पहलगाम हमले के बाद भी अमरनाथ यात्रा को लेकर तैयार है जम्मू-कश्मीर सरकार: CM उमर अब्दुल्ला
May 29, 2025
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22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति को एक बार फिर गंभीर बना दिया है। लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति को एक बार फिर गंभीर बना दिया है। लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में गुलमर्ग में एक हाई लेवल मीटिंग के दौरान स्पष्ट किया कि अमरनाथ यात्रा 2025 को सुरक्षित और सफल बनाने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है। उन्होंने ना सिर्फ लोकल लोगों और टूरिस्टों की सुरक्षा पर भरोसा जताया बल्कि घाटी में पहले जैसी सामान्य स्थिति बहाल करने के अपने संकल्प को भी दोहराया।
गुलमर्ग में उच्च स्तरीय बैठक, सभी तैयारियों की समीक्षा
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुलमर्ग में विभिन्न विभागों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में अमरनाथ यात्रा से जुड़ी तैयारियों, टूरिज्म, स्वास्थ्य सुविधाएं, एडवेंचर टूरिज्म, मोबाइल कनेक्टिविटी, ग्रामीण विकास और कैपेक्स (Capital Expenditure) कार्यों की समीक्षा की गई।
बैठक में उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार की अमरनाथ यात्रा, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कारण विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होगी, लेकिन सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि यात्रियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और ट्रैफिक मैनेजमेंट पर कोई कोताही न हो।
“शाम ही तो है”: उम्मीद का संदेश
उमर अब्दुल्ला ने बैठक के दौरान एक उर्दू शेर पढ़ा, ‘‘दिल ना-उम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है; लंबी है ग़म की शाम, मगर शाम ही तो है।’’ इस शेर के ज़रिए उन्होंने मुश्किल हालात में भी उम्मीद बनाए रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि पिछले चार दशकों में जम्मू-कश्मीर ने कई मुश्किल दौर देखे हैं, लेकिन हर बार यहां के लोग मजबूती से उभरे हैं।
बैठकों का उद्देश्य: सामान्य स्थिति की बहाली और भरोसे की वापसी
गुलमर्ग और पहलगाम जैसे टूरिस्ट स्थलों पर लगातार प्रशासनिक बैठकें आयोजित करने के पीछे का मकसद सिर्फ समीक्षा नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों और पर्यटकों में विश्वास बहाल करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये बैठकें दिखावटी नहीं हैं, बल्कि ये लोगों को यह जताने के लिए हैं कि सरकार पूरी तरह सतर्क और समर्पित है।
केंद्र सरकार से सहयोग की अपील
सीएम उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीर घाटी को केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) की बोर्ड मीटिंग्स और सम्मेलनों के लिए एक सुरक्षित स्थान के रूप में विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि गर्मियों के दौरान जब देश के अन्य हिस्सों में गर्मी चरम पर होती है, कश्मीर एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि 22 अप्रैल के हमले के बाद कई संसदीय समितियों की जो बैठकें कश्मीर में होनी थीं, उन्हें रद्द कर दिया गया था। अब उन्होंने केंद्र सरकार से इन बैठकों को फिर से शुरू करने की अपील की है।
टूरिस्टों और लोकल डेलिगेशन से बातचीत
बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने गुलमर्ग में विभिन्न व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों और वहां घूमने आए पर्यटकों से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि ऐसी मुलाकातों से स्थानीय लोगों का मनोबल बढ़ता है और टूरिस्टों को भी सुरक्षा का भरोसा मिलता है।
अमरनाथ यात्रा: धार्मिक और आर्थिक महत्व
अमरनाथ यात्रा न केवल एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा के लिए आते हैं। इस यात्रा के दौरान स्थानीय व्यवसायों, होटल इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट और कई अन्य सेक्टर्स को भारी लाभ होता है।
सीएम उमर अब्दुल्ला ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, ट्रैफिक कंट्रोल और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं में किसी भी तरह की चूक न हो। उन्होंने यह भी कहा कि हर एजेंसी को अपने-अपने स्तर पर पूरी जिम्मेदारी से काम करना होगा ताकि श्रद्धालु शांति और विश्वास के साथ भगवान शिव के दर्शन कर सकें।
निष्कर्ष: चुनौतियों के बावजूद तैयार है सरकार
अमरनाथ यात्रा 2025 के सामने चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर सरकार पूरी तैयारी के साथ मैदान में है। स्थानीय प्रशासन, सुरक्षा बलों और केंद्र सरकार के सहयोग से इस यात्रा को सुरक्षित और सफल बनाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।