कांग्रेस में सर्जिकल स्ट्राइक बयान पर घमासान: थरूर की सफाई और पवन खेड़ा का क्लोजर
May 29, 2025
0
भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में सेना की कार्रवाइयों और आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशनों को लेकर राजनीति में आए दिन हलचल मचती रहती है। हाल ही में कांग्रेस सांसद
भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में सेना की कार्रवाइयों और आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशनों को लेकर राजनीति में आए दिन हलचल मचती रहती है। हाल ही में कांग्रेस सांसद शशि थरूर के एक बयान ने एक बार फिर सियासी गलियारों में गर्मी ला दी, जब उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर टिप्पणी की। उनके इस बयान को लेकर जहां विरोधियों ने कांग्रेस पर निशाना साधा, वहीं खुद पार्टी के अंदर भी असहजता देखने को मिली। लेकिन अब पवन खेड़ा के बयान के साथ इस मुद्दे पर “फुलस्टॉप” लग गया है।
थरूर का बयान: सर्जिकल स्ट्राइक की स्वीकारोक्ति या कुछ और?
शशि थरूर ने बुधवार को एक बयान में कहा,
“हाल के वर्षों में जो बदलाव आया है, वह यह है कि आतंकवादियों को भी एहसास हो गया है कि उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। उरी हमले के बाद पहली बार भारत ने आतंकी ठिकानों, लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया।”
इस कथन से यह प्रतीत हुआ कि थरूर ने मोदी सरकार के तहत की गई सर्जिकल स्ट्राइक को ऐतिहासिक बताते हुए यह माना कि इससे पहले इस प्रकार की सैन्य कार्रवाई नहीं हुई थी। इस टिप्पणी ने न केवल बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का मौका दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस समर्थकों और विरोधियों के बीच बहस छिड़ गई।
ऑपरेशन सिंदूर और राजनीतिक पृष्ठभूमि
थरूर का यह बयान ऐसे समय में आया, जब पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया है। यह ऑपरेशन आतंकवादियों के खिलाफ कड़ा कदम माना जा रहा है और इससे सेना के मनोबल में वृद्धि हुई है। इसी परिप्रेक्ष्य में थरूर की टिप्पणी ने यह सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस नेता अब मौजूदा सरकार की सैन्य रणनीतियों को भी स्वीकार कर रहे हैं?
आलोचकों पर पलटवार: थरूर की सफाई
बयान पर मचे बवाल के बाद थरूर ने सोशल मीडिया पर अपनी सफाई दी। उन्होंने आरोप लगाया कि “ट्रोल्स और आलोचकों ने मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि पहले सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई थी।
थरूर ने लिखा कि उन्होंने केवल यह कहा कि उरी के बाद जो कार्रवाई हुई, उसमें एक नई दिशा और रणनीति दिखाई दी थी। यह वक्तव्य उनके अनुसार सेना की क्षमताओं को कम आंकने के लिए नहीं था, बल्कि वर्तमान सैन्य प्रतिक्रिया के स्वरूप की चर्चा भर थी।
पवन खेड़ा का क्लोजर: “मामला अब खत्म”
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने थरूर के बयान और उससे उपजी अटकलों पर फुलस्टॉप लगाने की कोशिश की। समाचार एजेंसी से बातचीत में खेड़ा ने कहा:
“उन्होंने (थरूर) पोस्ट करके अपना पक्ष रख दिया है और कह दिया है कि मैंने ऐसा नहीं कहा था कि पहले सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई। अब वो बात खत्म हो गई है। बीजेपी तो मौके की तलाश में रहती है कि कैसे समाज और परिवार में विवाद फैला दे।”
खेड़ा की यह टिप्पणी पार्टी लाइन को स्पष्ट करती है कि कांग्रेस अब इस विवाद को तूल नहीं देना चाहती और थरूर की सफाई को अंतिम मानकर मामले को बंद कर रही है।
बीजेपी की प्रतिक्रिया और राजनीतिक निहितार्थ
बीजेपी ने इस पूरे प्रकरण को कांग्रेस की अंदरूनी असहमति और सेना के प्रति अस्पष्ट रुख के रूप में पेश करने की कोशिश की। बीजेपी प्रवक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस के नेता देश की सेना के पराक्रम पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं, और यह बयान उसी रवैये की कड़ी है।
हालांकि, कांग्रेस ने अपने नेताओं के जरिए यह संकेत दे दिया है कि सेना के पराक्रम को लेकर पार्टी में कोई दो राय नहीं है, और सरकार द्वारा किए गए सैन्य अभियानों पर भी वो सवाल नहीं उठा रही है, बल्कि उनके निष्पादन और राजनीतिकरण पर चर्चा कर रही है।
निष्कर्ष: राजनीति में शब्दों का वजन और जिम्मेदारी
यह घटनाक्रम एक बार फिर साबित करता है कि राजनीति में शब्दों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। खासकर जब मामला सेना, देश की सुरक्षा या अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा हो। थरूर जैसे वरिष्ठ नेता के बयान को विपक्ष ने जिस तरह हथियार बनाया, वह इस बात का प्रमाण है कि हर बयान का असर केवल मीडिया तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह राजनीतिक विमर्श और आम जनता की राय को भी प्रभावित करता है।
पवन खेड़ा द्वारा दिए गए “क्लोजर” स्टेटमेंट से यह साफ है कि कांग्रेस अब इस मामले को तूल नहीं देना चाहती और पार्टी नेतृत्व इसे समाप्त मान रहा है। फिर भी यह घटना कांग्रेस के नेताओं के बीच सामंजस्य की आवश्यकता और मीडिया में सही सन्देश देने की जिम्मेदारी की ओर इशारा करती है।