SIP में निवेश से पाएं बेहतर रिटर्न: इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान
- May 29, 2025
- 0
SIP यानी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आज के समय में म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे लोकप्रिय तरीका बन चुका है। खासकर उनके लिए जो सीधे शेयर बाजार के
SIP यानी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आज के समय में म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे लोकप्रिय तरीका बन चुका है। खासकर उनके लिए जो सीधे शेयर बाजार के
SIP यानी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आज के समय में म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे लोकप्रिय तरीका बन चुका है। खासकर उनके लिए जो सीधे शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं और लंबी अवधि में धन संचय करना चाहते हैं। SIP की सबसे बड़ी खूबी यह है कि आप हर महीने एक निश्चित राशि निवेश करके बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं – वो भी बिना बाजार की चाल की चिंता किए।
हालांकि SIP में निवेश करना ही काफी नहीं है, आपको सही रणनीति और कुछ अहम बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है ताकि आप इससे अधिकतम रिटर्न कमा सकें। आइए जानते हैं वो 5 जरूरी बातें जो SIP में निवेश करते समय ध्यान में रखनी चाहिए:
SIP की सबसे बड़ी ताकत कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि ब्याज) में है। समय के साथ आपका पैसा खुद-ब-खुद बढ़ता जाता है। जितनी जल्दी आप निवेश शुरू करते हैं, उतनी ही अधिक पूंजी आप भविष्य में जमा कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आप 25 साल की उम्र में ₹5,000 प्रति माह निवेश करते हैं और औसतन 12% रिटर्न मानें, तो 30 साल बाद आपके पास लगभग ₹1.76 करोड़ हो सकते हैं। लेकिन अगर यही निवेश आप 35 साल की उम्र में शुरू करते हैं, तो आपको सिर्फ ₹50 लाख के आसपास ही मिलेगा।
इसलिए निवेश में देरी न करें। जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना ज्यादा फायदा मिलेगा।
सभी म्यूचुअल फंड एक जैसे नहीं होते। हर फंड की अपनी रणनीति, जोखिम स्तर और रिटर्न की उम्मीद होती है। SIP में निवेश करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपकी निवेश अवधि कितनी है, आपका जोखिम लेने का स्तर क्या है, और आपका उद्देश्य क्या है – रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई, घर खरीदना या कुछ और।
फंड चुनते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें:
आपके लिए इक्विटी फंड, डेट फंड या हाइब्रिड फंड सही रहेगा – यह आपकी प्रोफाइल और लक्ष्य पर निर्भर करता है।
SIP एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप एक बार निवेश करके उसे भूल जाएं। बाजार की स्थिति, फंड का प्रदर्शन और आपके वित्तीय लक्ष्य समय के साथ बदल सकते हैं। इसलिए हर 6-12 महीने में अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें।
देखें कि कौन-से फंड्स लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और कौन-से पीछे हैं। अगर कोई फंड लंबे समय तक खराब प्रदर्शन कर रहा है, तो उसे बदलने में हिचकिचाएं नहीं। हमेशा अपने फंड को अपने निवेश लक्ष्य और जोखिम क्षमता के अनुसार बनाए रखें।
बाजार में गिरावट या अस्थिरता अक्सर निवेशकों को घबराकर SIP बंद करने के लिए मजबूर कर देती है। लेकिन यह सबसे बड़ी गलती हो सकती है। SIP की खूबी यह है कि यह रुपया लागत औसत (Rupee Cost Averaging) को सपोर्ट करता है, यानी जब बाजार नीचे होता है, तो आपकी निवेश राशि से ज्यादा यूनिट मिलती हैं।
बाजार में गिरावट के दौरान भी SIP जारी रखने से आपको लंबे समय में औसत कीमत पर अच्छी यूनिट मिलती हैं, जिससे रिटर्न बेहतर होता है। याद रखें, SIP का असली फायदा तभी मिलता है जब आप अनुशासित रहें और उतार-चढ़ाव से डरकर निवेश न रोकें।
हर साल आपकी आय बढ़ती है, उसी तरह आपको अपने SIP निवेश को भी बढ़ाना चाहिए। Step-up SIP का मतलब है कि आप हर साल या हर कुछ सालों में अपनी SIP राशि में कुछ प्रतिशत की बढ़ोतरी करें।
उदाहरण के लिए, अगर आप ₹5,000 प्रति माह से शुरुआत करते हैं और हर साल 10% की बढ़ोतरी करते हैं, तो 20 साल में आप लाखों का फंड बना सकते हैं। इससे न केवल आपका रिटर्न बढ़ेगा, बल्कि आप महंगाई और अपने बढ़ते खर्चों के हिसाब से अपने निवेश को भी अपग्रेड कर पाएंगे।
SIP एक बेहतरीन निवेश विकल्प है जो लंबी अवधि में आपके सपनों को साकार कर सकता है। लेकिन इसे सफल बनाने के लिए सिर्फ निवेश करना ही काफी नहीं है – सही योजना, अनुशासन, फंड का चुनाव और समय-समय पर समीक्षा जरूरी है।
अगर आप इन 5 बातों का ध्यान रखते हैं – जल्दी शुरुआत करें, सही फंड चुनें, पोर्टफोलियो की समीक्षा करें, अनुशासित रहें और Step-up SIP अपनाएं – तो आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को बहुत आसानी से और समय पर हासिल कर सकते हैं।