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अजंता गुफा की पेंटिंग से बना भारत का अनोखा जहाज: नौसेना में हुआ शामिल, करेगा ओमान तक की यात्रा

  • May 21, 2025
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भारतीय नौसेना के इतिहास में आज का दिन बेहद खास बन गया है। कर्नाटक के कारवार नौसैनिक अड्डे पर एक ऐसा जहाज शामिल किया गया है, जो न

अजंता गुफा की पेंटिंग से बना भारत का अनोखा जहाज: नौसेना में हुआ शामिल, करेगा ओमान तक की यात्रा

भारतीय नौसेना के इतिहास में आज का दिन बेहद खास बन गया है। कर्नाटक के कारवार नौसैनिक अड्डे पर एक ऐसा जहाज शामिल किया गया है, जो न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अनोखा है, बल्कि इसकी रचना और प्रेरणा भी भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी है। यह जहाज पूरी तरह से पारंपरिक शैली में बनाया गया है और इसकी डिज़ाइन का मूल आधार अजंता की गुफाओं में उकेरी गई एक प्राचीन पेंटिंग है।

यह स्पेशल जहाज “स्टिच्ड शिप” यानी जोड़कर बनाए गए जहाज की तकनीक से तैयार किया गया है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे पांचवीं शताब्दी में समुद्री जहाज बनाए जाते थे। इस परियोजना का उद्देश्य भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को फिर से जीवंत करना है, जिसे दुनिया भर में सराहा जा रहा है।

Ajanta cave paintings

प्रेरणा का स्रोत: अजंता गुफाओं की चित्रकला

अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र में स्थित हैं और यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित की गई हैं। इन गुफाओं में जो चित्रकला है, वह भारत के प्राचीन सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अद्भुत चित्रण करती हैं। इन्हीं गुफाओं में से एक में बने एक जहाज की पेंटिंग से प्रेरित होकर इस अनोखे जहाज को आकार दिया गया है।

यह पेंटिंग केवल कला का एक नमूना नहीं है, बल्कि उस युग में भारत के समुद्री व्यापार, जहाज निर्माण और वैश्विक संबंधों का भी प्रतीक है। आज इस चित्र को यथार्थ का रूप देकर भारतीय नौसेना ने एक ऐतिहासिक कार्य किया है।

लकड़ी से तैयार, बिना कील या धातु के

इस जहाज को पूरी तरह लकड़ी से तैयार किया गया है। खास बात यह है कि इसमें कहीं भी कील या कोई आधुनिक मेटल का उपयोग नहीं किया गया है। इसकी संरचना पारंपरिक भारतीय तकनीक से की गई है, जिसे “स्टिच्ड शिप बिल्डिंग” कहते हैं। इस तकनीक में लकड़ी के टुकड़ों को रस्सियों से जोड़कर जहाज तैयार किया जाता है, जो प्राचीन समय में भारत, अरब और अफ्रीका के समुद्री व्यापार में प्रमुख तकनीक थी।

जहाज में चौकोर पाल और लकड़ी की पतवार का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे पारंपरिक लुक देने के साथ-साथ समुद्र में संतुलन बनाए रखने में भी सक्षम बनाते हैं।

सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में बड़ा कदम

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य केवल एक जहाज बनाना नहीं था, बल्कि भारत की प्राचीन समुद्री परंपरा और तकनीकी विरासत को दोबारा जीवंत करना था। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस प्रोजेक्ट को “सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक” बताया। उनके अनुसार यह प्रयास न केवल हमारे अतीत को सम्मानित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी संस्कृति से जोड़ने का एक माध्यम भी है।

इस तरह का प्रयास भारत को अपनी ऐतिहासिक शक्ति और वैभव की याद दिलाता है, जिसे आज की पीढ़ी ने भुला दिया था।

पहली यात्रा: गुजरात से ओमान तक

इस अनोखे जहाज की सबसे बड़ी परीक्षा अब शुरू होगी, जब इसे पारंपरिक समुद्री व्यापार मार्ग पर चलाया जाएगा। भारतीय नौसेना के अनुसार, जहाज की पहली अंतर-महासागरीय यात्रा गुजरात से ओमान तक होगी। यह मार्ग ऐतिहासिक रूप से भारत और अरब देशों के बीच व्यापार के लिए महत्वपूर्ण रहा है।

इस यात्रा का उद्देश्य न केवल तकनीकी परीक्षण करना है, बल्कि यह भी दिखाना है कि भारत की पारंपरिक समुद्री तकनीक आज भी सक्षम है। यह परियोजना भारत की समुद्री धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने की दिशा में एक साहसिक कदम है।

नौसेना की नई दिशा

भारतीय नौसेना अब केवल आधुनिक युद्धपोतों और पनडुब्बियों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक विरासत और इतिहास को भी महत्व दे रही है। यह प्रयास दर्शाता है कि भारतीय नौसेना केवल सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का भी प्रतीक बन रही है।

निष्कर्ष

अजंता की गुफा की एक पेंटिंग से प्रेरित यह जहाज न केवल भारत की कला, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे अतीत की गौरवशाली समुद्री विरासत का प्रमाण भी है। इसकी रचना से लेकर नौसेना में शामिल होने तक की यात्रा, भारत के लिए गौरवपूर्ण क्षण है।

इस ऐतिहासिक जहाज की ओमान यात्रा न केवल समुद्री सीमाओं को पार करने वाली होगी, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक सीमाओं को भी दुनिया के सामने लाएगी। यह पहल उन प्रयासों में से एक है, जो भारत को उसके स्वर्णिम अतीत से जोड़कर भविष्य की दिशा दिखाते हैं।

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