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Patna becomes an example in traffic management: कोलकाता और चेन्नई से भी बेहतर यात्रा का अनुभव!

  • April 16, 2025
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ट्रैफिक जाम आज भारत के लगभग हर बड़े शहर की एक आम समस्या बन चुकी है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगरों में ट्रैफिक की स्थिति

Patna becomes an example in traffic management: कोलकाता और चेन्नई से भी बेहतर यात्रा का अनुभव!

ट्रैफिक जाम आज भारत के लगभग हर बड़े शहर की एक आम समस्या बन चुकी है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगरों में ट्रैफिक की स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका सीधा असर पड़ता है। लेकिन इसी बीच पटना शहर से एक सकारात्मक खबर सामने आई है, जिसने सबको चौंका दिया है।

पटना के ट्रैफिक एसपी अपराजित ने हाल ही में एक वीडियो बयान में कहा कि पटना का ट्रैफिक कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों से बेहतर है। उन्होंने एक सर्वे का हवाला देते हुए बताया कि पटना में 10 किलोमीटर की यात्रा करने में औसतन 25 मिनट लगते हैं, जबकि कोलकाता में यही दूरी तय करने में 33 मिनट और चेन्नई में 30 मिनट का समय लगता है।

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पटना ट्रैफिक की स्थिति का आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण

ट्रैफिक गति (Average Speed):

  • पटना: 24 किमी/घंटा
  • कोलकाता: 18.2 किमी/घंटा
  • चेन्नई: 20 किमी/घंटा

यह आंकड़े बताते हैं कि पटना में ट्रैफिक गति बेहतर है, जिससे लोगों को कम समय में अधिक दूरी तय करने में सुविधा मिल रही है।

ट्रैफिक एसपी का दावा और सर्वे रिपोर्ट

ट्रैफिक एसपी अपराजित के अनुसार, यह डेटा एक प्रामाणिक ट्रैफिक ट्रैकिंग सर्वे के आधार पर लिया गया है, जिसमें GPS डाटा, रोड सेंसर्स और रीयल-टाइम मॉनिटरिंग का इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने बताया कि पटना की ट्रैफिक व्यवस्था में नियंत्रण और अनुशासन के चलते यह सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। यह सब सड़कों के बेहतर प्रबंधन, स्मार्ट सिग्नल सिस्टम और पुलिस की सख्ती का नतीजा है।

पटना की ट्रैफिक व्यवस्था में हुए प्रमुख सुधार

1. स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल

पटना के कई प्रमुख चौराहों पर स्मार्ट ट्रैफिक लाइट्स लगाई गई हैं, जो ट्रैफिक के हिसाब से ग्रीन या रेड सिग्नल को एडजस्ट करती हैं।

2. सीसीटीवी निगरानी

सड़क पर चलने वाले वाहनों की लाइव निगरानी के लिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इससे नियम तोड़ने वालों पर फौरन कार्रवाई की जाती है।

3. डिजिटल चालान सिस्टम

नियम तोड़ने वालों के खिलाफ अब डिजिटल चालान जारी होता है, जिससे ट्रैफिक व्यवस्था में पारदर्शिता और अनुशासन बना है।

4. पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन

पटना पुलिस द्वारा नियमित रूप से लोगों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से अभियान चलाए जा रहे हैं।

पटना को क्यों मिल रही है यह बढ़त?

कम जनसंख्या घनत्व (compared to metros):

कोलकाता और चेन्नई की तुलना में पटना की जनसंख्या और वाहन संख्या अभी भी नियंत्रण में है।

भौगोलिक स्थिति:

पटना का फैलाव सीमित है और शहर का केंद्र ज्यादा बड़ा नहीं है, जिससे एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तक पहुंचना आसान है।

नए बाइपास और फ्लाईओवर:

हाल के वर्षों में बने दूधिया पुल, आर ब्लॉक फ्लाईओवर जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर ने ट्रैफिक डाइवर्जन में बड़ी भूमिका निभाई है।

प्रभावी ट्रैफिक पुलिसिंग:

पटना ट्रैफिक पुलिस ने अत्याधुनिक तकनीक और संवेदनशील निगरानी प्रणाली के सहारे ट्रैफिक कंट्रोल को मजबूती दी है।

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दूसरे शहरों की स्थिति: एक तुलना

शहरऔसत गति (किमी/घंटा)10 किमी तय करने में समय (मिनट)
पटना2425
कोलकाता18.233
चेन्नई2030
बेंगलुरु1637
दिल्ली19.331

यह तालिका स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि पटना में ट्रैफिक की सुगमता अन्य बड़े शहरों से बेहतर है।

आम जनता की राय

पटना के स्थानीय निवासियों का कहना है कि ट्रैफिक व्यवस्था पहले की तुलना में काफी सुधरी है। लोगों को दफ्तर, स्कूल या अन्य जरूरी जगहों पर पहुंचने में अब कम समय लगता है। हालांकि, पीक आवर्स में कुछ प्रमुख चौराहों पर अभी भी भीड़ होती है, लेकिन उसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जाता है।

भविष्य की योजनाएं और चुनौतियां

ट्रैफिक एसपी ने यह भी बताया कि आने वाले समय में पटना में डेडिकेटेड बस लेन, साइकिल ट्रैक, और पैदल यात्रियों के लिए फुटओवर ब्रिज बनाने की योजना है। इससे न केवल ट्रैफिक आसान होगा बल्कि सड़क सुरक्षा भी बेहतर होगी।

हालांकि, चुनौतियां अभी भी हैं:

  • वाहन संख्या में तेजी से वृद्धि
  • अवैध पार्किंग
  • बेतरतीब अतिक्रमण
  • कुछ पुराने इलाकों की संकरी सड़कें

इन समस्याओं के समाधान के लिए नगर निगम, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और पुलिस मिलकर काम कर रहे हैं।

निष्कर्ष: एक नई दिशा में बढ़ता पटना

पटना का ट्रैफिक कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों से बेहतर होना सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि सार्थक प्रयासों और समर्पण का परिणाम है। स्मार्ट प्लानिंग, तकनीक का इस्तेमाल और पुलिस की सतर्कता ने राजधानी को एक उदाहरण के रूप में पेश किया है। अगर यह रफ्तार और सिस्टम यूं ही बना रहा, तो पटना आने वाले वर्षों में देश के सबसे सुव्यवस्थित शहरों में शुमार हो सकता है।

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