भारतीय सेना के स्काईस्ट्राइकर ड्रोन ने ऑपरेशन सिंदूर में मचाई तबाही, बना आतंकियों के लिए काल
May 8, 2025
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ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकियों के ठिकानों पर सटीक और घातक हमला किया। इस
ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकियों के ठिकानों पर सटीक और घातक हमला किया। इस ऑपरेशन में जिस हथियार की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है स्काईस्ट्राइकर आत्मघाती ड्रोन, जो किसी आम निगरानी ड्रोन से बिल्कुल अलग है। यह ड्रोन दुश्मन को चौंकाने वाला हथियार है, जो बिना किसी आवाज़ या चेतावनी के लक्ष्य को ढूंढकर उसे खत्म कर देता है।
क्या है स्काईस्ट्राइकर ड्रोन?
स्काईस्ट्राइकर एक “लोइटरिंग म्यूनिशन” यानी मंडराकर हमला करने वाला ड्रोन है। यह एक तरह का उड़ता हुआ मिसाइल है जो टारगेट खोजने, ट्रैक करने और खुद जाकर उसे तबाह करने में सक्षम है। इसमें लगे 5 से 10 किलोग्राम तक के वॉरहेड (विस्फोटक) इसे बेहद घातक बनाते हैं। इसकी रेंज 100 किलोमीटर तक है, यानी यह दुश्मन के इलाके में गहराई तक जाकर हमला कर सकता है।
भारत-इज़रायल की साझेदारी का नतीजा
इस ड्रोन का निर्माण भारत और इज़रायल की साझा परियोजना के तहत किया गया है। बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन कंपनी और इज़रायल की एल्बिट सिस्टम्स ने मिलकर इस ड्रोन को विकसित किया है। 2021 में भारत सरकार ने 100 से ज्यादा स्काईस्ट्राइकर ड्रोन का ऑर्डर दिया था, खासकर बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद यह फैसला लिया गया। यह भारतीय सैन्य रणनीति में एक बड़ा बदलाव था, जिसमें ड्रोन वॉरफेयर को प्राथमिकता दी गई।
स्काईस्ट्राइकर की विशेषताएं:
विशेषता
विवरण
रेंज
100 किलोमीटर तक
वारहेड क्षमता
5 या 10 किलोग्राम
मोटर
इलेक्ट्रिक मोटर (कम आवाज, रडार से बचने योग्य)
ऑपरेशन
लक्ष्य ढूंढना, ट्रैक करना और आत्मघाती हमला
प्रभाव
तुरंत लक्ष्य विनाश, न्यूनतम साइड डैमेज
रणनीति
मूक, अदृश्य और अचूक हमला
इस ड्रोन की सबसे बड़ी ताकत है “चुपचाप हमला”। यह इलेक्ट्रिक मोटर से चलता है, जिससे इसकी आवाज़ बहुत कम होती है। यही कारण है कि यह दुश्मन के इलाके में बिना रडार में पकड़े प्रवेश कर सकता है और आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला कर सकता है।
लोइटरिंग म्यूनिशन: भविष्य की सैन्य रणनीति
स्काईस्ट्राइकर ड्रोन “लोइटरिंग म्यूनिशन” की श्रेणी में आता है, जिसका अर्थ है कि यह टारगेट के ऊपर मंडराता है और उचित समय पर सटीक हमला करता है। इस तकनीक में निगरानी और हमला एक ही प्लेटफॉर्म से किया जाता है, जिससे युद्ध का समय, लागत और रिस्क कम होता है। एल्बिट कंपनी के अनुसार यह ड्रोन यूएवी (Unmanned Aerial Vehicle) की तरह उड़ता है और मिसाइल की तरह हमला करता है।
भारतीय सेना की तकनीकी शक्ति
भारतीय सेना का स्काईस्ट्राइकर जैसे आधुनिक ड्रोनों का उपयोग यह दर्शाता है कि भारत अब पारंपरिक हथियारों के युग से आगे बढ़कर “टेक्नोलॉजी-ड्रिवन वॉरफेयर” की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। ये ड्रोन अब सिर्फ भविष्य की कल्पना नहीं, बल्कि वर्तमान में भारत की सैन्य रणनीति का सक्रिय हिस्सा बन चुके हैं। आतंकियों और उनके संरक्षकों के लिए यह सीधी चेतावनी है कि अब भारत सीमा पार जाकर भी सर्जिकल और सटीक हमले कर सकता है।
निष्कर्ष
स्काईस्ट्राइकर आत्मघाती ड्रोन सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति का प्रतीक है। ऑपरेशन सिंदूर में इसका इस्तेमाल यह साफ दिखाता है कि भारत अब न सिर्फ रणनीतिक रूप से बल्कि तकनीकी रूप से भी दुश्मन से कई कदम आगे है। ऐसे ड्रोनों की मदद से भारत अब आतंक के अड्डों को उनकी धरती पर जाकर खत्म करने में पूरी तरह सक्षम है।