मद्रास हाईकोर्ट ने नीट पुन परीक्षा की मांग पर सुनाया बड़ा फैसला, छात्रों की अपील खारिज
- July 4, 2025
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नीट (NEET-UG 2025) परीक्षा को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे थे। परीक्षा में शामिल कई छात्रों ने दावा किया था कि चेन्नई के कुछ परीक्षा
नीट (NEET-UG 2025) परीक्षा को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे थे। परीक्षा में शामिल कई छात्रों ने दावा किया था कि चेन्नई के कुछ परीक्षा केंद्रों पर बिजली चली जाने के कारण उनका पेपर प्रभावित हुआ। इसी के चलते कई छात्रों ने नीट पुनः परीक्षा कराने की मांग करते हुए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
छात्रों ने अपनी याचिका में कहा कि बिजली गुल होने की वजह से उन्हें न तो प्रश्न पत्र साफ दिखाई दे रहा था और न ही उन्होंने पूरा पेपर ठीक से हल कर पाया। छात्रों का तर्क था कि जब परीक्षा में इतनी बड़ी तकनीकी समस्या आ गई, तो उनके लिए अलग से नीट पुनः परीक्षा आयोजित कराई जानी चाहिए और तब तक परीक्षा परिणाम घोषित न किए जाएं।
एस साई प्रिया और 11 अन्य छात्रों ने मद्रास हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इससे पहले सिंगल जज की बेंच ने 6 जून 2025 को उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने खंडपीठ में अपील की।
खंडपीठ में जस्टिस जे. निशा बानू और जस्टिस एम. जोतिरमन ने इस अपील पर सुनवाई की। उन्होंने कहा कि परीक्षा केंद्रों पर केंद्र अधीक्षक, निरीक्षक, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के पर्यवेक्षक और समन्वयक की उपस्थिति होती है। इन अधिकारियों ने जांच करने के बाद स्पष्ट रूप से बताया कि परीक्षा सुचारू रूप से आयोजित की गई थी।
अदालत ने यह भी बताया कि एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा विस्तृत सांख्यिकीय विश्लेषण कराया गया था। इस विश्लेषण में परीक्षा के दौरान हल किए गए प्रश्नों की संख्या और अन्य केंद्रों से तुलना की गई। रिपोर्ट के अनुसार, जिन चार परीक्षा केंद्रों में बिजली जाने की शिकायत की गई थी, वहां के छात्रों ने लगभग उतने ही प्रश्न हल किए, जितने अन्य केंद्रों के छात्रों ने। इससे यह साबित हुआ कि बिजली जाने की घटना ने छात्रों के प्रदर्शन पर कोई खास प्रभाव नहीं डाला।
अदालत ने यह भी कहा कि नीट परीक्षा एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है जिसमें करीब 20 लाख से ज्यादा छात्र भाग लेते हैं। अगर कुछ छात्रों की शिकायत पर नीट पुनः परीक्षा आयोजित की जाती है, तो इसका सीधा असर इन सभी छात्रों पर पड़ेगा। इससे परीक्षा की निष्पक्षता, शुचिता और भरोसे पर भी आंच आएगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा के परिणाम को रोकना और दोबारा परीक्षा कराना न केवल छात्रों के भविष्य को बाधित करेगा, बल्कि पूरे मेडिकल एडमिशन शेड्यूल को भी प्रभावित करेगा। लाखों छात्रों ने सालभर कड़ी मेहनत की है और उनका भविष्य इस परीक्षा के परिणाम पर निर्भर करता है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जब तक कोई ठोस और निर्णायक सबूत नहीं मिलते, तब तक नीट पुनः परीक्षा कराना संभव नहीं है। परीक्षा को फिर से आयोजित कराने में न केवल प्रशासनिक बल्कि आर्थिक चुनौतियां भी शामिल होती हैं।
अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें सिंगल जज के पहले दिए गए आदेश में कोई त्रुटि नजर नहीं आई। कोर्ट ने कहा कि इन हालातों में अपील को खारिज करना ही न्यायसंगत निर्णय होगा।
आखिर में, मद्रास हाईकोर्ट ने सभी पक्षों के तर्क और सबूतों का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि नीट पुनः परीक्षा की मांग न केवल अनुचित है, बल्कि इससे देशभर के लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है।
इस फैसले के बाद राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा परिणाम जारी करने का रास्ता साफ हो गया है और जल्द ही छात्र अपने रिजल्ट का इंतजार खत्म कर सकेंगे।
यह फैसला परीक्षा की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके साथ ही, यह संदेश भी दिया गया कि बिना ठोस सबूतों के इतनी बड़ी परीक्षा प्रक्रिया में बदलाव करना संभव नहीं है।
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नहीं, मद्रास हाईकोर्ट ने नीट पुनः परीक्षा कराने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बिजली जाने की घटना से छात्रों के प्रदर्शन पर कोई महत्वपूर्ण असर नहीं पड़ा और दोबारा परीक्षा कराने से 20 लाख से अधिक छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
कुछ छात्रों ने दावा किया था कि चेन्नई के चार परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा के दौरान बिजली चली गई थी, जिससे उन्हें प्रश्नपत्र हल करने में परेशानी हुई। इसी के आधार पर उन्होंने पुनः परीक्षा की मांग की थी।
कोर्ट ने NTA द्वारा कराए गए स्वतंत्र सांख्यिकीय विश्लेषण और केंद्र अधीक्षकों की रिपोर्ट को सही माना। इन रिपोर्टों में कहा गया कि बिजली जाने की घटना का छात्रों के प्रदर्शन पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा।
इसका मतलब है कि अब नीट परीक्षा का परिणाम घोषित करने में कोई बाधा नहीं है और लाखों छात्रों को जल्द ही अपना रिजल्ट मिल सकेगा।
केवल तभी, जब ठोस और निर्णायक सबूत सामने आएं कि परीक्षा में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है। बिना सबूतों के पुनः परीक्षा कराना संभव नहीं है।