कश्मीर में ‘आतंकियों को खाना पहुंचाने’ वाले युवक की संदिग्ध मौत: क्या है पूरा मामला और क्यों मचा बवाल?
May 5, 2025
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जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में एक 22 वर्षीय युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने घाटी में एक बार फिर उथल-पुथल मचा दी है। मृत युवक की पहचान
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में एक 22 वर्षीय युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने घाटी में एक बार फिर उथल-पुथल मचा दी है। मृत युवक की पहचान इम्तियाज अहमद मगरे के रूप में हुई है, जिसे हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों ने हिरासत में लिया था। आरोप है कि वह आतंकियों को खाना और रसद पहुंचाने के साथ-साथ उन्हें छिपने की जगह भी मुहैया करा रहा था। लेकिन पूछताछ के दो दिन बाद नदी में उसका शव मिलने से यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया है।
पहलगाम हमला और जांच की शुरुआत
हाल ही में पहलगाम क्षेत्र में सुरक्षाबलों पर एक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कुछ जवान घायल हो गए थे। इस हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और सुरक्षाबलों ने जांच तेज कर दी थी। जांच के दौरान सुराग मिले कि कुलगाम के तंगीमर्ग इलाके में कुछ स्थानीय लोग आतंकियों की मदद कर रहे हैं। इन्हीं सुरागों के आधार पर इम्तियाज अहमद मगरे को 3 मई को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।
क्या थे इम्तियाज पर आरोप?
सूत्रों के अनुसार, इम्तियाज ने पूछताछ के दौरान माना कि उसने जंगलों में छिपे आतंकवादियों को भोजन और रसद पहुंचाई थी। उसने यह भी स्वीकार किया कि वह आतंकियों को सुरक्षित ठिकाने पर छुपाने में मदद कर रहा था। इतना ही नहीं, इम्तियाज कथित तौर पर सुरक्षाबलों को खुद उस ठिकाने तक ले जाने के लिए भी तैयार हो गया था जहाँ आतंकी छिपे हुए थे।
मौत और बढ़ता विवाद
5 मई को तंगीमर्ग के पास एक नदी में इम्तियाज का शव मिलने के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि इम्तियाज को सुरक्षाबलों ने हिरासत में लिया था और दो दिन बाद उसकी लाश संदिग्ध परिस्थितियों में मिली, जो कई सवाल खड़े करता है। हालांकि अधिकारिक रूप से उसकी मौत के कारणों की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन और सुरक्षाबलों ने किसी भी प्रकार की हिंसा से इंकार किया है। उनका कहना है कि इम्तियाज की मौत की निष्पक्ष जांच की जाएगी और किसी भी तरह की लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि इम्तियाज की मौत में सुरक्षाबलों की कोई भूमिका नहीं है और इसे दुर्घटनावश हुई मौत माना जा रहा है।
इलाके में तनाव का माहौल
इम्तियाज की मौत के बाद कुलगाम और आस-पास के इलाकों में जनाक्रोश देखा गया। लोगों ने इस घटना को लेकर प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की। स्थानीय संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी मामले में पारदर्शिता की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है, जहाँ लोग सरकार और सुरक्षाबलों से जवाब मांग रहे हैं।
मानवाधिकार और सुरक्षा के बीच संतुलन की चुनौती
यह घटना एक बार फिर इस बहस को जन्म देती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में स्थानीय नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। घाटी में पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहाँ पूछताछ के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में लोगों की मौत हुई है, जिससे जनता और सुरक्षाबलों के बीच अविश्वास की खाई और गहरी हो जाती है।
निष्पक्ष जांच की आवश्यकता
फिलहाल प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। यह जरूरी है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो ताकि सच्चाई सामने आ सके। यदि इम्तियाज की मौत में कोई जिम्मेदार पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों से बचा जा सके।
निष्कर्ष
इम्तियाज अहमद मगरे की मौत ने कश्मीर के उस दर्द को फिर से उजागर कर दिया है, जहाँ एक ओर आतंकवाद से लड़ने की जरूरत है तो दूसरी ओर नागरिक अधिकारों की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। सरकार और सुरक्षाबलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी जांच या अभियान में मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो और नागरिकों में भरोसा बना रहे।