IVF फेल होने के बाद आयुर्वेद से मातृत्व की राह: क्या सचमुच बांझपन का इलाज संभव है?
- August 20, 2025
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हर शादीशुदा महिला का सपना होता है मां बनने का। लेकिन कई बार मेडिकल जर्नी इतनी आसान नहीं होती। IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसी आधुनिक तकनीक भी हर
हर शादीशुदा महिला का सपना होता है मां बनने का। लेकिन कई बार मेडिकल जर्नी इतनी आसान नहीं होती। IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसी आधुनिक तकनीक भी हर
हर शादीशुदा महिला का सपना होता है मां बनने का। लेकिन कई बार मेडिकल जर्नी इतनी आसान नहीं होती। IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसी आधुनिक तकनीक भी हर बार सफलता की गारंटी नहीं देती। ऐसे में सवाल उठता है—क्या IVF फेल होने के बाद भी मातृत्व का सपना पूरा किया जा सकता है? आयुर्वेद इस सवाल का सकारात्मक जवाब देता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा केवल इलाज ही नहीं, बल्कि जीवनशैली सुधार और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती है।
दिल्ली की रहने वाली निशा की शादी के बाद से ही मां बनने की चाह थी। कई सालों तक डॉक्टरों से सलाह, टेस्ट और ट्रीटमेंट के बाद उन्होंने IVF कराया। पहली बार असफल रहीं, दूसरी बार भी नतीजा वही रहा। तीसरी बार के लिए आर्थिक और मानसिक रूप से टूट चुकी निशा के सामने अब कोई रास्ता नहीं बचा था।
तभी एक सहेली ने उन्हें आयुर्वेदिक इलाज की सलाह दी। शुरुआत में संदेह हुआ कि जड़ी-बूटियाँ और पंचकर्म जैसी थेरेपी कैसे मदद कर सकती हैं, लेकिन जब उन्होंने इसे अपनाया तो उनकी जिंदगी बदल गई।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि बांझपन की जड़ अक्सर सिर्फ मेडिकल कारण नहीं होते, बल्कि तनाव, गलत खानपान और असंतुलित दिनचर्या भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं।
डॉ. चंचल शर्मा, आयुर्वेदिक स्त्री रोग विशेषज्ञ, बताती हैं कि निशा की समस्या खराब लाइफस्टाइल से जुड़ी थी—
इन सबका असर उनके एग क्वालिटी और गर्भाशय पर पड़ा था।
निशा के इलाज की शुरुआत उनकी दिनचर्या बदलने से की गई:
कुछ हफ्तों बाद ही निशा ने खुद को हल्का, ऊर्जावान और मानसिक रूप से पॉजिटिव महसूस करना शुरू कर दिया।
लगातार तीन महीने की आयुर्वेदिक थेरेपी और जीवनशैली सुधार के बाद निशा ने दोबारा प्रेग्नेंसी ट्राई की। इस बार परिणाम चौंकाने वाले थे—उन्होंने नैचुरली कंसीव कर लिया।
आज निशा एक स्वस्थ बच्चे की मां हैं और उनका अनुभव बताता है कि आयुर्वेद बांझपन से जूझ रही महिलाओं के लिए नई उम्मीद बन सकता है।
IVF फेल होने के बाद भी मातृत्व का सपना अधूरा नहीं रह जाता। आयुर्वेद केवल इलाज ही नहीं बल्कि जीवनशैली सुधार कर गर्भधारण के लिए शरीर और मन को तैयार करता है। निशा की तरह, धैर्य और सही मार्गदर्शन अपनाकर हर महिला अपने सपनों को पूरा कर सकती है।