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Now driving an old car will be expensive in Delhi: ग्रीन लेवी का प्रस्ताव और इसका असर

  • April 30, 2025
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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार अब एक नया कदम उठाने जा रही है। राजधानी में

Now driving an old car will be expensive in Delhi: ग्रीन लेवी का प्रस्ताव और इसका असर

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार अब एक नया कदम उठाने जा रही है। राजधानी में पुरानी गाड़ियों पर ग्रीन लेवी (Green Levy) लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। यह प्रस्ताव मुख्य रूप से उन वाहनों को लक्षित करता है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं। इसके अंतर्गत ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स और टू-व्हीलर्स पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की सिफारिश की गई है।

क्या है ग्रीन लेवी?

ग्रीन लेवी एक प्रकार का पर्यावरण कर (Environment Tax) है, जो उन वाहनों पर लगाया जाता है जो पुराने हो चुके हैं और ज्यादा धुआं या प्रदूषक तत्व छोड़ते हैं। इसका उद्देश्य है लोगों को पुराने वाहनों का उपयोग कम करने और इलेक्ट्रिक या कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को अपनाने के लिए प्रेरित करना।

दिल्ली सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में निम्नलिखित सिफारिशें की गई हैं:

  • ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स पर ₹7500 प्रति वर्ष की दर से ग्रीन लेवी लगाई जाए।
  • 2-व्हीलर्स (दोपहिया वाहनों) पर ₹2000 प्रति वर्ष का ग्रीन टैक्स लगाया जाए।
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ग्रीन लेवी क्यों जरूरी है?

दिल्ली लंबे समय से वायु प्रदूषण से जूझ रही है। सर्दियों में स्मॉग की परत, सांस की बीमारियों में वृद्धि, और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का लगातार खराब होना – ये सभी संकेत हैं कि अब कड़े कदम उठाने का समय आ गया है। पुराने वाहन, विशेष रूप से डीज़ल और पेट्रोल से चलने वाले ट्रांसपोर्ट वाहन, इस प्रदूषण के मुख्य कारणों में से हैं।

ग्रीन लेवी लगाने का उद्देश्य है:

  • प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या में कमी लाना।
  • वाहन मालिकों को नए, इको-फ्रेंडली विकल्पों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • सरकारी खजाने में पर्यावरणीय सुधार के लिए फंड जुटाना।

किसे देना होगा यह टैक्स?

यह टैक्स उन गाड़ियों पर लागू होगा जो तय समयसीमा के बाद भी सड़क पर चल रही हैं। उदाहरण के लिए:

  • पेट्रोल गाड़ियां जो 15 साल से पुरानी हैं।
  • डीज़ल वाहन जो 10 साल से ज्यादा पुराने हैं।
  • पुराने कमर्शियल वाहन जो दिल्ली की सड़कों पर अभी भी दौड़ रहे हैं।

सरकार द्वारा प्रस्तावित नियमों के तहत इन्हीं श्रेणियों के वाहनों पर यह टैक्स लगाया जाएगा। इसके साथ ही यह भी सुझाव दिया गया है कि ग्रीन टैक्स की राशि हर साल रिवाइज की जा सकती है।

इस प्रस्ताव का क्या होगा असर?

1. वाहन मालिकों पर आर्थिक बोझ:
पुराने वाहन रखने वाले लोगों को हर साल अतिरिक्त टैक्स देना होगा। इससे कई मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग के लोगों को वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

2. नए वाहनों की मांग में वृद्धि:
लोग पुराने वाहनों से छुटकारा पाकर नए और ईंधन-कुशल वाहन खरीदने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर को फायदा हो सकता है।

3. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा:
सरकार पहले ही ईवी (EV) नीति के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी और टैक्स में छूट दे रही है। ग्रीन लेवी से लोग पारंपरिक ईंधन वाले वाहनों से हटकर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर शिफ्ट हो सकते हैं।

4. पर्यावरण को राहत:
पुराने वाहनों की संख्या में कमी आने से प्रदूषण का स्तर घटेगा, जिससे शहर की वायु गुणवत्ता बेहतर होगी।

जनता की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?

जहां एक ओर पर्यावरण विशेषज्ञ और जागरूक नागरिक इस कदम की सराहना कर सकते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ वर्गों में इसका विरोध भी हो सकता है। खासकर वो लोग जिनके पास पुराने वाहन हैं और जो आर्थिक रूप से नया वाहन खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, उनके लिए यह प्रस्ताव चिंता का विषय हो सकता है।

सरकार को क्या करना चाहिए?

सरकार को ग्रीन लेवी लागू करने से पहले निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना जरूरी है:

  • प्रभावित वर्गों के लिए सब्सिडी या छूट: गरीब और मध्यमवर्गीय वाहन मालिकों को राहत देने के लिए कुछ विशेष योजनाएं शुरू करनी चाहिए।
  • स्क्रैप पॉलिसी का प्रचार: पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की योजना को और मजबूत और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों की सुविधा बढ़ाना: चार्जिंग स्टेशन की संख्या बढ़ाना और EV पर टैक्स में और छूट देना जरूरी है।

निष्कर्ष:

दिल्ली में ग्रीन लेवी लागू करने का प्रस्ताव एक सकारात्मक कदम है जो राजधानी की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करेगा। हालांकि इसके साथ सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। यदि इस नीति को सही तरीके से लागू किया जाए तो यह न केवल प्रदूषण में कमी लाएगी बल्कि एक स्वच्छ, स्वस्थ और हरित दिल्ली की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।

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