India China Relations : पीएम मोदी के बयान की चीन ने की सराहना
- March 26, 2025
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भारत और चीन के बीच रिश्ते लंबे समय से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। 2020 में पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव
भारत और चीन के बीच रिश्ते लंबे समय से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। 2020 में पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव
भारत और चीन के बीच रिश्ते लंबे समय से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। 2020 में पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था। लेकिन अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में भारत-चीन संबंधों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए और मतभेदों को दूर करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। पीएम मोदी के इस बयान के बाद चीन ने उनकी जमकर सराहना की और भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई।
बीजिंग से आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने पीएम मोदी के बयान को सकारात्मक संकेत के रूप में लिया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “ड्रैगन और हाथी का बैले नृत्य ही एकमात्र विकल्प है।” यह बयान दर्शाता है कि चीन भारत के साथ सहयोग बढ़ाने और आपसी संबंधों को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है।
पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर टकराव देखने को मिला, लेकिन हाल ही में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक के बाद संबंधों में सुधार देखने को मिल रहा है।
पूर्वी लद्दाख में 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट आ गई थी। गलवान घाटी में संघर्ष के बाद दोनों सेनाओं ने आमने-सामने की स्थिति में कई महीनों तक डेरा डाले रखा। इसके चलते व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध भी प्रभावित हुए। हालांकि, समय के साथ दोनों देशों ने वार्ता के माध्यम से तनाव को कम करने की कोशिश की और धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी।
अपने पॉडकास्ट इंटरव्यू में पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन दोनों एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं हैं और शांति तथा सहयोग ही दोनों देशों के विकास के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी मतभेद को संवाद के माध्यम से हल करने में विश्वास रखता है और किसी भी देश के साथ तनाव को बढ़ावा नहीं देना चाहता।
पीएम मोदी के इस बयान के बाद चीन ने इसे सकारात्मक संकेत के रूप में लिया और भारत के साथ संबंध सुधारने की प्रतिबद्धता दोहराई।
विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी के इस बयान से भारत-चीन संबंधों में नई दिशा देखने को मिल सकती है। हालांकि, दोनों देशों के बीच अभी भी कुछ जटिल मुद्दे मौजूद हैं, जिन पर चर्चा और समाधान की जरूरत है। लेकिन यह स्पष्ट है कि यदि दोनों देश सहयोग और संवाद को प्राथमिकता देते हैं, तो न केवल क्षेत्र में शांति बनी रहेगी, बल्कि आर्थिक और व्यापारिक संबंध भी और मजबूत होंगे।
भारत और चीन के संबंध पिछले कुछ वर्षों में कई चुनौतियों से गुजरे हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रमों से यह संकेत मिल रहा है कि दोनों देश सहयोग की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। पीएम मोदी के बयान की चीन द्वारा सराहना किया जाना इस बात का प्रमाण है कि संवाद से रिश्तों में सुधार संभव है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच संबंधों में और क्या बदलाव देखने को मिलते हैं।