RBI देगा मोदी सरकार को रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये, इतिहास बनने की तैयारी
- May 24, 2025
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2.69 लाख करोड़ रुपये का लाभांश (डिविडेंड) देने की घोषणा की है। यह राशि अब
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2.69 लाख करोड़ रुपये का लाभांश (डिविडेंड) देने की घोषणा की है। यह राशि अब
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2.69 लाख करोड़ रुपये का लाभांश (डिविडेंड) देने की घोषणा की है। यह राशि अब तक का सबसे बड़ा सरप्लस ट्रांसफर है, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को किसी एक साल में दिया गया है। इस कदम ने न केवल वित्तीय जगत को चौंकाया है, बल्कि सरकार के खजाने में उम्मीद से कहीं अधिक धन की आमद सुनिश्चित कर दी है। इससे पहले 2023-24 में RBI ने 2.1 लाख करोड़ रुपये और 2022-23 में केवल 87,420 करोड़ रुपये सरकार को ट्रांसफर किए थे। इस लिहाज़ से इस वर्ष का ट्रांसफर एक बड़ी छलांग मानी जा रही है।
इस सवाल का जवाब आरबीआई की वित्तीय रणनीति और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों में छुपा हुआ है। दरअसल, इस बार RBI को अपनी विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Forex Reserves) से जबरदस्त कमाई हुई है। जब केंद्रीय बैंक डॉलर जैसी विदेशी मुद्राओं को खरीदता और बेचता है, तो उसके अंतर से उसे मुनाफा होता है। इस बार वैश्विक बाजारों में डॉलर की ताकत और रुपये की स्थिति ने आरबीआई को बड़ा फायदा पहुंचाया है।
इसके अलावा, वेरिएबल रेट रिवर्स रेपो (VRRR) ऑपरेशनों से भी आरबीआई ने अच्छा लाभ कमाया। VRRR वह तरीका है जिससे रिजर्व बैंक बैंकों से सीमित समय के लिए नकदी खींचता है और उस पर उन्हें ब्याज देता है। ब्याज दरों में बीते साल हुए उतार-चढ़ाव और वैश्विक ब्याज दरों के ट्रेंड ने भी आरबीआई की कमाई को काफी बढ़ाया।
इसके साथ ही, विदेशी मुद्रा की बिक्री से भी बड़ी आय हुई है। जब आरबीआई विदेशी मुद्रा को ऊंचे रेट पर बेचता है, तो उसे अधिक लाभ प्राप्त होता है। इस बार वैश्विक अस्थिरताओं ने डॉलर की मांग को बढ़ा दिया और आरबीआई ने इसका पूरा फायदा उठाया।
सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में रिजर्व बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन अब सिर्फ रिजर्व बैंक से ही 2.69 लाख करोड़ रुपये मिल जाना एक तरह से सरकार के लिए ‘बोनस’ जैसा है।
वित्तीय मामलों के जानकारों का कहना है कि इससे सरकार को लगभग 50,000 से 60,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता मिल सकती है। हालांकि इससे फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटा पूरी तरह से खत्म नहीं होगा, लेकिन इसके प्रतिशत में हल्की गिरावट संभव है। मौजूदा अनुमान के अनुसार, सरकार का फिस्कल डेफिसिट 4.4% है, जो इस डिविडेंड के बाद घटकर 4.3% तक आ सकता है।
यह अतिरिक्त राशि सरकार को सामाजिक कल्याण योजनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, और सब्सिडी योजनाओं पर खर्च करने में मदद कर सकती है। साथ ही, चुनावी साल में इसे एक सकारात्मक आर्थिक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है।
Contingent Risk Buffer (CRB) एक ऐसा फंड होता है जिसे RBI अपनी बैलेंस शीट में अनिश्चित आर्थिक स्थितियों से निपटने के लिए आरक्षित रखता है। इसे एक ‘सुरक्षा कवच’ कहा जा सकता है जो किसी भी आपातकालीन स्थिति में रिजर्व बैंक को स्थिर बनाता है।
अब तक CRB को 6.5 फीसदी पर रखा गया था, लेकिन RBI ने इसे बढ़ाकर 7.5 फीसदी कर दिया है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है जो दर्शाता है कि रिजर्व बैंक अपने वित्तीय ढांचे को और अधिक मजबूत बनाना चाहता है। यह कदम विशेष रूप से भविष्य में आने वाले संभावित जोखिमों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
उदाहरण के लिए, वैश्विक मंदी, तेल की कीमतों में उछाल, या विदेशी निवेशकों के पलायन जैसी घटनाएं भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में एक मजबूत CRB रिजर्व बैंक को स्थिर रहने में मदद करेगा और आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी।
अब सवाल यह उठता है कि क्या हर साल इतना ही डिविडेंड सरकार को मिलेगा? इसका जवाब ‘नहीं’ है। RBI की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अगर बैंक के पास 7.5 फीसदी से ज्यादा ‘इक्विटी’ यानी पूंजी होगी, तो वही हिस्सा सरकार को ट्रांसफर किया जाएगा। यदि किसी साल में CRB तय स्तर से नीचे चला गया, तो RBI तब तक कोई डिविडेंड नहीं देगा, जब तक वह अपने न्यूनतम पूंजी स्तर को दोबारा प्राप्त न कर ले।
इसलिए यह जरूरी है कि सरकार इस फंड को एक स्थायी आय स्रोत के रूप में न देखे, बल्कि इसे अवसर के रूप में उपयोग करे।
सीधे तौर पर इस डिविडेंड का आम जनता पर कोई बड़ा असर नहीं दिखेगा, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इसका असर सरकार की योजनाओं और बजट आवंटन पर पड़ सकता है। यदि सरकार इस पैसे का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास योजनाओं में करती है, तो इसका लाभ अंततः नागरिकों को मिलेगा।
साथ ही, सरकार को अतिरिक्त उधारी लेने की ज़रूरत नहीं होगी, जिससे बैंकों पर दबाव कम होगा और ब्याज दरों में स्थिरता बनी रह सकती है। यह निवेशकों और व्यापारियों के लिए सकारात्मक संकेत है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड ट्रांसफर न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि यह सरकार की वित्तीय स्थिति को भी मजबूत करने वाला कदम है। इस राशि का समुचित उपयोग करके सरकार न केवल अपने आर्थिक लक्ष्यों को आसानी से पूरा कर सकती है, बल्कि राजकोषीय घाटे को भी कुछ हद तक नियंत्रित कर सकती है। साथ ही, यह उदाहरण भविष्य में सरकार और आरबीआई के बीच आर्थिक सहयोग के नए आयाम खोलने में मदद कर सकता है।
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