India’s warning after Pahalgam attack: अब तनाव बढ़ाना या घटाना पाकिस्तान के ऊपर निर्भर
May 9, 2025
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हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव को बढ़ा दिया है। इस हमले में भारतीय सुरक्षाबलों और
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव को बढ़ा दिया है। इस हमले में भारतीय सुरक्षाबलों और नागरिकों को गंभीर क्षति पहुँची, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। भारत ने इस आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का स्पष्ट संकेत देते हुए कड़ा रुख अपनाया है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पाकिस्तान को “आतंकवाद का एपिकसेंटर” (केंद्र) बताया है और कहा है कि भारत हर एक्शन का जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब तनाव घटाना या बढ़ाना पाकिस्तान के ऊपर निर्भर है।
पहलगाम हमला: एक और आतंकी साजिश
पहलगाम में हुआ हमला किसी सामान्य घटना का हिस्सा नहीं था, बल्कि यह एक सुनियोजित आतंकी योजना का नतीजा था। यह हमला उस समय हुआ जब भारत में तीर्थयात्रा का सीजन चल रहा था और सुरक्षा एजेंसियाँ विशेष चौकसी बरत रही थीं। हमले के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया। भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की भूमिका को उजागर किया है।
भारत का कड़ा रुख
भारत ने इस हमले के बाद जो रुख अपनाया है, वह पहले की तुलना में कहीं अधिक प्रत्यक्ष और आक्रामक है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा और हर आतंकी गतिविधि का माकूल जवाब देगा। उन्होंने कहा कि अब यह पाकिस्तान पर निर्भर करता है कि वह तनाव को कम करना चाहता है या और बढ़ाना चाहता है। यदि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन जारी रखता है, तो भारत भी हर मोर्चे पर तैयार रहेगा — चाहे वह कूटनीतिक हो, सैन्य हो या आर्थिक।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की योजना
भारत अब इस मुद्दे को सिर्फ द्विपक्षीय स्तर तक सीमित नहीं रखना चाहता। भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करने की तैयारी में है। IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भारत पाकिस्तान को आतंकवाद समर्थक देश के रूप में पेश करेगा। इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख को गहरा आघात पहुंच सकता है। भारत यह साबित करना चाहता है कि पाकिस्तान न केवल आतंकवाद को पनाह देता है, बल्कि उसे एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान की ओर से हमेशा की तरह इस बार भी इन आरोपों को खारिज किया गया है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया हो। इससे पहले भी पुलवामा, उरी और पठानकोट जैसे हमलों के पीछे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों की भूमिका सामने आई थी। बार-बार के इन घटनाक्रमों ने भारत को कठोर नीति अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है।
भारत की जवाबी रणनीति
भारत की सुरक्षा एजेंसियाँ अब सक्रिय रूप से उन आतंकी नेटवर्क्स को नष्ट करने में लगी हैं जो सीमा पार से संचालित होते हैं। साथ ही, भारत सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक्स और एयर स्ट्राइक्स जैसे विकल्पों पर भी विचार कर सकता है, जैसा कि 2016 और 2019 में देखा गया था। भारत की नीति अब केवल प्रतिक्रिया की नहीं बल्कि रोकथाम की बनती जा रही है
कूटनीतिक और आर्थिक दबाव
भारत सिर्फ सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं रहना चाहता। अब भारत कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बनाकर भी पाकिस्तान को घेरने की योजना बना रहा है। पाकिस्तान को FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट में डालने के लिए भारत पहले से ही लॉबिंग कर रहा है। IMF से कर्ज लेने में भी भारत पाकिस्तान की आतंकी भूमिका को उजागर करेगा ताकि उसे आर्थिक रूप से अंतरराष्ट्रीय समर्थन न मिले।
आम जनता की भावना
देश में आम जनता भी इस समय बेहद आक्रोशित है। लोग सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #JusticeForPahalgam ट्रेंड कर रहा है और लोग एक स्वर में कह रहे हैं कि अब सिर्फ निंदा नहीं, ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। इससे सरकार पर भी दबाव है कि वह सिर्फ बयानबाजी तक सीमित न रहे।
निष्कर्ष: अब समय निर्णायक कार्रवाई का
भारत की यह नीति कि “अब फैसला पाकिस्तान के हाथ में है”, यह दर्शाता है कि भारत अब कोई भी आतंकवादी कार्रवाई सहन नहीं करेगा। अगर पाकिस्तान वास्तव में शांति चाहता है तो उसे आतंकवादी संगठनों को समर्थन देना बंद करना होगा। अन्यथा भारत हर स्तर पर, हर मोर्चे पर जवाब देने के लिए तैयार है।
यह घटना एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है, जहां भारत अपनी सुरक्षा नीति को और कठोर बना सकता है। यह केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है कि अब आतंकवाद को समर्थन देने की कोई भी कोशिश पाकिस्तान को भारी पड़ेगी।