Sachkhand Express: 30 वर्षों से बिना भेदभाव के यात्रियों को परोस रही है मुफ्त लंगर सेवा
- April 8, 2025
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भारत में रेलयात्रा को केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि एक अनुभव माना जाता है। रेलवे की दुनिया में कई ट्रेनें अपनी खासियतों के लिए जानी जाती हैं, लेकिन
भारत में रेलयात्रा को केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि एक अनुभव माना जाता है। रेलवे की दुनिया में कई ट्रेनें अपनी खासियतों के लिए जानी जाती हैं, लेकिन
भारत में रेलयात्रा को केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि एक अनुभव माना जाता है। रेलवे की दुनिया में कई ट्रेनें अपनी खासियतों के लिए जानी जाती हैं, लेकिन सचखंड एक्सप्रेस उन सभी में अनोखी है। यह ट्रेन न सिर्फ यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाती है, बल्कि उनके दिलों को भी छू जाती है। कारण है—इस ट्रेन में पिछले 30 वर्षों से यात्रियों को मुफ्त गर्म भोजन और पानी की सेवा प्रदान की जा रही है, वो भी बिना किसी भेदभाव के।
सचखंड एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 12715/12716) भारत के पंजाब के अमृतसर और महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर के बीच चलती है। यह ट्रेन सिख धर्म के दो प्रमुख तीर्थ स्थलों—श्री हरमंदिर साहिब (अमृतसर) और हजूर साहिब (नांदेड़)—को जोड़ती है। हर दिन हज़ारों श्रद्धालु इस ट्रेन से सफर करते हैं और अपने धार्मिक स्थल तक पहुंचते हैं।
इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सफर करने वाले यात्रियों को गर्म भोजन और पानी बिल्कुल मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है। यह सेवा किसी सरकारी योजना का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक स्वैच्छिक और धर्म-प्रेरित पहल है। सिख समुदाय के स्वयंसेवक लंगर के रूप में यात्रियों को खाना उपलब्ध कराते हैं। यह सेवा न केवल सिख यात्रियों तक सीमित है, बल्कि हर धर्म, जाति और वर्ग के व्यक्ति को समान रूप से मिलती है।
खाने में आमतौर पर रोटी, सब्ज़ी, दाल और चावल जैसी साधारण लेकिन पौष्टिक चीज़ें परोसी जाती हैं। साथ ही, यात्रियों को स्वच्छ और ठंडा पानी भी उपलब्ध कराया जाता है। यह सेवा ट्रेन के विभिन्न स्टॉप्स पर की जाती है, जहां स्वयंसेवक चढ़कर भोजन वितरित करते हैं।
सचखंड एक्सप्रेस में दी जा रही यह लंगर सेवा भारतीय रेलवे की सामाजिक भावना का एक शानदार उदाहरण है। यह दर्शाता है कि सेवा भावना केवल मंदिरों और गुरुद्वारों तक सीमित नहीं है, बल्कि रेल जैसे सार्वजनिक माध्यम में भी इसे जीवंत रखा जा सकता है।
इस सेवा का उद्देश्य केवल भोजन कराना नहीं, बल्कि सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की भावना को बढ़ावा देना है। इससे न केवल गरीब और जरूरतमंद यात्रियों को मदद मिलती है, बल्कि समाज में समानता और भाईचारे का संदेश भी फैलता है।
जहां एक ओर आज के दौर में हर चीज़ के लिए कीमत चुकानी पड़ती है, वहीं सचखंड एक्सप्रेस जैसे उदाहरण हमें यह याद दिलाते हैं कि इंसानियत अब भी जिंदा है। यह ट्रेन न केवल यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती है, बल्कि उन्हें अपनापन, सेवा और सम्मान का एहसास भी कराती है।
सचखंड एक्सप्रेस एक चलती-फिरती मिसाल है, जो यह दिखाती है कि सच्चे अर्थों में यात्रा वही होती है, जो दिल को भी छू जाए।