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पाकिस्तानी भिखारियों पर वैश्विक सख्ती: सऊदी समेत कई देशों ने हजारों को किया डिपोर्ट

  • May 16, 2025
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पाकिस्तान इन दिनों एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का सामना कर रहा है। जहां एक ओर वह आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों से घिरा हुआ है, वहीं

पाकिस्तानी भिखारियों पर वैश्विक सख्ती: सऊदी समेत कई देशों ने हजारों को किया डिपोर्ट

पाकिस्तान इन दिनों एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का सामना कर रहा है। जहां एक ओर वह आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों से घिरा हुआ है, वहीं दूसरी ओर उसके नागरिक, खासकर भिखारी, दुनिया भर में उसकी बदनामी का कारण बन रहे हैं। हाल ही में सामने आए आंकड़ों ने इस स्थिति को और भी उजागर कर दिया है।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की एमएनए सेहर कामरान के एक सवाल के जवाब में आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। नकवी ने संसद को बताया कि पिछले 16 महीनों में सऊदी अरब ने कुल 5,033 पाकिस्तानी भिखारियों को डिपोर्ट किया है। यह आंकड़ा केवल सऊदी अरब का है, जबकि अन्य खाड़ी देशों जैसे संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, इराक, मलेशिया और ओमान से भी सैकड़ों पाकिस्तानी नागरिकों को भीख मांगने के आरोप में देश से निकाला गया है।

Pakistani beggars

सऊदी अरब बना सबसे बड़ा डिपोर्टिंग देश

सऊदी अरब लंबे समय से पाकिस्तानी श्रमिकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में यहां पर पाकिस्तानी भिखारियों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है। इसके चलते सऊदी प्रशासन ने सख्ती बढ़ाई है और 16 महीनों के भीतर 5,033 भिखारियों को डिपोर्ट कर दिया है। यह संख्या खुद पाकिस्तान के लिए चेतावनी है कि अब उसकी जनता विदेशों में भी शर्मिंदगी का कारण बन रही है।

अन्य देशों से भी निकाले गए पाकिस्तानी नागरिक

सऊदी अरब ही नहीं, बल्कि अन्य कई देश भी इस समस्या से त्रस्त हैं। संयुक्त अरब अमीरात, कतर, मलेशिया, ओमान और इराक जैसे देशों ने भी अपने यहां से पाकिस्तानी भिखारियों को पकड़ कर डिपोर्ट किया है। पांच देशों से 369 पाकिस्तानी नागरिकों को हाल ही में हिरासत में लिया गया, जिनपर भीख मांगने का आरोप था।

इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति और सरकार की विफल नीतियां उसके नागरिकों को बेरोजगारी और गरीबी की ओर धकेल रही हैं, जिससे वे विदेशों में जाकर भीख मांगने को मजबूर हो रहे हैं।

वैश्विक छवि पर पड़ रहा नकारात्मक असर

ये घटनाएं पाकिस्तान की वैश्विक छवि पर बहुत बुरा असर डाल रही हैं। एक ओर जहां पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को एक जिम्मेदार देश के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है, वहीं दूसरी ओर उसके नागरिकों का विदेशों में भीख मांगना उसकी साख को कमजोर कर रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल आर्थिक मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक विफलता का भी परिणाम है। रोजगार की कमी, शिक्षा का अभाव और भ्रष्टाचार ने पाकिस्तान को उस मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां उसके नागरिक दूसरे देशों में शरण लेने के बजाय भीख मांगने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

Pakistani beggars

हज और उमरा सीजन में भीख मांगने का चलन

खाड़ी देशों, विशेषकर सऊदी अरब में, हर साल हज और उमरा के दौरान बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं। इसका फायदा उठाकर कई पाकिस्तानी नागरिक वहां पहुंचकर भीख मांगने लगते हैं। सऊदी अधिकारियों के अनुसार, यह एक संगठित रैकेट की तरह काम करता है, जिसमें कुछ एजेंट भी शामिल होते हैं जो ऐसे लोगों को वीजा दिलाकर भेजते हैं और फिर उनसे पैसे वसूलते हैं।

पाकिस्तान सरकार की जिम्मेदारी

अब सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले रही है? आंतरिक मंत्री का यह बयान जरूर चिंता जाहिर करता है, लेकिन अब वक्त है कि सरकार नीतिगत स्तर पर ठोस कदम उठाए। भिखारियों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाएं, रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं और विदेश भेजने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए।

साथ ही, उन एजेंटों और दलालों पर भी नकेल कसनी होगी जो लोगों को विदेश में बेहतर जिंदगी का सपना दिखाकर भीख मांगने के धंधे में धकेल देते हैं। यह पाकिस्तान की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय नीति के लिए एक कड़ी चुनौती है।

निष्कर्ष

भिखारी समस्या केवल एक सामाजिक बुराई नहीं है, बल्कि यह एक देश की छवि, उसकी नीतियों और नेतृत्व की योग्यता पर भी सवाल खड़े करती है। सऊदी अरब और अन्य देशों द्वारा हजारों पाकिस्तानी भिखारियों को डिपोर्ट किया जाना पाकिस्तान के लिए चेतावनी की घंटी है। अगर अब भी सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले समय में न केवल उसकी छवि और भी खराब होगी, बल्कि अन्य देशों में उसके नागरिकों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लग सकता है।

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