गुरुवार, 22 मई 2025 का दिन भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक बेहद निराशाजनक और अस्थिर दिन के रूप में दर्ज किया जा सकता है। सप्ताह के चौथे कारोबारी दिन देश के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई में दिन की शुरुआत से ही गिरावट का दौर देखने को मिला। वैश्विक बाजारों में छाई सुस्ती और घरेलू आर्थिक चिंताओं के बीच सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही प्रमुख इंडेक्सों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों को महज कुछ ही मिनटों में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो गया।
बाजार खुलते ही बिखर गया संतुलन
सुबह जैसे ही बाजार का कारोबार शुरू हुआ, सेंसेक्स में करीब 728 अंकों की गिरावट देखने को मिली और यह 81,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे गिरकर 80,800 के पास पहुंच गया। इसी तरह निफ्टी भी टूटते हुए 24,550 के नीचे लुढ़क गया। इस अचानक और व्यापक गिरावट का सबसे बड़ा कारण स्मॉल कैप और मिड कैप शेयरों में आई भारी बिकवाली को माना जा रहा है।
बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) पर लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण कुछ ही मिनटों में 3 लाख करोड़ रुपये तक घट गया, जिससे निवेशकों को भारी झटका लगा। यह गिरावट इस बात का संकेत है कि बाजार में भय और अनिश्चितता का माहौल छाया हुआ है।
इंडसइंड बैंक के नतीजों ने डुबोया बाजार का भरोसा
गुरुवार को बाजार में भारी गिरावट के पीछे इंडसइंड बैंक की कमजोर वित्तीय स्थिति भी एक अहम कारण रही। बैंक ने अपनी चौथी तिमाही के नतीजे जारी किए, जिसमें करीब 2300 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया गया। यह बैंक के इतिहास में पिछले 19 वर्षों में पहली बार हुआ है जब उसे इतनी बड़ी तिमाही हानि हुई है। इसके चलते बैंक के शेयरों में लगभग 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
इंडसइंड बैंक की इस वित्तीय कमजोरी का असर अन्य बैंकों और वित्तीय कंपनियों पर भी पड़ा और निवेशकों के बीच घबराहट का माहौल बन गया। इससे बाजार में बिकवाली का दबाव और गहरा हो गया।
दूसरी कंपनियों के शेयर भी गिरे
इंडसइंड बैंक के अलावा टेक महिंद्रा, पावरग्रिड, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में भी भारी गिरावट देखी गई। ये वे कंपनियां हैं जिनकी बाजार में मजबूत पकड़ होती है और इनके शेयरों में गिरावट का असर पूरे सूचकांक पर पड़ता है। नतीजतन, निफ्टी और सेंसेक्स दोनों पर दबाव बढ़ता गया।
हालांकि पीएसयू बैंक और मेटल सेक्टर के शेयरों में कुछ हद तक मजबूती देखने को मिली, लेकिन यह समग्र बाजार गिरावट को थाम नहीं सकी।
किन कंपनियों के नतीजों पर आज नजरें
बाजार में गिरावट के बीच आज कई प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजे जारी होने वाले हैं, जिन पर निवेशकों और बाजार विश्लेषकों की पैनी नजर बनी हुई है। इनमें ITC, मैक्स एस्टेट्स, एमटीएआर टेक्नोलॉजीज, जीएमआर एयरपोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रासिम इंडस्ट्रीज और गुडलक इंडिया शामिल हैं। इन कंपनियों के नतीजे आने वाले कारोबारी सत्रों में बाजार की दिशा तय कर सकते हैं।
वैश्विक बाजारों की स्थिति भी कमजोर
भारतीय बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण वैश्विक बाजारों की सुस्ती भी है। गुरुवार को एशियाई बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली। जापान का निक्केई इंडेक्स 0.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.59 प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 200 इंडेक्स 0.36 प्रतिशत नीचे आ गया।
इन संकेतों से यह साफ है कि वैश्विक स्तर पर निवेशकों की धारणा कमजोर बनी हुई है, जिससे भारतीय बाजार भी अछूता नहीं रह सका।
बुधवार को दिखी थी राहत, लेकिन ज्यादा देर नहीं टिक पाई
गौरतलब है कि बुधवार को भारतीय बाजार ने तीन दिन की लगातार गिरावट के बाद थोड़ी राहत ली थी। उस दिन बीएसई सेंसेक्स में 410 अंकों की बढ़त दर्ज की गई थी और यह 81,596.63 पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी भी 129.55 अंक चढ़कर 24,813.45 पर बंद हुआ था।
बुधवार को आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक में खरीदारी के चलते बाजार में सकारात्मक रुझान बना था। साथ ही एशियाई बाजारों में उस समय सकारात्मक संकेत मिल रहे थे, जिससे निवेशकों का भरोसा थोड़ी देर के लिए लौटा था। लेकिन गुरुवार को जो गिरावट देखी गई, उसने बुधवार की सारी बढ़त को निगल लिया।
निवेशकों के लिए क्या संकेत हैं?
यह गिरावट निवेशकों के लिए कई सवाल छोड़ जाती है – क्या यह गिरावट स्थायी है? क्या बाजार में अभी और गिरावट देखी जाएगी या यह एक अस्थायी करेक्शन है?
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार का मूड फिलहाल नाजुक बना हुआ है। जब तक घरेलू कंपनियों के नतीजे बेहतर नहीं आते और वैश्विक बाजार स्थिर नहीं होते, तब तक भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है।
सतर्क रहें, जल्दबाजी से बचें
ऐसे माहौल में निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे जल्दबाजी में अपने निवेश न बेचें और दीर्घकालिक लक्ष्य पर फोकस रखें। जिन कंपनियों के बुनियादी तत्व मजबूत हैं, उनमें गिरावट के दौरान निवेश का यह एक मौका भी हो सकता है। हालांकि, छोटे और मिड कैप शेयरों में फिलहाल सतर्कता बरतनी जरूरी है।
निष्कर्ष
22 मई 2025 का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए एक बड़ा झटका लेकर आया। वैश्विक अस्थिरता, घरेलू वित्तीय परिणामों की कमजोरी और निवेशकों की घबराहट ने मिलकर बाजार को बुरी तरह झकझोर दिया। हालांकि, यह गिरावट एक अल्पकालिक करेक्शन भी हो सकता है, जिसका दीर्घकालिक निवेशकों को लाभ मिल सकता है, बशर्ते वे समझदारी से फैसले लें और घबराहट में कदम न उठाएं। अब नजरें इस बात पर होंगी कि अगले कुछ कारोबारी दिनों में बाजार खुद को कैसे संभालता है और क्या कोई स्थिरता लौटती है या नहीं।
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