पत्नी को वश में करने के चक्कर में कर डाला जंगल में कांड, बाघिन के पंजे काटे, पहुंचे जेल
- May 5, 2025
- 0
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से एक ऐसी अजीबोगरीब और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को, बल्कि पूरे देश को हैरान कर
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से एक ऐसी अजीबोगरीब और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को, बल्कि पूरे देश को हैरान कर
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से एक ऐसी अजीबोगरीब और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को, बल्कि पूरे देश को हैरान कर दिया है। इस घटना में दो पति अपनी पत्नियों को “वश में” करने की चाहत में एक तांत्रिक के झांसे में आकर ऐसा अपराध कर बैठे कि अब उन्हें इसकी भारी कीमत जेल में चुकानी पड़ रही है। यह घटना तंत्र-मंत्र में अंधविश्वास, अपराध और वन्यजीव संरक्षण के नियमों के उल्लंघन की एक दुखद और गंभीर मिसाल बन गई है।
घटना की शुरुआत होती है सिवनी जिले के दो लोगों – राजकुमार और झाम सिंह – से, जो अपनी पत्नियों के व्यवहार से परेशान थे। वे चाहते थे कि उनकी पत्नियां उनके कहे अनुसार चलें, उनके नियंत्रण में रहें। इसी उद्देश्य से उन्होंने एक तांत्रिक से संपर्क किया। तांत्रिक ने उन्हें एक अजीबो-गरीब सलाह दी – “अगर तुम बाघिन के पंजे और दांत लाओगे, तो उससे तंत्र क्रिया कर पत्नियों को अपने वश में किया जा सकता है।”
यह सुनकर दोनों पति जंगल की ओर निकल पड़े और 26 अप्रैल 2025 को पेंच टाइगर रिजर्व क्षेत्र में उन्हें एक मृत बाघिन का शव मिला। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बाघिन की मौत स्वाभाविक कारणों से हुई थी। लेकिन जब वन विभाग के अधिकारियों ने शव की जांच की तो वे हैरान रह गए – बाघिन के पंजे काट दिए गए थे, दांत उखाड़ लिए गए थे और खाल भी उतारी गई थी।
इतना सब कुछ करने के बाद भी जब तांत्रिक संतुष्ट नहीं हुआ तो उसने बाघिन की खाल भी लाने को कहा। इसके बाद आरोपी एक बार फिर जंगल में लौटे। लेकिन इस बार उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया। खाल को काटते समय किसी ने उन्हें देख लिया और वन विभाग तक यह सूचना पहुंच गई।
मुखबिर की सूचना के आधार पर वन विभाग ने तेजी से कार्रवाई की और पूरे मामले की तह तक जाने के लिए जाल बिछाया। जांच में यह भी पता चला कि इस अपराध में कुल पांच लोग शामिल थे – राजकुमार, झाम सिंह, छबिलाल, रत्नेश पार्टे और मनीष उइके।
गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो राजकुमार और झाम सिंह ने जो कहानी बताई वह किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं थी। दोनों ने खुलकर स्वीकार किया कि वे अपनी पत्नियों को तांत्रिक उपायों से काबू में लाना चाहते थे और इसी वजह से उन्होंने बाघिन के शव से यह सब किया।
उनके अनुसार, तांत्रिक ने दावा किया था कि बाघ के अंगों से बने ताबीज या तंत्रों से किसी को भी वश में किया जा सकता है। इसी अंधविश्वास में आकर उन्होंने यह घिनौना कार्य किया। लेकिन अब यह हरकत उन्हें सीधे सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है।
भारत में बाघ संरक्षित प्रजाति है और किसी भी रूप में उनके अंगों को काटना, निकालना या उनका व्यापार करना वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत एक गंभीर अपराध है। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव अधिनियम के अंतर्गत कठोर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मृत बाघिन के शव से छेड़छाड़ करना भी एक गंभीर अपराध है, भले ही उसकी मृत्यु प्राकृतिक कारणों से ही क्यों न हुई हो। इसलिए अब आरोपियों को लंबे समय तक जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
इस पूरी घटना में एक सबसे बड़ा पहलू जो उभरकर सामने आता है, वह है – अंधविश्वास। आज भी भारत के कई हिस्सों में लोग तंत्र-मंत्र, टोना-टोटका जैसी चीजों में विश्वास करते हैं और अपने जीवन के फैसले इन्हीं बातों के आधार पर लेते हैं। यह मामला इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि किस तरह अंधविश्वास इंसान को अपराध की राह पर ले जा सकता है।
राजकुमार और झाम सिंह जैसे लोग जब अपने निजी जीवन की समस्याओं का हल ऐसे तांत्रिकों से मांगते हैं, तो वे न केवल खुद को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि समाज, कानून और प्रकृति के लिए भी खतरा बन जाते हैं।
इस घटना से हमें कुछ महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:
मध्य प्रदेश के सिवनी में घटी यह घटना समाज को एक गहरी सोच देती है। दो पति जो अपने वैवाहिक जीवन में संतुलन चाहते थे, उन्होंने जो रास्ता चुना, वह उन्हें न्यायालय और जेल के दरवाजे तक ले गया। तांत्रिक के झांसे में आकर बाघिन के शव से अंग निकालना न केवल एक गंभीर अपराध है, बल्कि यह इंसानियत के खिलाफ भी है।
आवश्यक है कि हम शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से समाज में फैले अंधविश्वास को दूर करें और वन्यजीवों की सुरक्षा को एक सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में समझें। तभी हम ऐसे अपराधों को जड़ से खत्म कर सकेंगे।