ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय सेना का जवाबी हमला बना पाकिस्तान के लिए खौफ का सबब
- May 24, 2025
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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। इसके बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया। इस ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था — और भारतीय सेना ने यह कार्य बखूबी निभाया।
भारतीय सेना की यह जवाबी कार्रवाई इतनी सटीक और ताकतवर थी कि पाकिस्तान की सेना में हड़कंप मच गया। इंटरसेप्ट की गई रेडियो बातचीतों से पता चला कि कई पाकिस्तानी अधिकारी मोर्चा छोड़कर भाग खड़े हुए। उनमें से कई ने दोबारा अपनी पोस्ट पर लौटने से इनकार तक कर दिया।
एक इंटरसेप्टेड कॉल के अनुसार, पाकिस्तानी सेना की 75वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड, जो मुजफ्फराबाद के पास तैनात थी, उसकी कमान संभाल रहे एक अधिकारी ने अपने जूनियर को जवाब दिया:
“ऑफिस बाद में खुलेगा, पहले जान बचाओ।”
यह वाक्य पाकिस्तान के सैन्य तंत्र में फैली घबराहट और अफरा-तफरी की गवाही देता है।
भारतीय सेना ने बेहद रणनीतिक तरीके से PoK के आतंकी लॉन्च पैड्स को टारगेट किया। हवाई हमलों में सवाई नाला क्षेत्र और सैयदना बिलाल कैंप जैसे आतंकी ठिकाने पूरी तरह से तबाह कर दिए गए। भारतीय सैन्य सूत्रों के अनुसार:
इस सर्जिकल ऑपरेशन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही आतंकवादियों की कमर तोड़ना और पाकिस्तान की सैन्य संरचना में खौफ पैदा करना।
एक अन्य इंटरसेप्टेड बातचीत में पाकिस्तानी जूनियर अधिकारी को यह कहते हुए सुना गया कि उनके कमांडर मस्जिद में नमाज पढ़ रहे हैं और स्थिति शांत होने तक वापस नहीं आएंगे। यह बयान दर्शाता है कि भारतीय हमले ने केवल आतंकवादियों को नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना के अफसरों को भी अंदर तक झकझोर दिया।
भारतीय सेना की यह कार्रवाई बेहद पेशेवर रही। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार:
“हमने केवल आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाया। हमारा मकसद निर्दोष नागरिकों को नुकसान पहुंचाना नहीं था। हमारा हर मिसाइल, हर बम एक उद्देश्य के तहत चलाया गया।”
इससे साफ होता है कि भारत ने सिर्फ बदला नहीं लिया, बल्कि एक संदेश भी दिया — आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को अब सुरक्षित पनाहगाह नहीं मिलेगी।
इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी सेना को गंभीर क्षति हुई। एक इंटरसेप्टेड कॉल ने पुष्टि की कि 16वीं बलूच रेजिमेंट के कैप्टन हसनैन शाह की हाजी पीर सेक्टर में मौत हो गई। उनके शव को एबटाबाद स्थित सैन्य अस्पताल ले जाया गया।
भारतीय सेना का अनुमान है कि इस पूरे ऑपरेशन में:
इतना ही नहीं, पाकिस्तानी सेना की अंदरूनी व्यवस्था में भी गड़बड़ी और अस्थिरता बढ़ी है, जिससे उनकी सीमाई गतिविधियों पर भी असर पड़ा है।
हालांकि पाकिस्तान ने भारत पर “संप्रभुता उल्लंघन” का आरोप लगाया है, लेकिन भारत ने साफ कहा कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी, न कि किसी राष्ट्र के खिलाफ।
कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस ऑपरेशन को भारत की सटीक और नैतिक जवाबी कार्रवाई करार दिया है। इससे दुनिया भर में यह संदेश गया है कि भारत अब केवल सहन नहीं करेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर निर्णायक कदम उठाएगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह भारत का दृढ़ संकल्प था आतंकवाद को जड़ से खत्म करने का। यह ऑपरेशन एक ऐतिहासिक उदाहरण बन गया है कि कैसे एक राष्ट्र अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर सीमा पार कर सकता है।
पाकिस्तानी अफसरों का “पहले जान बचाओ, ऑफिस बाद में” कहना इस बात का प्रतीक है कि अब भारत के हमले केवल आतंकी ठिकानों पर नहीं, बल्कि दुश्मनों के मनोबल पर भी असर डालते हैं।