कोविड और नैनोटेक्नोलॉजी पर पतंजलि की रिसर्च से हुआ बड़ा खुलासा
- April 29, 2025
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कोरोना महामारी ने दुनियाभर में भारी तबाही मचाई थी और आज भी इसके sporadic मामले सामने आते रहते हैं। इस वायरस की पहचान और इलाज के लिए दुनियाभर
कोरोना महामारी ने दुनियाभर में भारी तबाही मचाई थी और आज भी इसके sporadic मामले सामने आते रहते हैं। इस वायरस की पहचान और इलाज के लिए दुनियाभर
कोरोना महामारी ने दुनियाभर में भारी तबाही मचाई थी और आज भी इसके sporadic मामले सामने आते रहते हैं। इस वायरस की पहचान और इलाज के लिए दुनियाभर में कई नई तकनीकें और वैक्सीन विकसित की गईं। इसी कड़ी में नैनोटेक्नोलॉजी आधारित निदान तकनीकें कोविड वायरस की पहचान में एक बड़ा कारगर कदम साबित हो सकती हैं। पतंजलि शोध संस्थान की हालिया रिसर्च में इस बारे में अहम जानकारियां सामने आई हैं।
रिसर्च में बताया गया है कि नैनोटेक्नोलॉजी आधारित वायरस-जैसे कणों वाले टीके (Virus-Like Particles – VLPs) कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी हो सकते हैं। ये नैनोकण विशेष कोशिकाओं (specialized cells) या टिश्यू को टारगेट कर सकते हैं, जिससे संक्रमण को जड़ से खत्म करने में मदद मिल सकती है।
रिसर्च के मुताबिक, नैनोटेक्नोलॉजी आधारित निदान तकनीकें कोरोना वायरस की समय रहते पहचान करने में काफी मददगार हो सकती हैं। ये तकनीकें अधिक संवेदनशील होती हैं और संक्रमण का जल्दी व सटीक पता लगाने में सक्षम होती हैं।
इसके अलावा, नैनोटेक्नोलॉजी आधारित बायोसेंसर वायरस की पहचान को तेज और भरोसेमंद बना सकते हैं, जिससे कोविड संक्रमण को शुरुआती स्टेज में ही रोका जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, नैनोटेक्नोलॉजी वैक्सीन निर्माण और वितरण (vaccine development and delivery) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इससे तैयार की गई वैक्सीन स्पेशल सेल्स तक बेहतर तरीके से पहुंचाई जा सकती है।
इस टेक्नोलॉजी की मदद से वैक्सीन की प्रभावशीलता (efficacy) बढ़ सकती है, जिससे शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) विकसित होती है। नैनोकण सही टारगेट तक दवा या टीका पहुंचाने में सटीकता दिखाते हैं, जो संक्रमण से तेजी से लड़ने में मदद करता है।
नैनोटेक्नोलॉजी को वैज्ञानिकों ने एक सुरक्षित और कुशल विकल्प बताया है। यह विज्ञान और इंजीनियरिंग की वह शाखा है जो परमाणुओं और अणुओं के स्तर पर संरचनाओं, उपकरणों और प्रणालियों को डिजाइन, उत्पादन और उपयोग करने पर केंद्रित है।
कोरोना महामारी के बाद से ही नैनोटेक्नोलॉजी को लेकर दुनियाभर में काफी चर्चा हुई थी, जिसके बाद पतंजलि शोध संस्थान ने इस दिशा में रिसर्च की और अच्छे नतीजे हासिल किए।
प्री-क्लीनिकल ट्रायल्स में यह भी देखा गया कि नैनोटेक्नोलॉजी आधारित उपकरण न केवल कोविड-19 बल्कि अन्य वायरल बीमारियों जैसे:
जैसे संक्रमणों के खिलाफ भी प्रभावी साबित हो सकते हैं।
पॉलिमरिक, अकार्बनिक और कार्बनिक नैनोकण (Polymeric, Inorganic, and Organic Nanoparticles) जैविक एजेंट (Biological Agents) के रूप में कार्य करते हैं, जो रोगों की सही पहचान और इलाज में मदद कर सकते हैं।
पतंजलि की इस रिसर्च से यह स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में नैनोटेक्नोलॉजी न केवल कोविड-19 बल्कि अन्य जटिल वायरल बीमारियों के इलाज और निदान में भी बड़ी भूमिका निभा सकती है। नई तकनीकों के विकास से महामारी जैसी आपदाओं से लड़ने की तैयारी और भी मजबूत हो सकती है।
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