Supreme Court Strict in Tree Felling Case: तेलंगाना के मुख्य सचिव को जेल भेजने की चेतावनी
April 4, 2025
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हैदराबाद, 4 अप्रैल 2025 – तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली इलाके में अवैध रूप से पेड़ काटे जाने के मामले ने एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण
हैदराबाद, 4 अप्रैल 2025 – तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली इलाके में अवैध रूप से पेड़ काटे जाने के मामले ने एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण और सरकारी जिम्मेदारी को लेकर बहस छेड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव को कड़ी चेतावनी दी है और यहां तक कह डाला कि उन्हें जेल भेज दिया जाएगा यदि उन्होंने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की।
सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा –
“मुख्य सचिव झील के पास बनी उसी अस्थायी जेल में जाएंगे। अगर वह राज्य के आतिथ्य का आनंद लेना चाहते हैं, तो इसमें कोर्ट कुछ नहीं कर सकता। यह बहुत गंभीर मामला है। कानून अपने हाथ में नहीं लिया जा सकता।”
यह टिप्पणी दर्शाती है कि कोर्ट इस मामले को केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं बल्कि कानूनी और प्रशासनिक लापरवाही के रूप में भी देख रहा है।
पेड़ कटाई पर क्यों भड़का कोर्ट?
हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में कथित तौर पर बिना उचित अनुमति के पेड़ों की कटाई की गई। कोर्ट ने सवाल उठाया कि वन विभाग या अन्य स्थानीय प्राधिकरणों से पेड़ काटने की अनुमति ली गई थी या नहीं? साथ ही यह भी पूछा गया कि राज्य सरकार इन कटे हुए पेड़ों के साथ क्या कर रही है?
कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एक्सपर्ट कमेटी गठित करने का आदेश
इस मामले के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश दिया है कि वे वन क्षेत्रों की पहचान के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन करें। कोर्ट ने यह भी दोहराया कि यदि फॉरेस्ट लैंड में किसी भी तरह की कमी या गलत रिपोर्टिंग पाई गई, तो राज्य के मुख्य सचिव को जिम्मेदार माना जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण की बड़ी चुनौती
यह मामला सिर्फ एक क्षेत्र विशेष की समस्या नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि किस प्रकार आज भी सरकारी स्तर पर पर्यावरण संरक्षण को नजरअंदाज किया जा रहा है। जंगल और पेड़ न केवल पर्यावरण का हिस्सा हैं, बल्कि पूरे इकोसिस्टम का आधार हैं।
कोर्ट की सख्ती यह स्पष्ट संदेश देती है कि अब पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी करने वालों को कठोर कानूनी परिणाम भुगतने होंगे।
निष्कर्ष
हैदराबाद का पेड़ कटाई मामला एक गंभीर चेतावनी है कि पर्यावरण से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की इस सख्ती से उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में सरकारी एजेंसियां ज्यादा जिम्मेदारी से काम करेंगी, और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी।