Muslim boyfriend left Islam for the love of his Hindu girlfriend and became a Sanatani: जबलपुर की अनोखी प्रेम कहानी
May 7, 2025
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प्रेम, एक ऐसा अहसास है जो न केवल दिलों को जोड़ता है बल्कि धर्म, जाति, और समाज की सीमाओं को भी पार कर जाता है। जबलपुर, मध्य प्रदेश
प्रेम, एक ऐसा अहसास है जो न केवल दिलों को जोड़ता है बल्कि धर्म, जाति, और समाज की सीमाओं को भी पार कर जाता है। जबलपुर, मध्य प्रदेश में एक ऐसी ही प्रेम कहानी सामने आई है जिसमें एक मुस्लिम युवक ने अपनी हिंदू प्रेमिका से शादी करने के लिए अपना धर्म बदलकर सनातनी बनने का साहसिक कदम उठाया। यह कहानी प्रेम, त्याग और संघर्ष की मिसाल बन गई है, जिसमें दो अलग-अलग धर्मों के लोग अपने प्यार के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
प्रेम में धर्म की दीवारें नहीं होतीं
इस कहानी का मुख्य पात्र, 26 वर्षीय आन मोहम्मद, जो अब संजू के नाम से जाने जाते हैं, एक सिलाई मशीन रिपेयरिंग का काम करता था। वही दूसरी ओर सृष्टि हालदार, एक हिंदू युवती हैं जो टाइपिंग सीखने के लिए आती थीं। दोनों का परिचय धीरे-धीरे हुआ और उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। तीन सालों तक दोनों ने एक-दूसरे का साथ दिया, लेकिन उनके प्यार की राह में सबसे बड़ी रुकावट थी धर्म और समाज का विरोध।
सृष्टि और आन मोहम्मद के रिश्ते की जानकारी उनके परिवारों को थी, लेकिन परिवार वाले इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। परिवार और समाज के विरोध के बावजूद, इन दोनों ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। हालांकि, समाज का दबाव और परिवार की आपत्तियों के कारण दोनों के विवाह को लेकर गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं।
इस्लाम धर्म को त्यागकर संजू बने आन मोहम्मद
यहां पर प्रेम की ताकत ने समाज और परिवार की सोच को चुनौती दी। आन मोहम्मद ने सृष्टि से शादी करने के लिए न केवल अपने परिवार से लड़ाई की बल्कि धर्म बदलने का निर्णय भी लिया। अपने प्यार के लिए उसने इस्लाम धर्म का त्याग किया और हिंदू धर्म अपनाया। इसके बाद उसका नाम भी बदलकर संजू रख लिया। इस कदम ने न केवल उसकी प्रेमिका के लिए उसका प्यार और सम्मान दिखाया, बल्कि समाज को यह भी संदेश दिया कि प्रेम किसी भी धर्म या जाति से ऊपर है।
विवाह से पहले, आन मोहम्मद को विधिविधान से हिंदू धर्म में शामिल किया गया। राम मंदिर में पंडित ने उन्हें गंगाजल और नर्मदा जल पिलाया, जो एक हिन्दू के जीवन में शुद्धि और आस्था का प्रतीक माने जाते हैं। फिर संजू ने सृष्टि की मांग में सिंदूर भरा और भगवान राम व जानकी के पैर पड़कर आशीर्वाद लिया। इस विवाह को हिंदू धार्मिक संगठनों ने विधिपूर्वक संपन्न कराया, जो समाज में एकता और धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक बन गया।
आतंकवाद से व्यथित होकर धर्म परिवर्तन का निर्णय
संजू ने अपने धर्म परिवर्तन के कारण का खुलासा करते हुए कहा, “देश में हो रही आतंकी घटनाओं से मैं बहुत व्यथित था। जब सृष्टि ने समाज से लड़कर मुझसे विवाह करने का निर्णय लिया, तो यह मेरा भी फर्ज बनता था कि हिंदू धर्म अपनाकर इस रिश्ते को पूरी स्वीकार्यता दूं।” इसका मतलब यह था कि उसने सिर्फ अपनी प्रेमिका के लिए धर्म नहीं बदला, बल्कि वह देश की बढ़ती आतंकवाद की घटनाओं से प्रभावित होकर एक शांतिपूर्ण समाज की दिशा में कदम बढ़ाना चाहता था।
समाज के विरोध के बावजूद प्यार की जीत
इस मामले में समाज और परिवार के विरोध के बावजूद दोनों ने अपना प्यार कायम रखा। सृष्टि ने कहा, “हमारे रिश्ते की जानकारी हमारे परिवारों को थी और घर में हमेशा तनाव का माहौल रहता था। इसके बाद संजू ने बिना किसी दबाव या जबरदस्ती के खुद ही हिंदू धर्म अपनाकर शादी की।” यह सच में एक साहसिक कदम था, जहां दोनों ने अपने प्यार के लिए अपने परिवारों और समाज से संघर्ष किया।
यह कहानी समाज में धर्म, जाति, और संस्कृति की दीवारों को तोड़ने का एक उदाहरण बन गई है। यह भी साबित करता है कि प्रेम एक अमूल्य भावना है जो किसी भी धर्म, जाति, या संस्कृति से ऊपर होती है। दोनों ने न केवल अपने रिश्ते को स्वीकार किया बल्कि समाज में एकता, प्रेम और सामंजस्य का संदेश भी दिया।
निष्कर्ष
जबलपुर के इस प्रेम कहानी ने यह साबित किया कि प्रेम केवल दो दिलों का मिलन नहीं होता, बल्कि यह एक दूसरे के धर्म, विचारधारा और समाज की सीमाओं को पार कर सकता है। संजू और सृष्टि का विवाह न केवल एक अनोखी प्रेम कहानी है, बल्कि यह समाज को यह भी सिखाता है कि यदि आप सच्चे प्यार में विश्वास रखते हैं, तो किसी भी धर्म, जाति या समाज की सीमाओं से परे जाकर अपने प्रेम को पा सकते हैं। इस प्रकार के उदाहरण हमें यह सिखाते हैं कि प्यार सबसे बड़ा धर्म होता है और इसे हर किसी को अपनाना चाहिए।