Satellite Internet: भारत ने भूकंप राहत में पहली बार सैटेलाइट इंटरनेट का उपयोग
- April 10, 2025
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भारत ने हाल ही में म्यांमार में आए भूकंप के दौरान तकनीकी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल की। पहली बार भारत ने सैटेलाइट आधारित इंटरनेट का वास्तविक समय
भारत ने हाल ही में म्यांमार में आए भूकंप के दौरान तकनीकी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल की। पहली बार भारत ने सैटेलाइट आधारित इंटरनेट का वास्तविक समय
भारत ने हाल ही में म्यांमार में आए भूकंप के दौरान तकनीकी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल की। पहली बार भारत ने सैटेलाइट आधारित इंटरनेट का वास्तविक समय में उपयोग किया। ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत म्यांमार के मांडले क्षेत्र में एक विशेष सैटेलाइट टर्मिनल स्थापित किया गया, जिससे नई दिल्ली स्थित बेस से सीधा संपर्क स्थापित किया जा सका। यह भारत के लिए तकनीकी रूप से एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च को म्यांमार और थाईलैंड में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद भारत ने तुरंत राहत अभियान शुरू किया। इस दौरान भारतीय सेना ने Eutelsat OneWeb की लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सेवा का उपयोग कर महज 24 घंटे के भीतर कनेक्टिविटी स्थापित की और एक फील्ड हॉस्पिटल से संपर्क जोड़ा। OneWeb की एशिया पैसिफिक रीजनल डायरेक्टर निष्ठा कपूर ने इसे एक “सकारात्मक और सीख देने वाला अनुभव” बताया।
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की दिशा में कई कंपनियां सक्रिय हैं, जिनमें Jio, Elon Musk की Starlink, और Eutelsat OneWeb प्रमुख हैं। नवंबर 2023 में OneWeb को भारत में तकनीक का परीक्षण करने की अनुमति दी गई थी, और बाद में IN-SPACe से वाणिज्यिक सेवा की मंजूरी भी मिल गई थी। ISRO ने अपने GSLV-Mk3 रॉकेट से OneWeb के 72 सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च भी किया था।
OneWeb ने भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए गुजरात और तमिलनाडु में दो गेटवे साइट्स की स्थापना की है। निष्ठा कपूर के अनुसार, “OneWeb भारत के हर कोने तक कनेक्टिविटी पहुंचाने में सक्षम है। स्पेक्ट्रम आवंटन मिलते ही सेवाएं शुरू हो जाएंगी।” OneWeb जहां B2B नेटवर्क प्रदान करता है, वहीं Starlink B2C सेवा पर फोकस करता है।
हाल ही में सैटेलाइट इंटरनेट के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला जब Jio Platforms और Airtel ने Starlink से साझेदारी की घोषणा की। Starlink के पास पहले से 7,000 सैटेलाइट्स हैं और 5,000 और जोड़ने की तैयारी में है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक भारत के दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की क्रांति ला सकती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को हकीकत में बदल सकती है।
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