Hormones Released in Sadness: दुख में कौन से हार्मोन होते हैं सक्रिय और उनका शरीर पर क्या असर पड़ता है?
- July 3, 2025
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कभी आपने गौर किया है कि जब हमें कोई खुशखबरी मिलती है, तो हम अचानक से जोश और उत्साह से भर जाते हैं। उस समय हमें लगने लगता
कभी आपने गौर किया है कि जब हमें कोई खुशखबरी मिलती है, तो हम अचानक से जोश और उत्साह से भर जाते हैं। उस समय हमें लगने लगता
कभी आपने गौर किया है कि जब हमें कोई खुशखबरी मिलती है, तो हम अचानक से जोश और उत्साह से भर जाते हैं। उस समय हमें लगने लगता है जैसे सब कुछ अच्छा हो रहा है और जीवन में ऊर्जा की एक नई लहर दौड़ जाती है। लेकिन जब हमें कोई बुरी खबर मिलती है, किसी अपने से बिछड़ना पड़ता है या कोई बड़ी परेशानी आती है, तो हमारी आंखों में आंसू आ जाते हैं और दिल भारी हो जाता है। यह सब केवल भावनाओं की वजह से नहीं होता, बल्कि इसके पीछे हमारे शरीर में सक्रिय होने वाले हार्मोन्स का भी बहुत बड़ा रोल होता है। खुशी में जहां डोपामाइन जैसे हार्मोन्स सक्रिय होते हैं, वहीं दुख में कुछ और हार्मोन रिलीज होते हैं जिन्हें समझना बेहद जरूरी है। इन हार्मोन्स के बारे में जानना हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। आइए जानते हैं Hormones Released in Sadness यानी दुख में रिलीज होने वाले हार्मोन कौन-कौन से होते हैं और उनका हमारे शरीर पर क्या असर पड़ता है।
जब भी हम गहरी उदासी, चिंता या मानसिक तनाव से गुजरते हैं, तो हमारे शरीर में सबसे पहले जिस हार्मोन का स्तर बढ़ता है, वह है कोर्टिसोल। इसे स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है। कोर्टिसोल का काम हमारे शरीर को अलर्ट मोड में रखना होता है, ताकि हम किसी भी स्थिति का सामना कर सकें। दुख की स्थिति में यह हार्मोन हमें थोड़े समय के लिए सजग और सतर्क बनाए रखता है। लेकिन जब कोर्टिसोल का स्तर ज्यादा देर तक ऊँचा बना रहता है, तो यह हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह हो जाता है। ज्यादा कोर्टिसोल की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी, इम्यून सिस्टम में कमजोरी और नींद की समस्या हो सकती है। यही नहीं, लंबे समय तक इसका स्तर ऊँचा रहने से मानसिक थकान और चिड़चिड़ापन भी बढ़ने लगता है।
दुख, डर और तनाव की स्थिति में दूसरा बड़ा हार्मोन जो रिलीज होता है, वह है एड्रेनालिन। इसे अक्सर ‘फाइट ऑर फ्लाइट’ हार्मोन कहा जाता है। जब हमें कोई खतरा महसूस होता है या हम बहुत दुखी होते हैं, तो यह हार्मोन तुरंत सक्रिय हो जाता है और हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है ताकि हम मुश्किल हालात का सामना कर सकें या वहां से भाग सकें। एड्रेनालिन के प्रभाव से दिल की धड़कन तेज हो जाती है, सांसें तेज चलने लगती हैं, पसीना आने लगता है और हाथ-पैरों में कंपन महसूस होने लगता है। यह हार्मोन अल्पकालिक परिस्थितियों में तो मददगार होता है, लेकिन अगर व्यक्ति लंबे समय तक दुख और तनाव में डूबा रहता है, तो यह हार्मोन लगातार सक्रिय रहता है और इससे थकावट, घबराहट और यहां तक कि हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।
सेरोटोनिन एक ऐसा न्यूरोट्रांसमीटर है, जो हमारे मूड को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाता है। जब हम खुश होते हैं, तो सेरोटोनिन का स्तर सामान्य रहता है और हम मानसिक रूप से मजबूत महसूस करते हैं। लेकिन जब हम दुख में होते हैं, तो सेरोटोनिन का स्तर गिरने लगता है। सेरोटोनिन के गिरने से व्यक्ति ज्यादा उदास, नकारात्मक और असहाय महसूस करने लगता है। यही वजह है कि जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक दुखी रहता है या अकेलापन महसूस करता है, तो उसमें डिप्रेशन की संभावना बढ़ जाती है।
ऑक्सीटोसिन को ‘लव हार्मोन’ भी कहा जाता है। जब हम किसी अपने के करीब होते हैं, तो यह हार्मोन खुशी और सुरक्षा की भावना देता है। लेकिन जब हम किसी प्रियजन से दूर हो जाते हैं या भावनात्मक रूप से अकेलापन महसूस करते हैं, तो ऑक्सीटोसिन का स्तर घट जाता है। इससे भावनात्मक दर्द और ज्यादा महसूस होता है, और हम और भी अधिक दुखी हो जाते हैं।
डोपामाइन वह हार्मोन है, जो हमें खुशी और संतोष का अहसास कराता है। जब हम कोई अच्छा काम करते हैं या हमें कोई पुरस्कार मिलता है, तो दिमाग में डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है और हमें अच्छा महसूस होता है। लेकिन जब हम दुख में होते हैं, तो डोपामाइन का स्तर गिर जाता है। यही कारण है कि दुखी व्यक्ति को न किसी काम में आनंद आता है, न ही किसी चीज में रुचि बचती है।
दुख में सक्रिय होने वाले हार्मोन्स केवल हमारे मूड को ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर को प्रभावित करते हैं। इन हार्मोन्स की वजह से हमें भूख कम लगने लगती है, नींद में खलल होता है, ऊर्जा की कमी महसूस होती है और धीरे-धीरे शारीरिक बीमारियां भी घर करने लगती हैं।
दुख से पूरी तरह बचा नहीं जा सकता, क्योंकि यह भी जीवन का एक हिस्सा है। लेकिन हम इन हार्मोन्स के प्रभाव को नियंत्रित कर सकते हैं। नियमित ध्यान और योग करने से कोर्टिसोल का स्तर घटाया जा सकता है। अच्छी नींद लेना, पौष्टिक आहार खाना और सकारात्मक सोच रखना भी सेरोटोनिन और डोपामाइन के स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना, अपने शौक पूरे करना और प्रकृति के करीब जाना भी बेहद फायदेमंद है।
हमारी भावनाओं के पीछे हार्मोन्स का बड़ा खेल चलता है। Hormones Released in Sadness यानी दुख में रिलीज होने वाले हार्मोन हमें सतर्क रखने के लिए जरूरी तो होते हैं, लेकिन अगर हम लगातार इन्हीं भावनाओं में फंसे रहते हैं, तो यह हमारे शरीर और मन दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए, हमें अपने हार्मोन्स को समझने और संतुलित करने की कोशिश करनी चाहिए। ध्यान रखें कि हम अपने जीवन में जितना ज्यादा संतुलन बनाए रखेंगे, उतना ही हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य मजबूत रहेगा।
तो अगली बार जब आप दुखी महसूस करें, तो समझें कि यह आपके शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसे संभालना आपके हाथ में है। इस लेख के माध्यम से उम्मीद है कि आपको Hormones Released in Sadness के बारे में विस्तार से जानकारी मिली होगी और आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठा पाएंगे।
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जब हम दुखी होते हैं या मानसिक तनाव में होते हैं, तो हमारे शरीर में कुछ खास हार्मोन्स सक्रिय हो जाते हैं। इन्हें ही Hormones Released in Sadness कहा जाता है। इनमें कोर्टिसोल, एड्रेनालिन और सेरोटोनिन शामिल हैं। ये हार्मोन हमारे मूड, व्यवहार और शारीरिक प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करते हैं।
कोर्टिसोल को ‘स्ट्रेस हार्मोन’ कहा जाता है। दुख और तनाव की स्थिति में इसका स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर अलर्ट मोड में आ जाता है। हालांकि, इसका ज्यादा स्तर लंबे समय तक बने रहना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
हाँ, दुख में डोपामाइन का स्तर कम हो जाता है। डोपामाइन खुशी और आनंद की अनुभूति कराने वाला हार्मोन है। इसके कम होने पर व्यक्ति को किसी काम में मज़ा नहीं आता और वह और ज्यादा दुखी महसूस करता है।
जी हाँ। लंबे समय तक दुख और मानसिक तनाव में रहने से सेरोटोनिन और डोपामाइन का स्तर गिरता है, जिससे डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।
इन हार्मोन्स को संतुलित रखने के लिए ध्यान, योग, नियमित व्यायाम, हेल्दी डाइट और अच्छी नींद लेना जरूरी है। साथ ही, अपनों के साथ समय बिताना और सकारात्मक सोच बनाए रखना भी बेहद मददगार होता है।