Salary Hike vs Rent Hike: बेंगलुरु में बढ़ते खर्च से परेशान सॉफ्टवेयर इंजीनियर
- April 1, 2025
- 0
बेंगलुरु, जिसे भारत की ‘आईटी कैपिटल’ कहा जाता है, यहां रहने वाले पेशेवरों के लिए अब महंगा सौदा बनता जा रहा है। हाल ही में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर
बेंगलुरु, जिसे भारत की ‘आईटी कैपिटल’ कहा जाता है, यहां रहने वाले पेशेवरों के लिए अब महंगा सौदा बनता जा रहा है। हाल ही में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर
बेंगलुरु, जिसे भारत की ‘आईटी कैपिटल’ कहा जाता है, यहां रहने वाले पेशेवरों के लिए अब महंगा सौदा बनता जा रहा है। हाल ही में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में Twitter) पर अपना दर्द बयां किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी सैलरी महज 7.5% बढ़ी है, जबकि मकान मालिक ने किराया 10% बढ़ा दिया। यह मामला अकेले उनका नहीं, बल्कि बेंगलुरु में रहने वाले हजारों पेशेवरों का है, जो तेजी से बढ़ते किराए और सीमित वेतन वृद्धि के कारण आर्थिक दबाव महसूस कर रहे हैं।
बेंगलुरु हमेशा से ही महंगे किराए के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में किराए में तेजी से उछाल आया है। कोरोना महामारी के बाद कई पेशेवर वर्क फ्रॉम होम से वापस शहरों की ओर लौटे, जिससे किराए में भारी उछाल देखने को मिला। खासकर कोरमंगला, मारथाहल्ली, व्हाइटफील्ड और इलेक्ट्रॉनिक सिटी जैसे इलाकों में मकान मालिक किराए में सालाना 8-15% तक की बढ़ोतरी कर रहे हैं।
इसका नतीजा यह हुआ कि किराए की बढ़ोतरी सैलरी हाइक से तेज हो गई। नौकरीपेशा लोगों को उम्मीद होती है कि उनके वेतन में जितनी वृद्धि होगी, उतना ही उनकी जीवनशैली में सुधार होगा। लेकिन जब वेतन में 6-8% बढ़ोतरी होती है और किराया 10-15% बढ़ता है, तो असल में उनका खर्च बढ़ता जाता है और बचत घटती जाती है।
आईटी सेक्टर में नौकरियों की बहाली के बाद बड़ी संख्या में लोग बेंगलुरु लौटे, जिससे मकानों की मांग बढ़ गई। जब मांग ज्यादा होती है, तो मकान मालिक किराया बढ़ाने लगते हैं।
कोरोना महामारी के दौरान कई लोग अपने घर लौट गए थे, लेकिन अब कंपनियों द्वारा ऑफिस लौटने की नीति अपनाने से अधिक लोग बेंगलुरु आ रहे हैं, जिससे किराए में उछाल आया है।
कई मकान मालिक सालाना किराया बढ़ाने का नियम बना चुके हैं और वे बाजार की स्थिति का फायदा उठाकर मनमाने तरीके से किराया बढ़ा रहे हैं।
भारत में लगातार बढ़ती महंगाई का असर भी किराए पर पड़ा है। मकान मालिक खुद बढ़ती लागत (रखरखाव, मेंटेनेंस, सोसाइटी चार्ज) का बोझ किरायेदारों पर डालते हैं।
इस बढ़ते खर्च का सबसे ज्यादा असर आईटी प्रोफेशनल्स और युवा नौकरीपेशा लोगों पर पड़ रहा है।
किराया बढ़ने पर मकान मालिक से बातचीत करके किराए में छूट या कुछ महीनों तक किराया स्थिर रखने की मांग कर सकते हैं।
आईटी कंपनियों में हाउस रेंट अलाउंस (HRA) की सुविधा होती है, जिसका सही उपयोग करके टैक्स में छूट ली जा सकती है।
जरूरत हो तो भीड़भाड़ वाले इलाकों से हटकर ऐसे इलाकों में घर खोजें जहां किराया थोड़ा कम हो।
रेंट एग्रीमेंट में किराया बढ़ोतरी की शर्तों को ध्यान से पढ़ें और यदि संभव हो तो इसे सालाना 5-7% तक सीमित कराने की कोशिश करें।
बेंगलुरु जैसे महंगे शहरों में सैलरी हाइक और किराया बढ़ोतरी के बीच का अंतर तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे नौकरीपेशा लोगों को आर्थिक दबाव झेलना पड़ रहा है। बढ़ते किराए के चलते लोगों की बचत कम हो रही है और जीवनशैली प्रभावित हो रही है। ऐसे में मकान मालिकों से बातचीत, सही लोकेशन का चुनाव और कंपनी से मिलने वाले बेनेफिट्स का पूरा उपयोग करके इस स्थिति से निपटा जा सकता है।