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कनाडा में खालिस्तानी उग्रता: 8 लाख हिंदुओं को देश छोड़ने की धमकी

  • May 5, 2025
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कनाडा के टोरंटो शहर में हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरी दुनिया में भारतीय मूल के लोगों और खासकर हिंदू समुदाय के

कनाडा में खालिस्तानी उग्रता: 8 लाख हिंदुओं को देश छोड़ने की धमकी

कनाडा के टोरंटो शहर में हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरी दुनिया में भारतीय मूल के लोगों और खासकर हिंदू समुदाय के बीच गहरी चिंता और नाराज़गी पैदा कर दी है। इस बार मामला टोरंटो के मलटन इलाके से जुड़ा है, जहां पर खालिस्तानी समर्थकों ने एक कथित ‘हिंदू विरोधी परेड’ निकाली। इस परेड में कथित रूप से 8 लाख हिंदुओं को कनाडा से बाहर निकालने की मांग की गई।

चुनाव के बाद खालिस्तानी गतिविधियों में इज़ाफा

हाल ही में कनाडा में आम चुनाव संपन्न हुए हैं, जिसमें मार्क कार्नी ने जीत हासिल कर दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। हालांकि, उनकी सरकार बनते ही खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। यह परेड ऐसे समय में निकाली गई है जब देश में सामाजिक सौहार्द और साम्प्रदायिक एकता की सबसे अधिक ज़रूरत है।

पत्रकार डेनियल बोर्डमैन का बड़ा खुलासा

इस पूरे मामले को कनाडा के एक प्रसिद्ध पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने सबसे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर उजागर किया। उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें टोरंटो के मलटन स्थित एक गुरुद्वारे में यह परेड होती दिखाई दे रही है। वीडियो में कथित रूप से कुछ प्रदर्शनकारी हिंदू विरोधी नारे लगाते हुए और उन्हें देश से निकालने की मांग करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री मार्क कार्नी पर सवाल

बोर्डमैन ने अपनी पोस्ट में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से सीधा सवाल पूछा कि क्या वे भी पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की तरह खालिस्तानी समर्थकों के प्रति नरम रवैया अपनाएंगे या इन पर सख्ती दिखाएंगे। उन्होंने लिखा कि जस्टिन ट्रूडो के शासन में खालिस्तानी गतिविधियों को काफी छूट मिली थी, जिससे कनाडा में साम्प्रदायिक तनाव और विदेशी फंडिंग से संचालित अलगाववादी आंदोलन को बढ़ावा मिला।

खालिस्तानी तत्व बन रहे हैं बड़ा खतरा

बोर्डमैन ने यह भी चेतावनी दी कि खालिस्तानी समर्थक धीरे-धीरे कनाडा की सामाजिक संरचना और धार्मिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारी सड़कों पर उत्पात मचाने वाले जिहादियों ने पहले ही सामाजिक ताने-बाने को काफी हानि पहुंचाई है, लेकिन खालिस्तानी समर्थक इस क्षेत्र में उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं।”

8 लाख हिंदुओं को वापस भारत भेजने की मांग

एक्स पर ही एक अन्य यूजर शॉन बिंदा ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि मलटन गुरुद्वारे में आयोजित परेड में कुछ प्रदर्शनकारियों ने 8 लाख हिंदुओं को “हिंदुस्तान भेजने” की मांग की। बिंदा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि इन हिंदुओं का संबंध त्रिनिदाद, गुयाना, सूरीनाम, जमैका, दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड, मलेशिया, श्रीलंका, सिंगापुर और केन्या जैसे देशों से है।

भारतीय समुदाय में रोष

इस पूरी घटना के बाद कनाडा में बसे भारतीय मूल के नागरिकों में भारी रोष देखा जा रहा है। विभिन्न भारतीय संगठनों और हिंदू समुदाय के नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और कनाडा सरकार से मांग की है कि वह ऐसे अलगाववादी और नफरत फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता दबाव

भारत सरकार ने भी इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाया है और कनाडा में भारतीय उच्चायोग के माध्यम से मामले की जानकारी मांगी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि किसी भी देश में भारतीय समुदाय के साथ भेदभाव या नफरत फैलाने की कोशिश को भारत सहन नहीं करेगा।

क्या खालिस्तान फिर से खतरा बन रहा है?

खालिस्तान आंदोलन वर्षों से निष्क्रिय हो चुका था, लेकिन अब विदेशी जमीन पर इसका पुनरुत्थान चिंता का विषय बनता जा रहा है। कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में रहने वाले कुछ चरमपंथी समूह इसे फिर से हवा देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी घटनाएं न केवल भारतीय समुदाय के लिए, बल्कि उस देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता के लिए भी खतरा हैं।

निष्कर्ष: लोकतंत्र के नाम पर नफरत नहीं

कनाडा जैसे लोकतांत्रिक और बहुसांस्कृतिक देश में इस प्रकार की घटनाएं न केवल वहां के सामाजिक सौहार्द के लिए नुकसानदायक हैं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी भी हैं कि अगर समय रहते ऐसी गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह कट्टरता और हिंसा को जन्म दे सकती हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की सरकार इस मामले पर क्या रुख अपनाती है और क्या वाकई वे जस्टिन ट्रूडो से अलग साबित हो पाएंगे या नहीं।

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