Impact of Trump tariff and Samsung’s new strategy: क्या भारत बनेगा अगला मैन्युफैक्चरिंग हब?
April 24, 2025
0
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लागू किए गए ट्रेड टैरिफ यानी ‘ट्रंप टैरिफ’ का असर अब तक वैश्विक व्यापार और मैन्युफैक्चरिंग रणनीतियों पर दिख
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लागू किए गए ट्रेड टैरिफ यानी ‘ट्रंप टैरिफ’ का असर अब तक वैश्विक व्यापार और मैन्युफैक्चरिंग रणनीतियों पर दिख रहा है। खासकर टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की कंपनियां अब अपनी सप्लाई चेन और प्रोडक्शन फैसिलिटीज को नए सिरे से प्लान कर रही हैं।
इसी कड़ी में एक बड़ी खबर आई है Samsung को लेकर। दुनिया की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी अब वियतनाम से अपनी मैन्युफैक्चरिंग को भारत की ओर शिफ्ट करने का विचार कर रही है। यह न सिर्फ भारत के लिए एक बड़ा अवसर है, बल्कि एशिया में मैन्युफैक्चरिंग के मानचित्र को भी नया रूप देने वाला कदम हो सकता है।
ट्रंप टैरिफ का प्रभाव: कंपनियों पर बढ़ा दबाव
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहते अमेरिका ने चीन समेत कई देशों से आयात होने वाले उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए थे। इस नीति का मुख्य उद्देश्य था अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और व्यापार घाटे को कम करना। हालांकि, इसका प्रभाव अमेरिकी कंपनियों पर ही उल्टा पड़ा, क्योंकि उन्हें अपने प्रोडक्ट्स की लागत बढ़ती नजर आई।
इस स्थिति में एपल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अब सैमसंग जैसी कंपनियां लगातार अपनी प्रोडक्शन यूनिट्स को चीन और वियतनाम से हटाकर ऐसे देशों में स्थापित करने की कोशिश में हैं, जहां टैरिफ का असर कम हो और उत्पादन लागत भी संतुलित रहे। भारत इस सूची में सबसे प्रमुख नाम बनकर उभरा है।
Samsung की रणनीति में भारत क्यों?
1. भारत में तेजी से बढ़ता कंज्यूमर मार्केट
भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन यूजर बेस है। ऐसे में सैमसंग जैसे ब्रांड के लिए यहीं मैन्युफैक्चरिंग करना लॉजिस्टिक और मार्केटिंग दोनों दृष्टिकोण से फायदेमंद है।
2. सरकार की PLI स्कीम (Production Linked Incentive)
भारत सरकार की PLI योजना विदेशी कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसमें टैक्स में छूट, सब्सिडी और बुनियादी ढांचे में सहायता जैसे लाभ शामिल हैं।
3. सस्ते और प्रशिक्षित वर्कफोर्स की उपलब्धता
भारत में कुशल श्रमिकों की भरमार और अपेक्षाकृत कम मजदूरी लागत सैमसंग को आकर्षित कर रही है।
4. जियो-पॉलिटिकल स्थिरता और लोकतांत्रिक सरकार
भारत की राजनीतिक स्थिरता और वैश्विक मंचों पर उसकी विश्वसनीयता भी कंपनियों को सुरक्षा का एहसास दिलाती है।
वियतनाम से भारत की ओर शिफ्ट: क्या है प्लान?
Samsung अभी वियतनाम में अपने कुल वैश्विक उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा बनाती है। लेकिन अब ट्रेड टेंशन, लेबर कॉस्ट में वृद्धि और सप्लाई चेन के जियो-पॉलिटिकल रिस्क को देखते हुए वह भारत की तरफ शिफ्ट करने की योजना बना रही है।
अन्य कंपनियों को भी भारत में निवेश के लिए प्रेरणा मिलेगी।
भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में बड़ा इजाफा होगा।
चुनौतियां:
बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) में सुधार की जरूरत।
लॉजिस्टिक लागत को कम करना।
नीति निर्माण में स्थिरता और स्पष्टता।
बिजली, पानी और अन्य संसाधनों की विश्वसनीय आपूर्ति।
भारत में Samsung के मौजूदा निवेश
Samsung ने पहले ही भारत में नोएडा में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री शुरू की है। इसके अलावा कंपनी के R&D सेंटर, सॉफ्टवेयर यूनिट्स और सेल्स नेटवर्क पहले से मजबूत स्थिति में हैं।
अगर कंपनी अपना अधिकांश मैन्युफैक्चरिंग भारत में करती है, तो इससे स्मार्टफोन, टीवी, रेफ्रिजरेटर और अन्य कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की कीमतों में भी कमी आ सकती है, जो भारतीय उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात होगी।
ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में भारत की भूमिका
भारत की “मेक इन इंडिया” योजना अब फल देने लगी है। Apple ने भी भारत में iPhone निर्माण की शुरुआत कर दी है। Foxconn, Pegatron जैसी कंपनियां भी भारत में निवेश कर रही हैं।
अगर Samsung अपनी वियतनाम यूनिट से बड़ी हिस्सेदारी भारत शिफ्ट करती है, तो यह संकेत देगा कि भारत अब केवल एक उपभोक्ता बाजार नहीं, बल्कि एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा चुका है।
निष्कर्ष
Samsung की रणनीति यह दर्शाती है कि वैश्विक कंपनियां अब केवल कम लागत पर ही नहीं, बल्कि राजनीतिक स्थिरता, सरकारी सहयोग और लॉजिस्टिक सुविधा जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए नए मैन्युफैक्चरिंग केंद्र चुन रही हैं। भारत इस रेस में वियतनाम, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों से आगे निकलता दिख रहा है।
Samsung का भारत की ओर झुकाव सिर्फ एक कंपनी का निर्णय नहीं, बल्कि एक वैश्विक बदलाव की शुरुआत है — जहां ‘मेड इन इंडिया’ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक हकीकत बनता जा रहा है।