RBI को डर है कि अगर यह ट्रेंड बढ़ता रहा, तो यह देश की आर्थिक स्थिरता और बैंकिंग सिस्टम के लिए खतरा बन सकता है।

Q5. मिडिल क्लास को कर्ज से कैसे बचा जा सकता है?

बजट बनाएं, जरूरतों को प्राथमिकता दें, इमरजेंसी फंड रखें और खर्च करने से पहले सोचें कि क्या वह वास्तव में जरूरी है।

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